Class-9

                              1. साखियाँ एवं सबद

साखियाँ

प्रश्न 1.‘मानसरोवर’ से कवि का क्या आशय है?

उत्तर-मानसरोवर के दो अर्थ हैं-

एक पवित्र सरोवर जिसमें हंस विहार करते हैं।

पवित्र मन या मानस।

प्रश्न 2.कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है?

उत्तर-कवि ने सच्चे प्रेमी की यह कसौटी बताई है कि उसका मन विकारों से दूर तथा पवित्र होता है। इस पवित्रता का असर मिलने वाले पर पड़ता है। ऐसे प्रेमी से मिलने पर मन की पवित्रता और सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 3.तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्त्व दिया है?

उत्तर-इस दोहे में अनुभव से प्राप्त आध्यात्मिक ज्ञान को महत्त्व दिया गया है।

प्रश्न 4.इस संसार में सच्चा संत कौन कहलाता है?

उत्तर-इस संसार में सच्चा संत वही है जो जाति-धर्म, संप्रदाय आदि के भेदभाव से दूर रहता है, तर्क-वितर्क, वैर-विरोध और राम-रहीम के चक्कर में पड़े बिना प्रभु की सच्ची भक्ति करता है। ऐसा व्यक्ति ही सच्चा संत होता है।

प्रश्न 5.अंतिम दो दोहों के माध्यम से कबीर ने किस तरह की संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है?

उत्तर-अंतिम दो दोहों में कबीर ने निम्नलिखित संकीर्णताओं की ओर संकेत किया है-

अपने-अपने मत को श्रेष्ठ मानने की संकीर्णता और दूसरे के धर्म की निंदा करने की संकीर्णता।

ऊँचे कुल के अहंकार में जीने की संकीर्णता।

प्रश्न 6.किसी भी व्यक्ति की पहचान उसके कुल से होती है या उसके कर्मों से? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर-किसी व्यक्ति की पहचान उसके कर्म से होती है, कुल से नहीं। कोई व्यक्ति यदि ऊँचे कुल में जन्म लेकर बुरे कर्म करता है तो वह निंदनीय होता है। इसके विपरीत यदि साधारण परिवार में जन्म लेकर कोई व्यक्ति यदि अच्छे कर्म करता है तो समाज में आदरणीय बन जाता है सूर, कबीर, तुलसी और अनेकानेक ऋषि-मुनि साधारण से परिवार में जन्मे पर अपने अच्छे कर्मों से आदरणीय बन गए। इसके विपरीत कंस, दुर्योधन, रावण आदि बुरे कर्मों के कारण निंदनीय हो गए।

प्रश्न 7.काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

हस्ती चढ़िए ज्ञान कौ, सहज दुलीचा डारि।

स्वान रूप संसार है, भेंकन दे झख मारि।

उत्तर-इसमें कवि ने एक सशक्त चित्र उपस्थित किया है। सहज साधक मस्ती से हाथी पर चढ़े हुए जा रहे हैं।

और संसार-भर के कुत्ते भौंक-भौंककर शांत हो रहे हैं परंतु वे हाथी का कुछ बिगाड़ नहीं पा रहे। यह चित्र निंदकों पर व्यंग्य है और साधकों के लिए प्रेरणा है।

सांगरूपक अलंकार का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया है

ज्ञान रूपी हाथी

सहज साधना रूपी दुलीचा

निंदक संसार रूपी श्वान

निंदा रूपी भौंकना

‘झख मारि’ मुहावरे का सुंदर प्रयोग।

‘स्वान रूप संसार है’ एक सशक्त उपमा है।

सबद (पद)

प्रश्न 8.मनुष्य ईश्वर को कहाँ-कहाँ ढूँढ़ता फिरता है?

उत्तर-मनुष्य अपने धर्म-संप्रदाय और सोच-विचार के अनुसार ईश्वर को मंदिर, मस्जिद, काबा, कैलाश जैसे पूजा स्थलों और धार्मिक स्थानों पर खोजता है। ईश्वर को पाने के लिए कुछ लोग योग साधना करते हैं तो कुछ सांसारिकता से दूर होकर संन्यासी-बैरागी बन जाते हैं और इन क्रियाओं के माध्यम से ईश्वर को पाने का प्रयास करते हैं।

प्रश्न 9.कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के लिए किन प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है?

उत्तर-कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। उनके अनुसार ईश्वर ने मंदिर में है, न मसजिद में; न काबा में है, न कैलाश आदि तीर्थ यात्रा में; वह न कर्मकांड करने में मिलता है, न योग साधना से, न वैरागी बनने से। ये सब ऊपरी दिखावे हैं, ढोंग हैं। इनमें मन लगाना व्यर्थ है।

प्रश्न 10.कबीर ने ईश्वर को ‘सब स्वाँसों की स्वाँस में क्यों कहा है?

उत्तर-कबीर का मानना था कि ईश्वर घट-घट में समाया है। वह प्राणी की हर साँस में समाया हुआ है। उसका वास प्राणी के मन में ही है।

प्रश्न 11.कबीर ने ज्ञान के आगमन की तुलना सामान्य हवा से न कर आँधी से क्यों की?

उत्तर-कबीर के अनुसार, जब प्रभु ज्ञान का आवेश होता है तो उसका प्रभाव चमत्कारी होता है। उससे पूरी जीवन शैली बदल जाती है। सांसारिक बंधन पूरी तरह कट जाते हैं। यह परिवर्तन धीरे-धीरे नहीं होता, बल्कि एकाएक और पूरे वेग से होता है। इसलिए उसकी तुलना सामान्य हवा से न करके आँधी से की गई है।

प्रश्न 12.ज्ञान की आँधी का भक्त के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर -ज्ञान की आँधी आने से भक्त के जीवन पर अनेक प्रभाव पड़ते हैं-

भक्त के मन पर छाया अज्ञानता का भ्रम दूर हो जाता है।

भक्त के मन का कूड़ा-करकट (लोभ-लालच आदि) निकल जाता है।

मन में प्रभु भक्ति का भाव जगता है।

भक्त का जीवन भक्ति के आनंद में डूब जाता है।

प्रश्न 13. भाव स्पष्ट कीजिए-

(क) हिति चित्त की वै श्रृंनी गिराँनी, मोह बलिंडा तूटा।

(ख) आँधी पीछे जो जल बूठा, प्रेम हरि जन भीनाँ।

उत्तर-इसका भाव यह है कि ईश्वरीय ज्ञान हो जाने के बाद प्रभु-प्रेम के आनंद की वर्षा हुई। उस आनंद में भक्त का हृदय पूरी तरह सराबोर हो गया।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 14.संकलित साखियों और पदों के आधार पर कबीर के धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भाव संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।

उत्तर-पाठ में संकलित साखियों से ज्ञात होता है कि कबीर समाज में फैले जाति-धर्म के झगड़े, ऊँच-नीच की भावना, मनुष्य का हिंदू-मुसलमान में विभाजन आदि से मुक्त समाज देखना चाहते थे। वे हिंदू-मुसलमान के रूप में राम-रहीम के प्रति कट्टरता के घोर विरोधी थे। वे समाज में सांप्रदायिक सद्भाव देखना चाहते थे। कबीर चाहते थे कि समाज को कुरीतियों से मुक्ति मिले। इसके अलावा उन्होंने ऊँचे कुल में जन्म लेने के बजाए साधारण कुल में जन्म लेकर अच्छे कार्य करने को श्रेयस्कर माना है।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 15.निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिए-

पखापखी, अनत, जोग, जुगति, बैराग, निरपख.

उत्तर-पखापखी    –   पक्ष-विपक्ष

अनत         –  अन्यत्र

जोग          –   योग

जुगति       –   युक्ति

बैराग        –   वैराग्य

निष्पक्ष      –  निरपख

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 16.कबीर की साखियों को याद कर कक्षा में अंत्याक्षरी का आयोजन कीजिए।

उत्तर-छात्र स्वयं करें।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.हंस किसके प्रतीक हैं? वे मानसरोवर छोड़कर अन्यत्र क्यों नहीं जाना चाहते हैं?

उत्तर-हंस जीवात्मा के प्रतीक हैं। वे मानसरोवर अर्थात् मेन रूपी सरोवर को छोड़कर अन्यत्र इसलिए जाना चाहते हैं क्योंकि उसे प्रभु भक्ति का आनंद रूपी मोती चुगने को मिल रहे हैं। ऐसा आनंद उसे अन्यत्र दुर्लभ है।

प्रश्न 2. कबीर ने सच्चा संत किसे कहा है? उसकी पहचान बताइए।

उत्तर-कबीर ने सच्चा संत उसे कहा है जो हिंदू-मुसलमान के पक्ष-विपक्ष में न पड़कर इनसे दूर रहता है और दोनों को समान दृष्टि से देखता है, वही सच्चा संत है। उसकी पहचान यह है कि किसी धर्म/संप्रदाय के प्रति कट्टर नहीं होता है और प्रभुभक्ति में लीन रहता है।

प्रश्न 3.कबीर ने ‘जीवित’ किसे कहा है?

उत्तर-कबीर ने उस व्यक्ति को जीवित कहा है जो राम और रहीम के चक्कर में नहीं पड़ता है। इनके चक्कर में पड़े व्यक्ति राम-राम या खुदा-खुदा करते रह जाते हैं पर उनके हाथ कुछ नहीं लगता है। इन दोनों से दूर रहकर प्रभु की सच्ची भक्ति करने वालों को ही कबीर ने ‘जीवित’ कहा है।

प्रश्न 4.‘मोट चून मैदा भया’ के माध्यम से कबीर क्या कहना चाहते हैं?

उत्तर-मोट चून मैदा भया के माध्यम से कबीर कहना चाहते हैं कि हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों की बुराइयाँ समाप्त हो गई और वे अच्छाइयों में बदल गईं। अब मनुष्य इन्हें अपनाकर जीवन सँवार सकता है।

प्रश्न 5.कबीर ‘सुबरन कलश’ की निंदा क्यों करते हैं?

उत्तर-कबीर ‘सुबरन कलश’ की निंदा इसलिए करते हैं क्योंकि कलश तो बहुत महँगा है परंतु उसमें रखी सुरा व्यक्ति के लिए हर तरह से हानिकारक है। सुरा के साथ होने के कारण सोने का पात्र निंदनीय बन गया है।

प्रश्न 6.‘सुबरन कलश’ किसका प्रतीक है? मनुष्य को इससे क्या शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए?

उत्तर-‘सुबरन कलश’ अच्छे और प्रतिष्ठित कुल का प्रतीक है जिसमें जन्म लेकर व्यक्ति अपने-आप को महान समझने लगता है। व्यक्ति तभी महान बनता है जब उसके कर्म भी महान हैं। इससे व्यक्ति को अच्छे कर्म करने की शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए।

प्रश्न 7.

कबीर मनुष्य के लिए क्रिया-कर्म और योग-वैराग्य को कितना महत्त्वपूर्ण मानते हैं?

उत्तर-

कबीर मनुष्य के लिए क्रिया-कर्म और योग-वैराग्य को महत्त्वपूर्ण नहीं मानते हैं क्योंकि मनुष्य इन क्रियाओं के माध्यम से ईश्वर को पाने का प्रयास करता है, जबकि कबीर के अनुसार ईश्वर को इन क्रियाओं के माध्यम से नहीं पाया जा सकता है।

प्रश्न 8.

मनुष्य ईश्वर को क्यों नहीं खोज पाता है?

उत्तर-

मनुष्य ईश्वर को इसलिए नहीं खोज पाता है क्योंकि वह ईश्वर का वास मंदिर-मस्जिद जैसे धर्मस्थलों और काबा-काशी जैसी पवित्र मानी जाने वाली जगहों पर मानता है। वह इन्हीं स्थानों पर ईश्वर को खोजता-फिरता है। वह ईश्वर को अपने भीतर नहीं खोजता है।

प्रश्न 9.

कबीर ने संसार को किसके समान कहा है और क्यों?

उत्तर-

कबीर ने संसार को श्वान रूपी कहा है क्योंकि जिस तरह हाथी को जाता हुआ देखकर कुत्ते अकारण भौंकते हैं उसी तरह ज्ञान पाने की साधना में लगे लोगों को देखकर सांसारिकता में फँसे लोग तरह-तरह की बातें बनाने लगते हैं। वे ज्ञान के साधक को लक्ष्य से भटकाना चाहते हैं।

प्रश्न 10.

कबीर ने ‘भान’ किसे कहा है? उसके प्रकट होने पर भक्त पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर-

कबीर ने ‘भान’ (सूर्य) ज्ञान को कहा है। ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त होने पर मनुष्य के मन का अंधकार दूर हो जाता है। इस अंधकार के दूर होने से मनुष्य के मन से कुविचार हट जाते हैं। वह प्रभु की सच्ची भक्ति करता है और उस आनंद में डूब जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.

स्पष्ट कीजिए कि कबीर खरी-खरी कहने वाले सच्चे समाज सुधारक थे।

उत्तर-

कबीर ने तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराइयों को अत्यंत निकट से देखा था। उन्होंने महसूस किया कि सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरता, भक्ति का आडंबर, मूर्तिपूजा, ऊँच-नीच की भावना आदि प्रभु-भक्ति के मार्ग में बाधक हैं। उन्होंने ईश्वर की वाणी को जन-जन तक पहुँचाते हुए कहामोको केही ढूँढे बंदे मैं तो तेरे पास में। इसके अलावा ऊँचे कुल में जन्म लेकर महान कहलाने वालों के अभिमान पर चोट करते हुए कहा-‘सुबरन कलस सुरा भरा, साधू निंदा सोय’। इससे स्पष्ट होता है कि कबीर खरी-खरी कहने वाले सच्चे समाज-सुधारक थे।

प्रश्न 2.

ज्ञान की आँधी आने से पहले मनुष्य की स्थिति क्या थी? बाद में उसकी दशा में क्या-क्या बदलाव आया? पठित ‘सबद’ के आधार पर लिखिए।

उत्तर-

ज्ञान की आँधी आने से पहले मनुष्य का मन मोह-माया, अज्ञान तृष्णा, लोभ-लालच और अन्य दुर्विचारों से भरा था। वह सांसारिकता में लीन था, इससे वह प्रभु की सच्ची भक्ति न करके भक्ति का आडंबर करता था। ज्ञान की आँधी आने के बाद मनुष्य के मन से अज्ञान का अंधकार और कुविचार दूर हो गए। उसके मन में प्रभु-ज्ञान का प्रकाश फैल गया। वह प्रभु की सच्ची भक्ति में डूबकर उसके आनंद में सराबोर हो गया।

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1.बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे?

उत्तर: बाढ़ की खबर सुन कर लोग अत्यन्तावशकसामने को इकठ्ठा करने में जुट गए, उन्होंने आवश्यक ईंधन व खाने-पिने का सामान इकठ्ठा करने लग गए और कुछ कम्पोस की गोलियां भी इकट्ठी कर्ली ताकि बढ़ में घिर जाने पर कुछ का गुजरा आराम से हो जाए सभी ने अपनी दुकाने खाली करदी और बढ़ के आने का इंतजार करने लगे। 

 2.बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था?

उत्तर: मनुष्य होने के नाते लेखक भी जिज्ञासा से भरे थे। उन्होंने कभी बाढ़ का अनुभव न लिया लेकिन फिर भी वह बाढ़ पर कहानी, उपन्यास, व् रिपोर्ट लिख चुके थे। उनकी बाढ़ को देखने की बड़ी उत्सुकता थी। 

 3.सबकी जुबान पर एक ही जिज्ञासा-पानी कहाँ तक आ गया है?’-इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं?

उत्तर: सभी के मन में यह जिज्ञासा थी की पानी कहाँ तक आ गया है 'पानी कहाँ तक आ गया है यह सुन कर हमारी उत्सुकता, कौतुहल, और सुरक्षा की भावना उमड़ने लगी। 

 4.मृत्यु का तरल दूतकिसे कहा गया है और क्यों?

उत्तर: बाढ़ के निरंतन बढ़ते गए त्रोत को 'मृत्यु' का तरल दूत कहा गया है। बढ़ते हुए जल ने भयानक संकट का संकेत दिया गया था। बाढ़ के इस बढ़ते जल त्रोत ने ना जाने कितने प्राणियों को उजाड़ दिया था और बेघर कर के मौत के नींद सुला दिया था इस तरल जल के कारन काफी लोगो को मरना पड़ा इसलिए इसे 'मृत्यु का तरल दूत' कहा जाता है।  

 5.आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ़ से कुछ सुझाव दीजिए।

उत्तर: आपदाओं से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाने चाहिए

·         सरकार को सभी प्रकार के संभावित खतरों से निपटने के लिए साधन तैयार रखने चाहिए। उस सामान की लगातार देखरेख होनी चाहिए ताकि आपदा के समय उनका सदुपयोग किया जा सके।

·         आपदाए किसी को बता कर या संकेत दे कर नहीं आती 

·         आपदाओं से निपटने के लिए सभी को तैयार रहना चाहिए।  

·         जनता व सरकार दोनों को संकट की घडी में शान्ति से काम लेना चाहिए। 

6.‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गएअब बूझो!’-इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है?

उत्तर: उक्त कथन द्वारा लोगो में पाई जाने वाली इर्षा जो किसी दूसरे को दुखी देख कर मिलने वाली ख़ुशी की और इशारा कर रही है।  यहाँ लोगो की मानसिकता को दिखाया जा रहा है की लोग किस प्रकार दूसरे की तरक्की से दुखी होते है। लोग संकट में एक दूसरे की मदद करने की बजाए अपने निजी स्वार्थ के बारे में पहले सोचते है। 

 7.खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी?

उत्तर: उक्त लोग बाढ़ को देखने कके लिए बड़ी संख्या में इकट्ठे हो रहे थे। वह बाढ़ के आने से दुखी नहीं थे बल्कि वह ख़ुशी-ख़ुशी बाढ़ को देखना चाहते थे। ऐसे समय में पान उनके लिए समय काटने का एक साधन था जिसे वह बाढ़ आते देखते समय खाना चाहते थे। इसलिए अन्य सामने की दुकाने बंद होने लगी लेकिन पान की दुकान पर सब से ज्यादा बिक्री होने लगी थी।  

 8.जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए?

उत्तर: जब लेखक को एहसास होने लगा की उसके यहाँ भी बाढ़ का पानी घुसने की संभावना है तो वह रोज मर्रा की चीजों को इकठ्ठा करने लगा उन्होंने आवश्यक सामान जैसे मोमबत्ती, आलू, ईंधन, आदि चीजों को इकठ्ठा करना शुरू कर दिया और पिने का पानी भी उन्होंने किताबे भी खरीद ली और यह भी सोच रखा था की बाढ़ का पानी ज्यादा भरने पर वह छत पर जा कर इनको पढ़ेंगे। 

9.बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है?

उत्तर: बाढ़ पीड़ित जगहों पर कई बीमारिया जन्म लेने लगती है जैसे मलेरिया, हैजा, टाइफाइड, उल्टी, पेचिश, बुखार, डायरिया, कालरा आदि बीमारियों के फैलने की संभावना होती है साथ-साथ पानी का बार-बार पैरो पर लगने से घाव होने के आसार बन जाते है। 

 10.नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया?

उत्तर:वह नौजवान और कुत्ता एक दूसरे को बेहद पसंद करते थे दोनों ही एक-दूसरे के सच्चे साथी थे दोनों में ही बहुत गहरा लगाव था। दोस्त होने के नाते वह एक दूसरे को मानव और पशु की तरह नहीं देखते थे वह एक दूसरे के बिना नहीं जी सकते थे। यहाँ तक की नौजवान को कुत्ते के बिना मृत्यु भी बर्दाश नहीं थी और इसी प्यार व् लगाव के कारण कुत्ता भी पानी में कूद गया था। 

 11.‘अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं- मेरे पास।’-मूवी कैमरा, टेप रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा?

उत्तर: लेखक का कलाकार प्रवर्त्ती का होने के कारण उन्हें कैमरे, टेप रेकॉर्डर की आवश्यकता महसूस हुई ताकि वह इस बाढ़ का चित्रण कर सकते परन्तु अगर वह ऐसा करते तो वह केवल दर्शक बन जाते और बाढ़ को साक्षात् अनुभव करने का मौका उनके हाथ से निकल जाता इसलिए उन्होंने उपर्युक्त कथन कहा की अच्छा हुआ मेरे पास कुछ नहीं है। 

 12.आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना को उल्लेख कीजिए।

उत्तर:जहाँ मीडिया प्रचार प्रसार कर समाज को जाग्रत करता है वही कुछ समस्याए बढ़ा भी देता है उदाहरण स्वरुप अभी का किसानो वाला किस्सा ही ले लीजिए इस घटना को मीडिया ने इतना तोड़-मरोड़ कर दिखाया की लोग सरदारों को गलत नज़र से देखने लगे। जिसके कारण सरदारों को काफी कुछ देखना पड़ा।

13.अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए।

उत्तर: जब भारत की प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी को उन्ही के गार्ड ने गोली मार कर उनकी हत्या करदी जिसके कारण भारत के सभी सरदारों को मारा गया सिर्फ इस कारण की इंदिरा गाँधी को मारने वाला उनका गार्ड सरदार था इसलिए लोगो ने उनकी कॉम को ही ख़त्म करने की ठान ली। 

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  3. रीड की हड्डी

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1. रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात बात पर" एक हमारा जमाना था....." अगर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?

उत्तर: रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात बात पर "एक हमारा जमाना था..." कह कर जिन मापदंडों पर आज के समय की अपने समय से तुलना कर रहे हैं ,उस तरह की तुलना केवल एक पक्षीय है और अतर्कसंगत है। उन्हें उचित मानदंडों का उपयोग करना चाहिए एवं आज के समय में हुई तरक्की को भी अपने समय से तुलना करनी चाहिए, एवं एक निष्पक्ष तुलना के माध्यम से आज के समय में और उनके समय के अंतर को स्पष्ट करना चाहिए।


2.
रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और व्यवहार के लिए छिपाना यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?

उत्तर: रामस्वरूप जिस प्रकार से अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छुपा रहे हैं ,वह यह प्रदर्शित करता है कि वह किस प्रकार से रूढ़िवादी विचार धाराओं के सामने विवश हैं। यह उनकी समाज में फैली अवधारणाओं के प्रति विवशता को प्रदर्शित करता है।

3. अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं,वह उचित क्यों नहीं है?

उत्तर: रामस्वरूप पनी पुत्री से उसके उचित उच्च शिक्षा वाले आचरण को छोड़कर वह आचरण करने की मांग कर रहे हैं जो कि एक शिक्षित महिला के लिए उचित नहीं है।वह चाहते हैं कि उनकी पुत्री समाज में पुरुष वर्चस्व को स्वीकार करें और उन्हीं के अनुसार व्यवहार करे।जबकि विधि के समक्ष सभी समान है, सब के अधिकार समान हैं कोई किसी से उसकी आशा एवं उच्च शिक्षा की अभिलाषा को नहीं छीन सकता है।इस प्रकार रामस्वरूप कि यह अपेक्षा उचित नहीं है।

4. गोपाल प्रसाद विभाग को 'बिजनेस'मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाते हैं। क्या उत्तर -आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं अपने विचार लिखें।

उत्तर: गोपाल प्रसाद की विवाह को बिजनेस मानने वाली सोच बहुत ही तुच्छ यह विवाह के संबंध की मधुरता था तथा गरिमा को कम करती है।यह उनकी समाज में व्याप्त कुरीति दहेज प्रथा के प्रति उनके विचारों को भी प्रदर्शित करती है। वहीं दूसरी ओर रामस्वरूप भी समान रूप से अपराधी है,क्योंकि वह भी अपनी पुत्री को इस पुरुष प्रधान समाज से लड़ने में कोई सहायता नहीं दे रहे हैं ,बल्कि वह तो चाहते हैं कि वह इसे स्वीकार करें अपनी उच्च शिक्षा को छुपाए।

5."...आपके लाडले बेटे की रीड की हड्डी भी है..."या नहीं उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?

उत्तर: इस कथन के माध्यम से उमा शंकर के निम्न कमियों की ओर इशारा करना चाहती है: क)शंकर का चरित्र अच्छा नहीं है वह लड़कियों के हॉस्टल में कई बार चक्कर काटते हुए पकड़ा गया है।

ख) शंकर तो खुद का कोई वजूद नहीं है, वह केवल अपने पिता की ही सुनता है और उन्हीं के अनुसार कार्य करता है।

ग) शंकर नौजवान होने के बावजूद भी सीधे से बैठ नहीं सकता यह कथन उसकी सारी कमजोरी की ओर भी संकेत करता है।

6. शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है?तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है जो स्पष्टवादी हो एवं उत्तम चरित्रवान हो। जो अपने माता- पिता एवं अपने स्वाभिमान के लिए आवाज उठा सकें। इस प्रकार के चरित्र वाले व्यक्ति ही समाज की जड़ता को समाप्त कर उसे एक नए चेतन की तरफ ले जा सकते हैं, उससे रूढ़िवादी धारणाओं को निकाल कर एक उत्तम समाज का निर्माण कर सकते हैं। दूसरी तरफ शंकर जैसे व्यक्तित्व के लोग पढ़े लिखे होने के बावजूद भी रूडीवादी धारणाओं को त्याग ते नहीं,ये समाज के विकास में एक अवरोध का काम करते हैं अतः इनकी उपयोगिता अधिक नहीं है।

7.'रीड की हड्डी' शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: जिस प्रकार मनुष्य में रीड की हड्डी का महत्व है, उसी प्रकार समाज में

लड़के और लड़कियों का महत्व है। यदि मानव शरीर में रीड की हड्डी का कोई भाग स्वस्थ ना हो तो मानव शरीर का खड़े रह पाना संभव नहीं है।उसी प्रकार यदि समाज की रीढ़ पुरुष और नारी में से यदि किसी एक का शोषण हो,उसे दबाया जाए,समान अधिकार न दिया जाए तो समाज का भी कल्याण असंभव है। अतः "रीड की हड्डी"पाठ का एक उपयुक्त शीर्षक है।

8. कथावस्तु के आधार पर किस एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?

उत्तर: कथावस्तु के आधार पर मैं उमा को इस एकांकी का मुख्य पात्र मानता हूं क्योंकि उमा उमा को इस एकांकी में महिलाओं की प्रतिनिधि के रूप में दिखाया गया है। उसे एक ऐसी नायिका के रूप में प्रस्तुत किया गया है।जो स्पष्टवादी है, एवं स्वाभिमानी है।

उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद भी उसके अंदर संस्कार हैं, और वह अपनी निंदा बर्दाश्त नहीं करती एवं अनुचित बात का विरोध करती है। जिस प्रकार सभी महिलाओं को होना चाहिए।

9. एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएं बताइए।

उत्तर: रामस्वरूप एक ऐसे पिता हैं जो आधुनिक सोच रखते हैं एवं अपनी पुत्री को पढ़ाना चाहते हैं परंतु उसके व्यवहार में उसकी उच्च शिक्षा को छुपा रहे हैं जो उनकी कायरता एवं विवशता को प्रदर्शित करता है।गोपाल प्रसाद एक

रूढ़िवादी व्यक्ति हैं ,जो पुरुष और नारी की समानता में विश्वास नहीं रखते।विवाह को केवल एक बिजनेस मानते हैं ,एवं नारी शिक्षा को उचित नहीं समझते।यह उनकी संकीर्ण एवं रूढ़िवादी सोच को प्रदर्शित करता है।


10. एकांकी का क्या उद्देश्य क्या है?लिखिए।

उत्तर: इस एकांकी में कई उद्देश्य सम्मिलित हैं:

क) समाज में नारी शिक्षा के विरोध वाले विचारों को उजागर कर समाज को जागरूक करना।

ख) समाज में दहेज प्रथा के विषय में जागरूकता फैलाना एवं इसका विरोध करना।

ग) समाज में स्त्री पुरुष की समानता वाले विचारों को फैलाना।

घ) स्त्रियों को भी पुरुषों के समान अधिकार देने की मांग।


11. समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?

उत्तर: समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु हमने निम्न प्रयास कर सकते हैं:

क) महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक अभियान चलाना एवं जगह-जगह पर महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए विद्यालयों को खोलकर।

ख) लोगों में जागरूकता लाकर उन्हें यह बताना के ईश्वर के लिए एवं विधि के समक्ष सभी लोग समान है अतः नारियों को भी पुरुषों के समान अधिकार होने चाहिए।

ग) लोगों को बताना कि दहेज प्रथा की कितनी हानियां हैं और यह कुरीति किस तरह समाज को बर्बाद कर रही है।

घ) महिलाओं को उचित

सम्मान दिलाने हेतु उन्हें भी उचित रोजगार दिलाकर। गृहकार्य को भी एक रोजगार के रूप में प्रस्तुत कर कर।

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4.माटीवाली

----------------------------------------------------------------------------------------------- 1.'शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं। आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते 'माटीवालीको सब पहचानते थे?

उत्तर : पुरे टिहरी शहर में सिर्फ वही एक थी जो सबको माटी पहुंचाती थी , उसका कोई भी प्रतिद्वंदी नहीं था।  उसका कंटर भी अलग तरह का ही था कपड़ों से लिप्त बिना ढक्क्न का ऊपर से खुला जो की उसे दूर से ही पहचानने योग्य बना देता था। साथ ही माटीवाली एक हँसमुख स्वभाव वाली महिला थी एवं माटीवाली की लाल मिट्टी हर घर की आवश्यकता थी,जिससे चूल्हे-चौके की

पुताई की जाती थी। इसके बिना किसी का काम नहीं चलता था। ​इस कारण स्वाभाविक रूप से सभी लोग उसे जानते थे।

2. माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्‍यों नहीं था?

उत्तर : जिस इंसान की ज़िदगी इस बात पर निर्भर करती हो की उसे कितने घर में माटी पहुँचाने के बाद आज दो रोटी मिलेगी , जो कर्म से भयभीत नहीं होता हो। जिसके समक्ष जीवन का सबसे बड़ा प्रश्न ही ये हो कि अपने बूढ़े और खुद को दिन में कम से कम एक बार पेट भर खाना मिल जाये। रोज का जीवन जीना ही जिसका संघर्ष हो उसे अच्छे और बुरे भाग्य जैसे दार्शनिक प्रश्नों के बारे में सोचने का वक़्त कहाँ ही होगा।  माटी वाली ऐसी ही एक महिला थी जिसके पास अपने कर्म और जीवन की मूलभूत समस्या से ही निपटने का वक़्त नहीं

था तो अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय कहाँ ही होता।

3. “भूख मीठी कि भोजन मीठासे क्या अभिप्राय है?

उत्तर : भूख और भोजन के मध्य एक सम्बन्ध है, अगर भूख हो तो ही स्वाद आता है।अगर पेट भरा हो तो पकवान भी स्वादहीन होता है। उपरोक्त पंक्ति का यही अभिप्राय है कि भूख ही इस सम्पूर्ण विश्व में सर्वाधिक स्वादिष्ट चीज है।

4 . 'पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गयी चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता"-मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर : विरासत हमारी सबसे कीमती चीज़ होती है। हमें निश्चय ही इसका ध्यान रखना चाहिए। हमारे पुरखों ने जो बहुत ही मुश्किल एवं प्रयत्नों के बाद हासिल किया वही हमे विरासत में देकर गए। हमे उसकी रक्षा करनी चाहिए एवं चंद पैसों के लिए उसे नहीं खोना चाहिए।

5. माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?

उत्तर : माटी वाली का रोटियों का हिसाब लगाना उसकी गरीबी , फटेहाली एवं आर्थिक परेशानियों के मजबूरी को प्रकट करता है। यह भी बताता है कि किस तरह दिन भर जी तोड़मेहनत करने के बाद भी उसे दो वक़्त की रोटी नहीं मिलती।

6 . “आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी! - इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : माटी वाली का रोटी बचा कर ले जाना एवं तमाम दिन की मेहनत के बाद भी यह सोचना की आज जो थोड़े पैसे कमाए है उससे प्याज खरीद कर साग बनाने का विचार करना, माटी वाली का अपने पति के प्रति प्रेम और लगाव को व्यक्त करता है।  यह बताता है कि किस तरह तमाम मुश्किलों के बाद भी उसके हृदय में अपने पति के प्रति इतना प्रेम उमड़ता है। यह  जीवनसाथी के प्रति अटूट प्रेम, समपर्ण तथा निष्ठा के भावों को भी बताता है।

7 . गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए। इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए - इस कथन का आशय यह है कि एक गरीब पूरा जीवन ही मुश्किलों एवं कठिनाइयों में गुजार देता है। मरने के बाद तो उसे सम्मानजनक जगह मिलना चाहिए।  एक जगह तो हो जहाँ बिना किसी परेशानी के साथ वो सो सके किन्तु माटीवाली के पति के साथ यह भी ना हो सका। वह बेचारा पूरी ज़िंदगी ही विवशता एवं तंगी में जीता रहा और जब मरा तो शमशान भी जल्दफ़्न हो गया और उसका घर भी तथाकथित प्रगति के कारण हुए विस्थापन का शिकार हो गया ।

8. 'विस्थापन की समस्यापर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर : विस्थापन

एक बहुत ही बड़ी एवं प्रासंगिक समस्या है। कोई भी एक शहर में जहाँ वो रहता है अपनी ज़िंदगी का निर्माण करता है उसका परिवार , उसके दोस्त उसका रोजगार सब वहीँ होता है और एक दिन किसी मजबुरी में जब उसे वह जगह छोड़नी पड़ती है तो उसके ऊपर वज़्र पात हो जाता है। उसे वापस अपनी पूरी ज़िंदगी का निर्माण करना होता है।

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       5. दो बैलों की कथा

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प्रश्न 1.
कांजीहौस में पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी?
उत्तर :
कांजीहौस में पशुओं की हाजिरी लेने के कई कारण हो सकते हैं। इससे यह पता चल सकता है कि कोई पशु बीमार तो नहीं है, कोई पशु मर तो नहीं गया, ताकि उसे वहाँ से हटवाया जा सके। समूह में हिंसा करनेवाले पशुओं की अलग से व्यवस्था हो सके, कौन-से पशु नीलामी के योग्य हैं, उनकी निश्चित संख्या का पता चल सके इसलिए कांजीहौस में पशुओं की हाजिरी ली जाती होगी।

प्रश्न 2.

छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ?
उत्तर :
छोटी बच्ची और दोनों बैल समदुखिया थे। छोटी बच्ची की माँ नहीं थी। सौतेली माँ उस पर अत्याचार करती थी दूसरी ओर दोनों बैल अपने मूल मालिक से दूर थे। गया उन पर अत्याचार करता था। छोटी बच्ची दयालु प्रकृति की थी। बैलों की दुर्दशा को देख उसका मन उसके प्रति प्रेम से भर गया और वह इसी कारण शाम को दो रोटियाँ उन्हें खिलाया करती थी।

प्रश्न 3.
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आये हैं ?
उत्तर :
प्रेमचंद ने अपनी कहानी दो बैलों की कथा के जरिए अनेक नीति-विषयक मूल्यों का वर्णन किया है। कहानी के प्रारंभ में दोनों मित्रों की मित्रता देखते ही बनती है। साथ-साथ खाते-पीते हैं। जब एक संकट में होता है दूसरा अपनी जान बचाने की जगह अपने साथी मित्र का साथ देता है। दोनों बैल ध्यान रखते हैं कि खेत में जोताई करते समय दूसरों के कंधों पर ज्यादा भार न हो।

प्रश्न 4.
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आये हैं ?
उत्तर :प्रेमचंद ने अपनी कहानी दो बैलों की कथा के जरिए अनेक नीति-विषयक मूल्यों का वर्णन किया है। कहानी के प्रारंभ में दोनों मित्रों की मित्रता देखते ही बनती है। साथ-साथ खाते-पीते हैं। जब एक संकट में होता है दूसरा अपनी जान बचाने की जगह अपने साथी मित्र का साथ देता है। दोनों बैल ध्यान रखते हैं कि खेत में जोताई करते समय दूसरों के कंधों पर ज्यादा भार न हो।

कांजीहौस में बहुत से जानवर बंदी बना दिए गये थे। दोनों ने मिल कर दीवार को गिरा दिया और असंख्य जानवरों को बचा लिया। यहाँ पर प्रेमचंद ने परोपकार की भावना का वर्णन किया है। कहानी में बालिका भी निःस्वार्थ भाव से दोनों को रोटियाँ खिलाती हैं तब उसकी सौतेली माँ और गया के साथ वे बुरा व्यवहार नहीं करते। नारी पर हमला करना वे अनुचित समझते हैं।

चाहे पशु हो या मनुष्य स्वतंत्रता सभी को अच्छी लगती है। इसलिए कांजीहौस में बंदी किए जाने पर दोनों बैल आजाद होने के लिये प्रयासरत रहते हैं और अंततः स्वतंत्र हो जाते हैं। अपने मालिक के प्रति स्नेह व्यक्त करते हैं। इस प्रकार इस कहानी में लेखक प्रेमचंद ने कई नीतिविषयक मूल्यों की स्थापना की है।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूड़ अर्थ (मूर्ख) का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है ?
उत्तर :गधा सभी प्राणियों में सबसे सीधा जानवर है। उसके इसी सीधेपन के कारण उसे बुद्धिहीन समझा जाता है। उसके चेहरे पर कभी हर्ष और विषाद की रेखा नहीं आती, न कभी असंतोष की भावना। वह हर हाल में एक जैसा ही रहता है। गधे के इसी गुण के कारण लेखक ने रूढ़ अर्थ मूर्खका प्रयोग न कर ऋषिमुनियों के गुणों से उनकी तुलना करते हैं। जैसे ऋषिमुनि सुख-दुःख, हानि-लाभ किसी भी दशा वे एक सरीखे रहते हैं।गधा भी कुछ इसी प्रकार का प्राणी होने के नाते लेखक ने उन्हें सर्वथा नवीन अर्थ में प्रयुक्त किया है। ऋषि-मुनियों के जितने गुण हैं वे सभी गुण उनमें पराकाष्ठा को पहुँच गये हैं। यों गधे में ऋषि-मुनियों के गुण के कारण उनकी तुलना लेखक ने ऋषि-मुनियों से की है जो अपने आप में सर्वथा नए अर्थ की ओर संकेत है।

प्रश्न 5.
किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ?
उत्तर :
दो बैलों की कथा पाठ में अनेक प्रसंग आये हैं जिनसे हमें पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी। दोनों बैल एकदूसरे को चाटकर तथा सूंघकर एकदूसरे के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करते थे। हल में जोते जाने के बाद दोनों बैलों की कोशिश यही रहती कि ज्यादा से ज्यादा भार अपने कंधे पर रहे।

गया ने जब हीरा की पिटाई की तो मोती को अपने मित्र का पिटना अच्छा नहीं लगा और वह हल लेकर भागने लगा जिससे हल जोत हुआ सब टूट गए। साँड़ को सामने देख भागने के बदले दोनों ने संगठित होकर उस पर हमला किया परिणामस्वरूप सांड़ घायल होकर भाग गया। यों दोनों ने सूझबूझ से कामकर एकदूसरे को बचाने की कोशिश की। मटर के खेत में मोती पकड़ा गया। चाहता तो हीरा भाग सकता था किन्तु दोनों की दोस्ती बड़ी गहरी थी।

भागने के बजाय हीरा भी मोती के साथ बंधक बना और कांजीहौस में डाल दिए गये। कांजीहौस में हीरा को मोटी रस्सियों से बाँध दिया गया उस समय भी मोती को अन्य पशुओं के साथ भागने का मौका होने पर भी उसने अपने मित्र का साथ दिया। इस तरह हम कह सकते हैं कि हीरा और मोती में गहरी मित्रता थी।

प्रश्न 6.
लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो। हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
प्रेमचंद ने अपने कथासाहित्य में सर्वत्र नारी के प्रति सम्मान प्रकट किया है यद्यपि उस समय में समाज में नारियों की स्थिति बड़ी भयावह थी। मोती ने लड़की की सौतेली माँ पर जब वार करने की बात कही तब प्रेमचंद ने हीरा द्वारा यह कथन लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।कहलवाकर नारी के प्रति सम्मान की भावना को प्रकट किया है।

प्रायः पुरुषप्रधान समाज में नारियों की स्थिति उस समय ठीक नहीं थी। यों स्त्रियों पर वार करना एक प्रकार से कायरता है। समाज के नियमों के अनुसार भी स्त्रियों को मारना पीटना उचित नहीं। लेखक स्त्रियों की प्रताड़ना का विरोध करते हुए नारी के प्रति सम्मान की भावना व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 7.
किसान जीवनवाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है ?
उत्तर :आदिकाल से ही पशु और मनुष्य का संबंध घनिष्ट और अटूट रहा है। पहले खेती के कार्य तथा कहीं आवागमन के लिए मनुष्य पशुओं का ही सहारा लेता था। दूध आदि भी उसे पशुओं से ही प्राप्त होते हैं। इसलिए मनुष्य इनको पालता था। पालने के कारण मनुष्य और पशुओं में प्रेम हो जाया करता था। दो बैलों की कथा में हमने देखा कि हीरा मोती को अपने मालिक के यहाँ मरना कबूल है किन्तु गया के साथ जाना उन्हें तनिक भी नहीं सुहाता।

हीरा और मोती झूरी काछी के यहाँ रहकर खेती से संबंधित सभी कार्य को पूरी निष्ठा के साथ करते हैं। वे अपने मालिक के प्रति वफादार हैं। कांजीहौस से नीलामी के बाद दढ़ियल द्वारा खरीद लिए जाते हैं, पर जैसे ही परिचित रास्ता मिल जाता है ये अपने मालिक के घर पहुँच जाते हैं। मालिक का साथ मिलने पर मोती ने दढ़ियल का पीछाकर उसे गाँव से बाहर निकाल दिया। यों मनुष्य और पशु के साथ साथ रहने पर उन्हें एकदूसरे से स्नेह हो जाता है। वे भी अपने मालिक के प्रति प्रेम, निष्ठा की भावना प्रकट करते हैं।

प्रश्न 8.
इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे’ – मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
पशु या मनुष्य जीवन का कोई मूल्य नहीं यदि वह किसी के काम न आ सके। मोती पशु होकर परोपकार का कार्य करता है। उसे अपनी जान की परवाह नहीं यदि दढ़ियल द्वारा उसकी मौत भी हो जाती है तो उसकी यह परवाह नहीं करता। अपने इस जीवन से उसे संतोष है कि कम से कम कुछ प्राणियों को बचा पाया है। वे उसे आशीर्वाद तो देंगे।

मोती विद्रोही स्वभाव का होने पर भी परोपकार का कार्य करता हैं जो उसके चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता है। वह एक सच्चा मित्र है। आवश्यकता पड़ने पर अपने मित्र का साथ देता है। भागने का अवसर होने पर भी नहीं भागता। वह अपने मित्र हीरा का साथ नहीं छोड़ता। वह बहुत साहसी और पराक्रमी है। साँड़ को देखकर डरकर भागने की बजाय उससे भिड़ता है और दोनों मित्र मिलकर उसे घायल कर देते हैं।

यो मोती के पात्र द्वारा प्रेमचंद ने एक आदर्श व्यक्ति के गुणों को दर्शाना चाहा है। कहानी में पात्र चाहे कोई भी हो प्रेमचंद अपने आदर्श को नहीं छोड़ते। यह मोती के इस द्वारा फलीभूत होता है।

प्रश्न 9.
आशय स्पष्ट कीजिए :
क. अवश्य ही उनमें ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करनेवाले मनुष्य भी वंचित है।
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से प्रेमचंद कहना चाहते हैं कि सभी जीवों में मनुष्य सर्वश्रेष्ठ जीव होने का दावा करता है। किन्तु जो गुण हीरा और मोती में थे चे गुण मनुष्य में नहीं है। हीरा और मोती गहरे मित्र थे। वे बिना कुछ कहे एकदूसरे के मनोभावों को अच्छी तरह से जान लेते हैं। यह गुप्त शक्ति उनके पास थी। मनुष्य के पास ऐसी गुप्त शक्ति नहीं है जो बिना कहे, दूसरे मनुष्य के मनोभावों को जान सके। स्वतंत्रता के लिए संघर्ष, मैत्री के लिए कुर्बान होने की भावना तथा संतोष आदि हीरा-मोती को एक उत्तम व्यक्ति की तरह प्रस्तुत करते हैं।

ख. उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
उत्तर :
हीरा और मोती को गया के घर बहुत काम करना पड़ता था। किन्तु खाने में उन्हें सूखा भूसा ही दिया जाता था। अपने घर पर उन्हें भूसा के साथ खली, चोकर आदि भी दिया जाता। यहाँ वे मन मसोस कर रह जाते। बैलों के ऊपर हो रहे अत्याचार को बालिका समा गई और रात में उनको रोज एक-एक रोटी खिला जाया करती।

इससे हीरा और मोती की भूख्न तृप्त नहीं होती थी फिर भी स्नेह के कारण जो उन्हें रोटी प्राप्त होती थी वह सारी थकान मिटा देती थी। बालिका द्वारा प्राप्त स्नेह से वे अभिभूत हो उठते थे और उसी स्नेह से उनका पेट भर जाता था। स्नेह में बहुत ताकत होती है। यही ताकत दोनों बैलों को बालिका द्वारा दी जानेवाली रोटी से प्राप्त होती थी और उनका जीवन बसर हो रहा था।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 10.
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर :
हीरा और मोती दोनों ही आजादी के पक्षधर हैं। वे अपने मालिक के यहाँ रहने को तैयार है पर गया के यहाँ उन्हें रहना कतई पसन्द नहीं। वे प्रतिकार करते हैं तो उन्हें बुरी तरह मारा-पीटा जाता है। इसके बाद दोनों बैल कांजीहौस में बंद कर दिये जाते हैं। वहाँ उनकी स्थिति बड़ी दयनीय थी। वहाँ उन्हें चारा-पानी कुछ नहीं दिया जाता था। उस समय हीरा के मन में विद्रोह की ज्वाला दहक उठी और दोनों भागने के लिए दीवार तोड़ते हैं। किन्तु चौकीदार उन्हें देख लेता है और हीरा को बुरी तरह से पीटता है तथा मोटी-सी रस्सी में बाँध देता है।

हीरा के अन्दर अभी भी विद्रोह की ज्वाला दहक रही थी। उसका कहना था कि इस प्रकार घुट-घुटकर जीवन जीने से अच्छा है किसी की जान बचाकर मरना। मोती जोर लगाकर दीवार तोड़ देता है। वहाँ पर अधमरे पशु एक-एक कर चले जाते हैं। किन्तु हीरा को छोड़ कर मोती नहीं जा पाता। दोनों एकदूसरे का साथ संकट की घड़ी में नहीं छोड़ते किन्तु मोती की खूब मरम्मत होती है और उसे भी मोटी रस्सी से बाँध दिया जाता है। यों दोनों शोषण के खिलाफ आवाज तो उठाते हैं किन्तु बदले में उन्हें बहुत कष्ट सहना पड़ता है। उन्हें प्रताड़ना सहनी पड़ती है। किन्तु यही प्रताड़ना उन्हें आजादी की ओर ले जाती है।

प्रश्न 11.
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है ?
उत्तर :
हाँ, बिलकुल। यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है। दोनों बैलों को गुलामी का जीवन पसन्द नहीं। जैसे हमारे भारतीय नागरिकों ने अंग्रेजों के खिलाफ आवाज़ उठाई। संगठित होकर हमने अंग्रेजों का बहिष्कार किया। सैंकड़ों लोगों को अंग्रेजों से प्रताड़ित होना पड़ा। किन्तु यही संघर्ष हमें आजादी की ओर ले जाता है। हीरा और मोती दोनों बैल पहले तो गया से पीछा छुड़ाने के लिए संघर्ष करते हैं, फिर साँड़ से युद्ध करते हैं, कांजीहौस में तो वे गुलामी की बेड़ी को तोड़ने का प्रयास करते हैं और अन्त में अपने मूल मालिक झूरी के पास पहुंच जाते हैं। यों यह कहानी भी आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है।

प्रश्न 12. ‘झूरी इन्हें फूल की छड़ी से भी न छूता था। उसकी टिटकार पर दोनों उड़ने लगते थे।

उत्तर :प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहते हैं कि हीरा और मोती दोनों अपने मालिक के वफादार थे। जी-तोड़ मेहनत करते थे। शाम को खाने में भूसा के साथ खली, चोकर आदि भी दिया जाता। वे बड़े स्नेह के साथ खाते थे। झूरी कभी इन बैलों को मारता नहीं था अपितु स्नेह करता था। झूरी की एक आवाज पर दोनों बैल काम के लिए तत्पर रहते थे। उनकी चाल में फूर्ति आ जाती थी। वे अपने मालिक का काम बड़ी निष्ठा और लगन से करते थे।

प्रश्न 13.
प्रेमालिंगन और चुंबन का वह दृश्य बड़ा ही मनोहर था।।
उत्तर :
झूरी ने अपने दोनों बैलों को खेती का काम करवाने के लिए अपने साले गया को दे दिया। बैलों ने समझा कि उसके मालिक ने उन्हें बेच दिया है। रात को जब सभी लोग सो गए तब वे पगहा तुड़ाकर वापस आ गये। झूरी सुबह दोनों बैलों को चरनी पर देखा तो बड़ा खुश हो गया। बैल भी अपने मालिक को देखकर खुश हो गए। हीरा, मोती और झूरी अपने प्रेम को व्यक्त करने के लिए एकदूसरे को आलिंगन और चुंबन देने लगे। वास्तव में यह दृश्य बड़ा ही मनोहर था। हीरा और मोती अपने मालिक को तथा झूरी अपने बेलों को पाकर बहुत प्रसन्न हुए और आलिंगन तथा चुंबन से अपने प्रेम को अभिव्यक्त किया।

प्रश्न 14.
प्रतिक्षण उनकी चाल तेज होने लगी। सारी थकान, सारी दुर्बलता गायब हो गई।
उत्तर :
हीरा और मोती नीलामी के बाद दढ़ियल के साथ चलने लगे। दोनों भय के मारे काँप रहे थे। अचानक उन्हें लगा कि जिस राह ये जा रहे हैं ये तो परिचित है। वही खेत, वही बाग, वही गाँव दिखाई देने लगे। अपने इलाके में आते ही हीरा और मोती की चाल तेज हो गई। उनकी सारी थकान मिट गई और दुर्बलता भी गायब हो गई। अर्थात् अपने घर की राह मिल जाने पर दोनों बैलों ने राहत की साँस ली। दढ़ियल से पीछा छुड़ाने के लिए वे शीघ्र अपने घर की ओर तेज कदमों से चलने लगे। अपने मालिक के घर का रास्ता मिलते ही उनकी सारी दुर्बलता खत्म हो गई।

प्रश्न 15.
दो बैलों की कथा के आधार पर सिद्ध कीजिए कि एकता में बल है।
उत्तर :
दो बैलों की कथा मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी है। इस पाठ में ऐसे कई प्रसंग आये हैं, जिनमें दोनों बैलों ने एकजुट होकर सामने आई स्थिति का सामना किया है। उसमें विजयी भी हुए। गया जब पहली बार उन्हें अपने घर ले जाता है तो दोनों ने मिलकर उसे खूब परेशान किया। आपसी सूझबूझ से दोनों रात्रि में यहाँ से भाग आये। अपने से भारी भरकम शक्तिशाली साँड़ को पराजित करते हैं।

साँड़ से बचना मुश्किल था किन्तु दोनों ने सलाह कि यदि साँड़ एक पर यार करें तो दूसरे को उसके पेट में सींग मारना है। यह एकता ही परिणाम है। दोनों बैल आपसी समझ और संगठित होकर साँड़ को भी घायल करने में सफल हो जाते हैं। यह भी एकता है। कांजीहौस में दोनों बैलों ने मिलकर दीवार तोड़ दी। यहाँ के अन्य पशुओं को भी आजाद करवा दिया। दढ़ियल को भी अपनी सूझबूझ से भगा दिया था। यों दोनों मित्रों ने आनेवाली हर मुसीबत का सामना मिलजुलकर किया और उसमें विजयी भी हुए। इस प्रकार दो बैलों की कथा यह सिद्ध करती है कि एकता में बल है।

प्रश्न 16
दो बैलों की कथा के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि जानवरों में भी मानवीय संवेदनाएँ होती है।
उत्तर :
जानवरों में भी मानवीय संवेदनाएँ होती हैं। कई प्रसंगों पर वे मनुष्य की तरह ही व्यवहार करते हैं। मनुष्य जब जानवरों को पालते हैं तो ये अपने मालिक के प्रति वफादार हो जाते हैं। उनकी मानवीय संवेदनाएँ दिन-प्रतिदिन के व्यवहार में व्यक्त होने लगती हैं। हीरा और मोती कई वर्षों से साथ में रहते-रहते उनमें भाईचारा हो गया था। दोनों की मित्रता बहुत घनिष्ट थी। एकदूसरे को सूंघ-चाटकर आपसी प्रेम व्यक्त करते थे।

वे गया के साथ नहीं जाना चाहते। अपने मालिक के यहाँ मरने के तैयार हैं। वे बालिका के पिता को चोट इसलिए नहीं पहुँचाना चाहते क्योंकि वह अनाथ हो जाएगी। वे उसके रोटी के मोल को अच्छी तरह जानते थे। नारी जाति के प्रति भी बैलों के अंदर सम्मान की भावना है। स्त्री पर वार करना वे कायरता समझते हैं। अपने जातिबंधु को गुलामी से मुक्त करवाने का साहसपूर्ण कार्य करते हैं।

विपत्ति के समय में एकदूसरे का साथ न छोड़कर सच्चे मित्र का उदाहरण बनते हैं। अपने मालिक के घर पहुँचते ही दढ़ियल को गाँव से बाहर खदेड़ देते हैं। यों पूरी कहानी में दोनों बैलों ने इस प्रकार व्यवहार किया है जैसे कोई मनुष्य करता हो। यों जानवरों में भी मानवीय संवेदनाएँ होती हैं।

प्रश्न 17.
हीरा और मोती दोनों में से कौन अधिक सहनशील है ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर :
हीरा और मोती दोनों बैलों में से हीरा अधिक सहनशील है। ऐसे कई अवसर आये हैं, जब हीरा ने सहनशीलता से काम लिया है। मोती जब मालकिन को उठाकर फेंकने की बात करता है तब हीरा मोती को समझाता है कि औरत जात पर सींग चलाना मना है।गया के घर से आजाद होने पर जब उछल-कूद कर रहे थे तब मोती ने हीरा को कई कदम पीछे ठेल दिया।

यहाँ तक कि हीरा खाई में गिर गया। उसे क्रोध तो बहुत आया किन्तु सहनशील होने के कारण उसने मोती से बदला नहीं लिया और फिर मोती से मिल गया। साँड़ को घायल करने के बाद हीरा ने मोती को समझाया कि गिरे हुए बैरी पर सींग न चलाना चाहिए। मोती को संकट में फंसा देख हीरा भी उसके पास आ जाता है। दोनों को कांजीहौस में बंद कर दिया जाता है। हीरा मोती का वहाँ ढाँढस बंधयाता है कि इतनी जल्दी हिम्मत न हारो। दीवार को तोड़ने की शुरुआत भी हीरा ही करता है।

चौकीदार उसे देख लेता है और मोटी रस्सी से उसे बाँध देता है। दढ़ियल के साथ जाते समय परिचित मार्ग के आने पर मोती दढ़ियल को मारने के लिए कहता है उस समय भी हीरा मना करता है और थान पर चलने के लिए कहता है। उपरोक्त घटनाओं के आधार पर हम कह सकते हैं कि हीरा मोती से अधिक सहनशील था।

प्रश्न 18..
मोती का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर :
मोती झूरी काछी का बैल है। वह पछाई जाति का ऊँचे कद का है। हीरा के साथ उसकी घनिष्ठ मित्रता है। मोती स्वभाव से उग्र था किन्तु हीरा दयालु प्रकृति का था। वह अपने मालिक की सेवा करने के लिए सदैव तत्पर रहता था। मोती अत्याचार को सहन नहीं करता था। जब जरूरत पड़ती तो वह अत्याचार का खुलकर विरोध करता है। गया ने हीरा की नाक पर जब डंडा मारा तो, मोती का गुस्सा काबू के बाहर हो गया, वह हल लेकर भागा। जिसके कारण, हल, रस्सी, जोत सब टूट गये।

हीरा को कोई कष्ट पहुँचाये वह मोती बरदास्त नहीं कर सकता। संकट में मित्र की मदद करना मोती के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता है। मोती में परोपकार की भावना भी है। कांजीहौस में बंदी जानवरों को आजाद कराने में उसकी अहम् भूमिका रही। यो मोती एक सच्चा मित्र है, कांजीहौस में जब हीरा की रस्सी नहीं खुलती तो अन्य जानवरों के साथ भागने के बजाय संकट की घड़ी में अपने मित्र का साथ देता है। मोती के चरित्र में अनेक मानवीय संवेदनाएँ भरी पड़ी है। वह उग्र, दयालु, परोपकारी एवं सच्चा मित्र है।

 19.मुहावरों का अर्थ लिखिए मुहावरों का वाक्य प्रयोग

  • 1. ईंट का जवाब पत्थर से देना कड़ा प्रतिरोध करना
  • 2. बछिया का ताऊ महा मूर्ख होना
  • 3. दाँतों पसीना. आना बहुत ज्यादा परेशान होना
  • 4. कसर न उठा रखना अपनी तरफ से पूरा प्रयास करना
  • 5. कनखियों से देखना तिरछी नजर से देखना
  • इंट से ईंट बजा देना अबकी बार यदि युद्ध हुआ तो भारत पाकिस्तान की ईट से ईंट बजा देगा।
  • बछिया का ताऊ पुलिस ने अनिकेत पर बेकार में चोरी का आरोप लगाया है, वह तो बछिया का ताऊ है।
  • दाँतों पसीना आना चार महीने तक अंतरिक्ष यान में रहकर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के दाँतों पसीने आ गये।
  • कसर न उठा रखना अपने बेटे की पढ़ाई में रमेश ने कोई कसर न उठा रखी थी फिर भी उनका बेटा फेल हो गया।
  • कनखियों से देखना सास की चिकनी-चुपड़ी बातों को सुनकर बहू कनखियों से देखने लगी।


प्रश्न 20.
भाषा-अध्ययन
बस इतना ही काफी है
फिर मैं भी जोर लगाता हूँ।
ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच ऐसे। वाक्य छाँटिएजिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर :
निपातयुक्त पाँच वाक्य 

ही’ निपात 

1.      एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।

2.      नाद में खली-भूसा पड़ जाने के बाद वे दोनों साथ उठतेसाथ नाद में मुँह डालते और साथ ही बैठते थे।

3.      प्रेमालिंगन और चुंबन का यह दृश्य बड़ा ही मनोहर था।

4.      मालकिन मुझे मार ही डालेगी।

5.      आहत सम्मान की व्यथा तो थी हीउस पर मिला सूखा भूसा।

भी’ निपात 

1.      कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है।

2.      लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी हैजो उससे कम ही गधा हैऔर वह है बैल।

3.      जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग करते हैंकुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ में बछिया के ताऊ’ का भी प्रयोग करते हैं।

4.      एक मुँह हटा लेता तो दूसरा भी हटा लेता।

5.      झूरी उन्हें फूल की छड़ी से भी न छूता था।

प्रश्न 21..
रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए :

क. दीवार का गिरना था कि अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
उत्तर :
वाक्यभेद – मिश्रवाक्य
प्रधान वाक्य – दीवार का गिरना था।
संज्ञा उपवाक्य (आश्रित) – अधमरे-से पड़े हुए सभी जानयर चेत उठे।

ख. सहसा एक दढ़ियल आदमीजिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोरआया।
उत्तर :
वाक्यभेद – मिश्र वाक्य
प्रधानवाक्य – सहसा एक दढ़ियल आदमी आया।
आश्रित विशेषण उपवाक्य – जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा एकदम कठोर।

ग. हीरा ने कहा – गया के घर से नाहक भागे।
उत्तर :
वाक्यभेद – मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य – हीरा ने कहा
आश्रित संज्ञा उपवाक्य – गया के घर से नाहक भागे।

घ. मैं बेचूंगातो बिकेंगे।
उत्तर :
वाक्य भेद – मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य – बिकेंगे।
आश्रित क्रियाविशेषण उपवाक्य – मैं बेचूँगातो

ङ. अगर वह मुझे पकड़तातो मैं उसे बेमारे न छोड़ता।
उत्तर :
वाक्य भेद – मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य – तो मैं बे-मारे न छोड़ता। आश्रित क्रियाविशेषण उपवाक्य – अगर वह मुझे पकड़ता। गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिजिए – दुर्योधन – बड़े निठुर हो युधिष्ठिर ! मरणोन्मुख भाई से दुराव करते तुम्हारा हृदय नहीं पसीजता। कुछ क्षणों में ही मैं इस लोक से परे पहुँच जाऊँगा।

मेरे सम्मुख यदि तुम सत्य स्वीकार कर भी लोगे तो तुम्हारे राजत्य को कोई हानि न पहुँचेगी (कराहता है) पर नहींमैं भूल गयातुम तो अपने शत्रु की इस विकल मृत्यु पर प्रसन्न हो रहे होंगे। आज वह हुआ जो तुम चाहते थेऔर जो मैं नहीं चाहता था। मैंने अपने सम्पूर्ण जीवन का एक-एक पल तुम्हारी महत्त्वाकांक्षा की टकराहट से बचने में लगाया। परन्तु मेरे सारे प्रयत्न निष्फल हुएवह देखोवह अन्धेरा बढ़ा आ रहा है।

22. एक पशु-पक्षियों से संबंधित एक अनोखी कहानी: एक त्रिठी

एक गहरे जंगल में, एक खूबसूरत त्रिठी रहती थी। वह जंगल की सभी पशुओं और पक्षियों के बीच मशहूर थी। उसकी सुंदर तालेरी और आकर्षक रंग-बिरंगे पंखों से सभी दिलचस्प कहानियां जुड़ी हुई थीं।

एक दिन, जंगल के पशु-पक्षियों ने एक मिलन समारोह आयोजित किया। इस समारोह में त्रिठी भी आई और सभी को अपनी सुंदर कहानियों से मोह लिया। उसने बताया कि कैसे वह एक समय एक दुष्ट शिकारी से बचाई गई और उसकी माँ की उत्सुकता से भरी आंखों को देखने के बाद वह उसे निर्धनता से बचाने का संकल्प किया था।

त्रिठी की इस कहानी ने जंगल के सभी पशु-पक्षियों को आश्चर्यचकित किया। उन्होंने त्रिठी की साहसिकता और उसके दिल की अच्छाई को सराहा। उन्होंने एक बड़ा समूह बनाया, जिसमें सभी एक-दूसरे की मदद करते थे।

वह दिन से त्रिठी ने पशुओं और पक्षियों के बीच एक नए संबंध की शुरुआत की। उसकी साहसिकता और सदयता ने सभी के दिलों में स्नेह भर दिया। वे सभी मिल-जुलकर खुशियों का जीवन बिताते और त्रिठी की इस कहानी से अब उन्हें न केवल संबल मिला बल्कि साथ मिलकर हर संकट का सामना किया जा सकता था।

त्रिठी ने सभी को यह सिखाया कि जीवन में सभी का सम्मान करना और आपसी मदद करना हमेशा एक समृद्ध संबंध की नींव होता है।

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6.कैदी और कोकिला

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I . प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी?
उत्तर :
आधी रात के समय जब ,कवि कोयल की कूक सुनता है तो उसे लगता है कि जैसे कोयल उसके लिए कोई संदेश लेकर आई है। जो सुबह होने का इंतजार नहीं कर पाई। कोयल या तो पागल हो गई है, या उसने कहीं दावानल अर्थात् क्रांति की लपटें तो नहीं देख ली, जिसके बारे में सबको बताना चाहती है।

प्रश्न 2.
कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई ?
उत्तर :
कवि ने कोयल के बोलने की निम्नलिखित संभावनाएँ बताई हैं :

1.      कोयल पागल हो गई है।

2.      उसने दावानल की ज्वालाएँ देख्न ली हैं।

3.      अत्यंत गंभीर समस्या होने से वह सुबह का इंतजार नहीं कर सकती है।

4.      स्वतंत्रता सेनानियों के मन में देश-प्रेम को और दृढ़ करने आई है।

 

प्रश्न 3.
किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ?
उत्तर :
अंग्रेजों के शासन की तुलना तम से की गई है क्योंकि अंग्रेजों की कार्य प्रणाली अमानवीय थी। वे भारतीयों का शोषण करते थे। उनके अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानेवाले को जेल की काल-कोठरियों में कैद कर देते थे। जहाँ उन पर जुल्म किया जाता था।

 4. भाव स्पष्ट कीजिए :

क. मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो !
ख. हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का फंआ।

उत्तर :
क. भाव मृदुल वैभव की रखवाली से यहाँ कवि का तात्पर्य कोयल के अत्यंत मधुर और कोमल स्यर से है। जिसका गीत सुनकर लोग वाह-वाह ! करते हैं, लेकिन अचानक आधी रात में जब वह वेदनापूर्ण आवाज में चीख उठती है, तो उससे उसकी वेदना का कारण पूछता है।

ख. भाव अंग्रेजी सरकार जेल में कवि से पशुओं के समान कार्य करवाते हैं। बैल के कंधे पर जुआ रखकर पुरवठ द्वारा कुएँ से पानी खिचवाया जाता है, परन्तु अत्याचारी अंग्रेज कवि के पेट पर जुआ बाँधकर कुएँ से पानी खिंचवाते हैं। इस अमानवीय काम को करते समय भी कवि दुःखी नहीं है। उसे लगता है कि अंग्रेज सरकार की अकड़ के कुएँ को खाली कर रहा है अर्थात् सरकार का घमंड चूर-चूर कर रहा है।

प्रश्न 5.
अर्द्ध रात्रि में कोयल की चीन से कवि को क्या अंदेशा है ?
उत्तर :
अर्द्ध रात्रि में कोयल की चीख से कवि को निम्नलिखित अंदेशा है.

1.      कोयल पागल हो गई है।

2.      वह किसी कष्ट में है या कोई संदेश लेकर आई है।

3.      वह स्वतंत्रता सेनानियों के दुःख से दुःखी हो गई है।

4.      उसने स्वतंत्रता की ज्वालाएँ देख ली है।

 

प्रश्न 6.
कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है ?
उत्तर :
कोयल की स्वतंत्रता से कवि को ईर्ष्या हो रही है। कोयल स्वच्छंद रूप से आसमान में उड़ सकती है जबकि कवि दस फुट की काल-कोठरी में कैद है। कोयल मधुर गीत गा सकती है, अपने गीतों पर लोगों की वाह-वाही लूट सकती है, जबकि कवि के लिए रोना भी एक बड़ा गुनाह है जिसके लिए उसे दंडित किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
कबि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है ?
उत्तर :
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कुछ मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल हरी-भरी आम की डालियों पर बैठकर अपना मधुर गीत सुनाती है, उसके मधुर गीतों को सुनकर लोग वाह ! वाह ! करते हैं। उसके गीतों पर किसी का अंकुश नहीं है, यह स्वतंत्रतापूर्वक अपना गीत गाती है। यह सुबह, दोपहर या दिन ढले अपना गीत सुनाती है परन्तु आज यह अर्द्धरात्रि में कूक रही है, उसके गीत में मधुरता नहीं, बल्कि वेदना-सी लग रही है। इस तरह असमय वेदनापूर्ण गीत सुनाकर वह अपनी मधुर स्मृतियों को नष्ट करने पर तुली है।

 

प्रश्न 8.
हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
कवि ने हथकड़ियाँ अपराध करके नहीं पहनी हैं। वह स्वतंत्रता सेनानी है। देश को आजादी दिलाने के लिए ब्रिटिश शासन से लड़ रहा है। कवि के मनोबल को तोड़ने के लिए उन्हें हथकड़ियाँ और बेड़ियों में जकड़ दिया गया है, कधि के लिए यह गौरव की बात है इसलिए हथकड़ियों को गहना कहा गया है।

 

प्रश्न 9.
काली तू ऐ आली !’ – इन पंक्तियों में कालीशब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
उत्तर :
कविता में कालीशब्द की आवृत्ति नौ बार हुई है, जो भिन्न-भिन्न अर्थ में है। कहीं पर कवि ने अंग्रेज सरकार के कुशासन की भयावहता की ओर संकेत किया है, तो कहीं वातावरण की भावहता और निराशा को उजागर किया है।

प्रश्न 10.
आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक जैसा व्यवहार क्यों किया जाता होगा ?
प्रश्न 7.

कबि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है ?
उत्तर :
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कुछ मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल हरी-भरी आम की डालियों पर बैठकर अपना मधुर गीत सुनाती है, उसके मधुर गीतों को सुनकर लोग वाह ! वाह ! करते हैं। उसके गीतों पर किसी का अंकुश नहीं है, यह स्वतंत्रतापूर्वक अपना गीत गाती है। यह सुबह, दोपहर या दिन ढले अपना गीत सुनाती है परन्तु आज यह अर्द्धरात्रि में कूक रही है, उसके गीत में मधुरता नहीं, बल्कि वेदना-सी लग रही है। इस तरह असमय वेदनापूर्ण गीत सुनाकर वह अपनी मधुर स्मृतियों को नष्ट करने पर तुली है।

 

प्रश्न 8.
हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
कवि ने हथकड़ियाँ अपराध करके नहीं पहनी हैं। वह स्वतंत्रता सेनानी है। देश को आजादी दिलाने के लिए ब्रिटिश शासन से लड़ रहा है। कवि के मनोबल को तोड़ने के लिए उन्हें हथकड़ियाँ और बेड़ियों में जकड़ दिया गया है, कधि के लिए यह गौरव की बात है इसलिए हथकड़ियों को गहना कहा गया है।

 प्रश्न 9.

काली तू ऐ आली !’ – इन पंक्तियों में कालीशब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
उत्तर :
कविता में कालीशब्द की आवृत्ति नौ बार हुई है, जो भिन्न-भिन्न अर्थ में है। कहीं पर कवि ने अंग्रेज सरकार के कुशासन की भयावहता की ओर संकेत किया है, तो कहीं वातावरण की भावहता और निराशा को उजागर किया है।

प्रश्न 10.
आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक जैसा व्यवहार क्यों किया जाता होगा ?

उत्तर :
प्रत्येक शासक की दृष्टि में स्वतंत्रता की माँग करना गंभीर अपराध है। इस दृष्टि से अंग्रेज शासकों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को अपराधी मानकर व्यवहार करना, कोई ताज्जुब की बात नहीं। इस कदम द्वारा ये स्वाधीनता आन्दोलन या विद्रोह को कुचल डालना चाहते होंगे।

 

11. भावार्थ एवं अर्थबोधन संबंधी प्रश्न

1. क्या गाती हो ?
क्यों रह-रह जाती हो ?
कोकिल बोलो तो !
क्या लाती हो ?
संदेशा किसका है ?
कोकिल बोलो तो!
ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू,
चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट-भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना !
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है ?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली ?

भावार्थ : कैदी के रूप में कवि कोयल से पूछता है कि वह क्या गाती है और बीच-बीच में चुप क्यों हो जाती है। अपने गीतों के माध्यम से मेरे लिए क्या तुम किसी का संदेश लाई हो ? कवि जेल के अंदर का वर्णन करते हुए कहता है कि हे कोयल ! जेल डाकू, चोर और बदमाशों का घर है। उन सबके बीच हम जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को रखा गया है। जेल में भरपेट भोजन भी नसीब नहीं होता है।

यहाँ न जीने दिया जाता है और न ही मरने दिया जाता है। यहाँ अमानवीय परिस्थितियों में नारकीय जीवन बिताना पड़ रहा है। जेल कर्मचारी हम पर कड़ा पहरा रखते हैं। हमारी हर गतिविधि पर बारीक नजर रखी जाती है। ऐसा लगता है जैसे शासन नहीं बल्कि घोर अन्याय हैं। रात इतनी बीत चुकी है कि अब चन्द्रमा भी हमें निराश कर चला है। अब दुख की इस काली अंधेरी रात में आशा की कोई किरण नहीं है। हे सखि ! इस घोर अंधकारमय वातावरण में तू क्यों जाग रही है और हमें भी जगा रही है ? क्या हमारे लिए कोई संदेश तो नहीं लाई है ?

प्रश्न 1.
ब्रिटिश शासन में जेल में स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था ?
उत्तर :
ब्रिटिश शासन में जेल में स्वतंत्रता सेनानियों को चोर, लुटेरों और बदमाशों के साथ रखा जाता था। न ठीक से जीने दिया जाता था, न मरने। उन्हें अमानवीय परिस्थितियों में नारकीय जीवन बिताना पड़ता था।

प्रश्न 2.
कवि कोयल से क्या पूछता है ?
उत्तर :
कवि कोयल से पूछता है कि घोर अंधेरी रात में असमय क्यों बोल रही हो। क्या किसी का संदेश लेकर आई हो ?

प्रश्न 3.
इस समय कालिमामयी रातका क्या आशय है ?
उत्तर :
इस समय कालिमामयीके माध्यम से कवि ने काली अंधेरी रात के साथ-साथ अंग्रेजों के अमानवीय शासन की ओर संकेत किया है।

2. क्यों हूक पड़ी ?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो !
क्या लूटा ?
मृदुल वैभव की रनवासी-सी,
कोकिल बोलो तो !
क्या हुई बावली ?
अर्द्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो !
किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं ?
कोकिल बोलो तो

भावार्थ : कवि ने कोयल की वेदनापूर्ण आवाज सुनकर पूछा कि हे कोयल ! तुम इस तरह क्यों चीख रही हो ? तुम्हारी वेदना भरी आवाज से लगता है, जैसे तुम्हारा संसार ही लुट गया हो। तुम्हारे पास तो मीठी आवाज़ का खजाना है। फिर इस तरह आधी रात को तुम पागलों की तरह क्यों चीख रही हो ? हे कोयल ! मुझे कुछ बताओ तो सही। कहीं तुमने जंगल में उत्पन्न होनेवाली आग की ज्वालाएँ तो नहीं देख ली, जिसके कारण तुम्हारे मुख से चीख निकल पड़ीं।

प्रश्न 1.
कवि को कोयल की हूक कैसी लग रही है ?
उत्तर :
कवि को कोयल की हूक दर्दभरी लग रही है।

प्रश्न 2.
कवि ने कोयल की आवाज कब सुनी ?
उत्तर :
कवि ने कोयल की आवाज आधी रात को सुनी।

प्रश्न 3.
कवि को कोयल की बोली दर्दभरी क्यों लग रही है ?
उत्तर :

कोयल के पास मीठी बोली का खजाना है। वह पूरे दिन अपनी मीठी आवाज से लोगों के दिलों पर राज करती है, परन्तु वही कोयल असमय आधी रात को क्रंदन कर रही है, इसलिए उसकी बोली दर्दभरी लग रही है।

प्रश्न 4.
कवि ने कोयल को बावली क्यों कहा है ?
उत्तर :

कवि ने कोयल को बावली इसलिए कहा है कि वह असमय आधी रात में कूक रही है। इस समय उसकी कूक सुननेवाला कौन है, सारा संसार तो सोया है। यदि उसे अपना संदेश लोगों तक पहुँचाना है तो दिन के समय बोलना चाहिए।

प्रश्न 5.
वेदना बोझवाली-सीमें कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :

वेदना बोझवाली-सीमें उपमा अलंकार है।

3. क्या ? – देख्न न सकती जंजीरों का गहना ?
हथकड़ियाँ क्यों ? यह ब्रिटिश-राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ ? – जीवन की तान,
गिट्टी पर अंगुलियों ने लिख्ने गान !
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गज़ब ढा रही आली ?

इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो ?
कोकिल बोलो तो!
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो ?

कोकिल बोलो तो ! 

भावार्थ : कवि कोयल से पूछता है कि हे कोयल ! क्या तुम हम स्वतंत्रता सेनानियों के हाथों की हथकड़ियाँ और पैरों की जंजीरों को देख नहीं पा रही हो ? यह ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा पहनाया गया गहना है। सुबह से शाम तक हमें कोल्हू खींचना पड़ता हैं, उससे उत्पन्न चर्रक चूँ की ध्वनि ही हमारे जीवन का गीत बन गया है। यहाँ हम गिट्टियाँ तोड़ते हैं और हमें पेट पर जुआ रखकर पुरवठ खींचना पड़ता है। जिससे हमें लगता है कि हम ब्रिटिश सरकार के अकड़ के कुएँ को खाली कर रहे हैं।

दिन में शायद करुणा को जगाने का समय नहीं मिल पाया होगा इसलिए रात में तुम अपना मधुर स्वर सुनाकर हमें ढाँढस बँधाने आई हो। रात के इस सन्नाटे में तुम अंधकार को चीरती हुई आवाज क्यों कर रही हो। क्या तुम अंग्रेजों के प्रति चुपचाप विद्रोह के बीज बो रही हो। कवि को कोयल के गीत में उम्मीद की किरण नजर आ रही है।

प्रश्न 1.
जंजीरों का गहनाकिसे कहा गया है ?
उत्तर :
जंजीरों का गहनास्वतंत्रता सेनानियों को पहनाई गई हथकड़ियों को कहा गया है।

प्रश्न 2.
जेल में स्वतंत्रता सेनानियों से क्या-क्या काम कराया जाता था ?
उत्तर :
जेल में स्वतंत्रता सेनानियों से कोल्हू चलयाया जाता था, गिट्टी तुड़वाई जाती थी और पेट पर जुआ रखकर पुरवट द्वारा कुएँ से पानी खिंचवाया जाता था।

प्रश्न 3.
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआँसे क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआँसे यह तात्पर्य है कि जेल में स्वतंत्रता सेनानियों का मनोबल तोड़ने के लिए पेट पर जुआ रखकर उनसे कुएँ से पानी खिंचवाया जाता था।

परन्तु यह काम करते समय कवि को लगता है कि जुआ खींचकर वह अंग्रेजों की अकड़ का कुआँ खाली कर रहा है, अर्थात् उनकी अकड़ को चोट पहुँचा रहा है।

प्रश्न 4.
कोयल रात में क्यों गजब ढा रही है ?
उत्तर :
कोयल को दिन में शायद करुणा जगाने का समय नहीं मिल पाया होगा। इसलिए रात में गजब ढा रही है।

प्रश्न 5.
कोयल मधुर विद्रोह-बीज क्यों बो रही है ?
उत्तर :
कोयल स्वतंत्रता सेनानियों में देश-प्रेम और देशभक्ति की भावना को मजबूत बनाना चाहती है, इसीलिए वह मधुर विद्रोह-बीज
बो रही है।

प्रश्न 6.
मधुर विद्रोह-बीजमें कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :मधुर विद्रोह-बीजमें विद्रोह-बीजअर्थात् विद्रोहरुपी बीज। इसलिए विद्रोह और बीज में एकरूपता के कारण सपक अलंकार है। 

4. काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-शृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की व्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली !
इस काले संकट-सागर पर
मरने की, मदमाती !
कोकिल बोलो तो !
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती !
कोकिल बोलो तो !

भावार्थ : कवि ने यहाँ जेल की हर चीज को काला रंगवाला बताया है। काला रंग दुख और अशुभ का प्रतीक है। वह कोयल को संबोधित करते हुए कहता है कि हे कोयल ! तेरा रंग काला है और रात भी काली है। ब्रिटिश सरकार का कामकाज भी काला अर्थात् अन्यायपूर्ण है। देश में अंग्रेजों के प्रति जो लहर उठ रही है, वह भी काली है।

जिस कोठरी में उसे रखा गया है, उसने जो टोपी पहनी है, वह जिस कंबल पर सोता है, सब काला है। उसकी बेड़ियाँ भी काली हैं। बीच-बीच में सुनाई देने वाली पहरेदारों की तेज आवाज साँपिन की तरह लगती है। इतने दुःखमय वातावरण रहनेवाले कैदियों ऊपर से गाली भी मिलती है। हे कोयल ! इस संकट के काले सागर में तुम मरने के लिए क्यों आई हो ? तुम इतनी उतावली क्यों हो रही हो, कुछ तो बोलो। तुम इन विपरीत परिस्थितियों में अपने चमकीले गीतों को कैसे गा लेती हो, कुछ तो बोलो।

प्रश्न 1.
काव्यांश में कालीशब्द की पुनरावृत्ति से कैसा वातावरण उपस्थित हुआ ?
उत्तर :
काव्यांश में कालीशब्द की पुनरावृत्ति से भय और डर का वातावरण उपस्थित हुआ है।

प्रश्न 2.
पहरेदार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कैसा व्यवहार करते है ?
उत्तर :
पहरेदार स्वतंत्रता सेनानियों के साथ बड़ा ही अमानवीय व्यवहार करते हैं। ये स्वतंत्रता सेनानियों पर अत्याचार तो कर ही रहे हैं, और बात-बात पर गालियाँ भी दे रहे हैं।

प्रश्न 3.
किन-किन वस्तुओं को काली बताया गया है ?
उत्तर :
कोयल, रात्रि, शासन की करनी, कवि की हथकड़ी, काल कोठरी, टोपी, कंबल, निराशा की लहर और मन में उठनेवाली कल्पनाओं को काली बताया गया है।

प्रश्न 4.
कोयल के गीत को कवि ने चमकीले गीतक्यों कहा है ?
उत्तर :
कोयल के गीत को कवि ने चमकीले गीतइसलिए कहा है कि ये गीत जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को उत्साहित कर रहे हैं। अन्य भारतीयों में भी देश-प्रेम और देशभक्ति की भावना को बल दे रहा है।।

प्रश्न 5.
मेरी काल कोठरी कालीऔर इस काले संकट-सागर परमें कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
i. ‘
मेरी काल कोठरी कालीमें वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।
ii. ‘
इस काले संकट-सागर परमें संकट और सागर के बीच एकरूपता बताई गई है, इसलिए यहाँ रूपक अलंकार है।

5. तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली !
तेरा नभ-भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार !
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह !
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी !
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ ?
कोकिल बोलो तो !
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर हूँ !
कोकिल बोलो तो !

भावार्थ : कवि अपनी और कोयल की तुलना करते हुए कहता है कि तुझे रहने के लिए हरे-भरे पेड़ों की डालियों मिली हैं जबकि मेरे नसीब में हरियाली नहीं है बल्कि जेल की काल कोठरी है। जहाँ नाना प्रकार की यातनाएँ हैं। तुम खुले आसमान में उड़ सकती हो जबकि मेरा संसार दस फुट की कोठरी में सिमटकर रह गया है।

तुम्हारे मीठे-मीठे गीतों को सुनकर लोग बाह-वाह करते नहीं थकते हैं और मेरा रोना भी अपराध समझा जाता है। हे कोयल ! तुम्हारी और मेरी स्थिति में जमीन-आसमान का अंतर है। मैं गुलाम हूँ और तुम आजाद। इसके बाद भी तू रणभेरी बजाकर लोगों को आजादी के लिए प्रेरित कर रही है। कोयल तुम्हारी इस हुंकार पर ओजस्वी रचनाएँ लिखने के अतिरिक्त भला और मैं क्या कर सकता हूँ। आज गाँधीजी का संकल्प पूरा हो, उसके लिए अपनी ऊर्जा किसमें भर दूं, कुछ तो बोलो कोयल।

प्रश्न 1.
कवि और कोयल के जीवन में क्या विषमता है ?
उत्तर :
कोयल हरे-भरे पेड़ों की डालियों पर स्वच्छंदता से उड़ती फिर रही है, वहीं कवि दस फुट की कोठरी मे जीवन बिता रहा है। कोयल गाती है तो लोग वाह-वाह करते हैं जबकि कवि के लिए रोना भी अपराध है। वह अपनी बात किसी से नहीं कह सकता है।

प्रश्न 2.
कवि काली कोठरी में क्यों रह रहा है ?
उत्तर :
कवि स्वतंत्रता सेनानी है। वह अपनी रचनाओं से देशवासियों को आजादी के लिए प्रेरित कर रहा था इसलिए अंग्रेजों ने उसे काली कोठरी में कैद कर दिया है।

प्रश्न 3.
कोयल किस प्रकार रणभेरी बजा रही है ?
उत्तर :
कोयल अपने गीतों के माध्यम से ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष के लिए एक तरफ जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों का मनोबल दृढ़ कर रही है तो दूसरी तरफ पूरे देश में विचरण करके स्वतंत्रता के लिए लोगों को बलिदान देने के लिए प्रेरित। कर रही है।

प्रश्न 4.
कवि के लिए रोना क्यों गुनाह है ?
उत्तर :
कवि को ऊँची-ऊँची दीवारों के बीच कैद करके रखा गया है। जहाँ अमानवीय परिस्थितियों में रहते हुए उसे नाटकीय जीवन बिताना पड़ रहा है। उन पर इतना कड़ा पहरा है कि वे आपस में एकदूसरे से बात करके मन भी नहीं हलका कर सकते हैं इसीलिए कवि ने कहा है कि यहाँ रोना भी गुनाह है।

प्रश्न 5.
कवि किसके व्रत पर क्या करने को तैयार है ?
उत्तर :
कवि महात्मा गाँधी के व्रत पर देश की आजादी के खातिर अपने प्राणों का उत्सर्ग करने को तैयार है।

प्रश्न 6.
काव्यांश से अनुप्रास अलंकार का उदाहरण ढूँढकर लिजिए।
उत्तर :
कृति से और कहो क्या कर दूँपंक्ति में वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।

कैदी और कोकिला Summary in Hindi

माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई गाँव में हुआ था। इन्होंने हिन्दी एवं संस्कृत का अध्ययनअध्यापन किया। वे मात्र 16 वर्ष की उम्र में शिक्षक बन गए थे। इन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं का संपादन किया। वे देशभक्त कवि और प्रखर पत्रकार थे। इनकी कविताओं में आपबीती और देश पर बीती घटनाओं का वर्णन है। मात्र उन्नीस साल के थे तभी इनकी पत्नी का देहांत हो गया था। इनकी कविताओं में पीड़ा का स्वर फूट पड़ा।

हिमकिरीटनी, साहित्यदेवता, हिम तरंगिनी, वेणु लों गूंजे धरा, युग चरण और समर्पण उनकी प्रमुख्न रचनाएँ हैं। कृष्णार्जुन। इनका प्रसिद्ध नाटक है। उन्हें पद्मभूषण एवं साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

कविता परिचय :

कैदी और कोकिलाकविता कवि ने उस समय लिखी जब देश ब्रिटिश शासन के गुलाम था। अंग्रेज सरकार भारतीयों का शोषण करती थी और स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जेल में अमानवीय व्यवहार करती थी। उन स्वतंत्रता सेनानियों में कवि स्वयं भी था। जेल में वह उदास और एकाकी जीवन जी रहा था। कोयल से अपने मन का दुःख, असंतोष और अंग्रेज सरकार के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करते हुए वह कहता है कि यह समय मधुर गीत गाने का नहीं बल्कि दासता से मुक्ति का गीत सुनाने का है। जब कोयल आधी रात को चीख उठी तो कवि को लगा कि जैसे कोयल भी पूरे देश को एक कारागार समझने लगी है।

शब्दार्थ-टिप्पण :

  • रह-रह जाती हो बोलते-बोलते रूक जाना
  • बटमार रास्ते में यात्रियों को लूट लेनेवाला
  • डेरे में निवास में
  • तम अंधकार
  • हिमकर चंद्रमा
  • आली सखी
  • हुक पड़ी चीख पड़ी
  • वेदना पीड़ा
  • मृदुल कोमल, मधुर
  • वैभव धन-दौलत
  • बावली पगली
  • दावानल जंगल में उत्पन्न होनेवाली आग
  • चर्रक चूँ कोल्हू चलने से उत्पन्न ध्वनि
  • गिट्टी पत्थर के छोटे टुकड़े
  • मोट पुर, चरसा
  • चमड़े का बड़ा-सा पात्र जिससे कुएँ आदि से पानी निकाला जाता है
  • जूआ जुआठा, बैलों के कंधे पर रखी जानेवाली लकड़ी
  • बेधना चीरना
  • रजनी रात
  • कमली कंबल
  • लौह-शृंखला बेड़ियाँ
  • हुंकृति हुंकार
  • ब्यानी सर्पिणी
  • तिस पर उस पर
  • संचार आवागमन
  • विषमता अंतर
  • मोहन मोहनदास करमचंद गाँधी
  • आसव रस, उत्तेजना
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7.नाना साहब की पुत्री 

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प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
बालिका मैना ने सेनापति हेको कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया ?
उत्तर :
बालिका मैना ने सेनापति हेको महल न तोड़ने का निवेदन किया और कहा कि आपके विरुद्ध जिन्होंने शस्त्र उठाये थे, वे दोषी हैं पर इस जड़ पदार्थ (महल) ने आपका क्या अपराध किया है । मेरा उद्देश्य इतना है कि यह स्थान मुझो बहुत प्रिय है, इसी से मैं प्रार्थना करती हूँ कि इस महल की रक्षा कीजिए ।

बालिका मैना ने सेनापति हेको स्मरण कराया कि यह उसकी पुत्री और सहचरी रही हैं । कभी सेनापति भी उनके घर आते थे और बालिका को प्यार करते थे । उनकी बेटी की एक चिट्ठी अभी भी उसके पास है । इसके द्वारा बालिका मैना हेको पुराने संबंध की याद दिलाती है, जिससे की वे महल को न तोड़े और उसकी रक्षा करें ।

प्रश्न 2.
मैना जड़ पदार्थ को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे, क्यों ?
उत्तर :
मैना जड़ पदार्थ अर्थात् अपने पिता का राजमहल बचाना चाहती थी । उसके पिता का यह महल उसे बहुत प्रिय था, वह अपने पिता के उसी राजमहल में पली बढ़ी थी, उसका बचपन वहीं बीता था । इसके विपरीत नाना साहब ने अंग्रेजों से बगावत करके असंख्य अंग्रेजों का नरसंहार किया था । इसलिए अंग्रेज नाना साहब के किसी भी रिश्तेदार भाई, कन्या या उनसे संबंधित किसी भी स्मृति-चिह्न को साबुत नहीं छोड़ना चाहते थे । यही कारण है कि मैना उस जड़ पदार्थ को बचाना चाहती थी और अंग्रेज उसे नष्ट करना चाहते थे ।

प्रश्न 3.
सर टामस हेके मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे ?
उत्तर :
सर टामस हेके मैना पर दया-भाव दिखाने के कई कारण थे

1. मैना और हेकी पुत्री मेरी दोनों सहचरी थीं ।
2.
सेनापति हेनाना साहब के घर आया-जाया करते थे । अर्थात् उनमें पहले से ही मित्रता के संबंध थे ।
3.
सेनापति हेमैना को अपनी पुत्री के समान प्यार करते थे । अतः सेनापति हेको मैना अपनी ही पुत्री के समान नजर आने लगी ।
4.
सेनापति हेकी पुत्री मेरी का दुःखद निधन हो चुका था । मैना में उन्हें अपनी पुत्री की छवि दिखाई देने लगी ।
5.
ये सहृदय और संवेदनशील थे । इसलिए सर टामस हेने मैना पर दया-भाव दिखाया ।

प्रश्न 4.
मैना की अंतिम इच्छा थी कि उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भर रो ले लेकिन पाषाण हृदयवाले जनरल ने किस भाव से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी ?
उत्तर :
पाषाण-हृदयी जनरल अंग्रेज सरकार का नौकर था । वह अंग्रेजों के प्रति अपनी वफादारी साबित करना चाहता था । यदि मैना को छोड़ दिया जाय तो अन्य लोग पुनः विद्रोह कर सकते थे । पुनः दूसरा कोई ऐसा दुष्कृत्य न कर सके । मैना रात्रि के समय विलाप करती तो उसकी आवाज दूर-दूर तक जाती और संभवतः बहुत से लोग वहाँ एकत्रित होते और नाना साहब के आन्दोलन को और भी वेग मिलता । इन सभी संभावनाओं से डरकर पाषाण हृदयवाले जनरल ने नाना के प्रति घृणा भाव से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी ।

प्रश्न 5.
बालिका मैना की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर :
बालिका मैना की निम्नलिखित विशेषताओं ने मुझे आकर्षित किया, जिसे मैं अपनाना चाहूँगा ।

1. तार्किकता : मैना में वाक्पटुता का गुण है । वह सेनापति हेको महल की रक्षा करने के लिए तर्क देकर तैयार कर । लेती है ।
2.
साहस : मैना साहसी बालिका है । सेनापति हेके सभी सवालों का जवाब साहस से देती है और रात्रि के समय उसके रोने की आवाज सुनकर कई सैनिक उससे प्रश्न पूछते हैं किन्तु वह तनिक भी डरी नहीं । अतः मैना में साहस कूट-कूट कर भरा था ।
मातृभूमि के प्रति लगाव : मैना अपने पिता के महल अर्थात् अपनी मातृभूमि के प्रति अत्यधिक प्रेम है । इसीलिए वह इस महल को बचाना चाहती थी । अंतिम समय में भी वह अपनी जन्मभूमि पर जी भरकर रो लेना चाहती थी । ग्रह मैना का अपनी जन्मभूमि के प्रति प्रेम ही तो दर्शाता है । मैं उपर्युक्त विशेषताओं को अपने जीवन में अपनाना चाहूँगा ।

प्रश्न 6.
टाइम्सपत्र ने 6 सितंबर को लिखा था – ‘बड़े दुःख का विषय है कि भारत सरकार आजतक उस दुर्दान्त नाना साहब को
नहीं पकड़ सकी ।इस वाक्य में भारत सरकार से क्या आशय है ?
उत्तर :
इस वाक्य में भारत सरकार से आशय है गुलाम भारत में ब्रिटिश शासन के निर्देश पर चलनेवाली यह सरकार जिसे अंग्रेज अधिकारी चलाते थे । कहने के लिए भारत सरकार .थी पर उसकी डोर ब्रिटिशरों के हाथों में थी ।

7.स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी?

स्वाधीनता आंदोलन को बढ़ाने में इस प्रकार के लेखों की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही होगी। लोग जब अंग्रेजों के अत्याचारों को पढ़ते होंगे तो उनके विरुद्ध हो जाते होंगे। जब वे मैना जैसी निडर बालिका के निर्मम वध की बात सुनते होंगे तो उनका हृदय करुणा से भर उठता होगा। तब उनका मन त्याग, बलिदान और संघर्ष के लिए तैयार हो जाता होगा।

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है । इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़े ।
उत्तर :
अब एक विशेष समाचार कल शाम 7 बजे कानपुर के किले में एक भयानक हत्याकांड हो गया । यह जघन्यकांड अंग्रेजों द्वारा किया गया । हम आपको बताना चाहते हैं कि कल आधी रात में नाना साहब की बालिका मैना को अउटरम ने उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वह रात्रि के समय अपने भग्न महल पर विलाप कर रही थी । बेरहम जनरल ने मैना की जी भर के रोने की अंतिम इच्छा पूर्ण करने से इन्कार कर दिया और उसे कानपुर के जेल में बंदी बनाकर भेज दिया । आगे हमारे संवाददाता श्री मोहन मिश्रा ने बताया कि आज रात योजनाबद्ध ढंग से मैना को धधकती आग में डालकर उसकी क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई । स्थानीय लोगों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाकर घटना की जाँच कराने की मांग की है ।

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है । इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़े ।
उत्तर :
अब एक विशेष समाचार कल शाम 7 बजे कानपुर के किले में एक भयानक हत्याकांड हो गया । यह जघन्यकांड अंग्रेजों द्वारा किया गया । हम आपको बताना चाहते हैं कि कल आधी रात में नाना साहब की बालिका मैना को अउटरम ने उस समय गिरफ्तार कर लिया जब वह रात्रि के समय अपने भग्न महल पर विलाप कर रही थी । बेरहम जनरल ने मैना की जी भर के रोने की अंतिम इच्छा पूर्ण करने से इन्कार कर दिया और उसे कानपुर के जेल में बंदी बनाकर भेज दिया । आगे हमारे संवाददाता श्री मोहन मिश्रा ने बताया कि आज रात योजनाबद्ध ढंग से मैना को धधकती आग में डालकर उसकी क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई । स्थानीय लोगों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाकर घटना की जाँच कराने की मांग की है ।

प्रश्न 9.
इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप की झलक मिलती है । लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली
में लिखी जाती हैं । आप
(
क) कोई दो खबरों को किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए ।
(
ख) अपने आस-पास की किसी घटना का वर्णन रिपोतार्ज शैली में कीजिए ।
उत्तर :
(
क) छात्र अपनी इच्छानुसार किसी अखबार से दो खबरों को काटकर अपनी कॉपी में चिपकाएँगे तथा कक्षा में सुनाएंगे ।
(
ख) अपने आस-पास की घटना का रिपोतार्ज शैली में वर्णन :
बटवा में पानी के लिए विधायक का घेराव
अहमदाबाद (मुख्य संवाददाता),
पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे वटवा निवासियों ने विधायक के घर घेराव किया । पिछले कई दिनों से बटवा वार्ड के लोग पीने के पानी की समस्या का सामना कर रहे हैं । गर्मी के इन दिनों में जहाँ पानी की जरूरत ज्यादा होती है वहीं ये नागरिक एक-एक बूंद पानी के लिए मुहताज हैं । यहाँ के स्थानीय लोगों ने इसके पहले भी नगर निगम में पानी की समस्या से लिखित में अवगत कराया है । पर अधिकारियों ने इस समस्या पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया । हार कर यहाँ के स्थानीय लोगों ने विधायक के घर जाकर घेराव किया । नारेबाजी की । शीघ्र समस्या के निराकरण की गुहार लगाई । विधायक महोदय ने अग्रणी लोगों से इस विषय पर चर्चा की और जल्द ही पीने के पानी को हल करवाने का आश्वासन दिया ।

प्रश्न 10.
आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो ।
उत्तर :
पिछले वर्ष हमारा विद्यालय नारेश्वर प्रवास पर गया हुआ था । सभी लोग नर्मदा के मनोरम दृश्य को देखने में व्यस्त थे । कुछ लोग नर्मदा के किनारे पानी में घुस गये । वे पानी में धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे । तभी अचानक पानी का जल स्तर बढ़ने लगा । एक बालक जिसका नाम रोहित था, उसका पैर फिसल गया और यह पानी में डूबने लगा ।

तभी हमारी कक्षा का एक लड़का वैश्विक चौधरी पानी में छलांग मारकर तुरंत उस बालक का हाथ पकड़ लिया और तैरते हुए उसे बाहर निकाल लिया । सभी के जीव तलवे पर चिपके हुए थे । रोहित के पेट में पानी घुस गया था । उसे हाथों से पंप करके पानी निकाला गया और उसे अस्पताल ले जाया गया । जहाँ डॉक्टरों ने बताया कि रोहित एकदम सरक्षित है । तब सभी बच्चों और शिक्षकों ने राहत की साँस ली । अगले दिन विद्यालय की प्रार्थना सभा में वैश्विक को सम्मानित किया । रोहित के माता-पिता ने भी वैश्विक का शुक्रिया अदा किया ।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 11.
भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है । इस पाठ में हिंदी गद्य का प्रारंभिक रूप व्यक्त हुआ है, जो लगभग 75-80 वर्ष पहले था । इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिंदी रूप में लिखिए :
अनुच्छेद : लण्डन के मन्त्रिमंडल कुछ नहीं हो सकता ।
उत्तर :
लंडन के मंत्रिमंडल का यह मत है कि नाना का स्मृति चिन तक मिटा दिया जाए । इसलिए वहाँ की आज्ञा के विरुद्ध कुछ नहीं हो सकता ।

 

 7.ग्राम श्री

 

भावार्थ और अर्थबोधन संबंधी प्रश्न

1. फैली खेतों में दूर तलक
मखमल की कोमल हरियाली,
लिपटीं जिससे रवि की किरणें
चाँदी की सी उजली जाली !
तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भू तल पर झुका हुआ
नभ का चिर निर्मल नील फलक !

भावार्थ : गाँव की प्राकृतिक सुषमा और समृद्धि का मनोहारी वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि गाँव के खेतों में दूर-दूर तक मखमली कोमल हरियाली फैली हुई है। उस पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं तो लगता है कि जैसे चाँदी की जाली बिछी हुई है। जब हरे-हरे तिनके हिलते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे उनमें हरा रक्त बह रहा हो। हरी-भरी धरती पर फैला आसमान मानो धरती को बाहों में भरने के लिए झुका हुआ है।

प्रश्न 1.


हरियाली को मखमली क्यों कहा गया है ?
उत्तर :गाँव के खेतों में हरी-भरी फसलें लहरा रही हैं। उनके तने और पत्तियाँ एकदम कोमल हैं इसीलिए कवि ने हरियाली को मखमली कहा है।

प्रश्न 2.
हरियाली पर फैली सूरज की किरणें कैसी लग रही है ?
उत्तर :
हरियाली पर फैली सूरज की किरणें उस पर लिपटी चाँदी की जाली जैसी सफेद लग रही हैं।

प्रश्न 3.
भूतल पर कौन झुका हुआ है ?
उत्तर :
भूतल पर नीला आसमान झुका हुआ है।

प्रश्न 4.
हरियाली का सौन्दर्य किसके कारण बढ़ रहा है और क्यों ?
उत्तर :
हरियाली का सौन्दर्य सूर्य के कारण बढ़ रहा है। दूर-दूर तक मखमल जैसी कोमल हरियाली फैली हुई है। उस मखमली हरियाली पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो ऐसा लगता है कि चाँदी की सफेद जाली हो।

प्रश्न 5.
स्वच्छ आसमान को देखकर कवि क्या कल्पना करता है ?
उत्तर :
स्वच्छ आसमान को देखकर कवि को लगता है कि नीला आसमान मानो धरती को बाहों में भरने के लिए झुका हुआ है।

प्रश्न 6.
चाँदी की सी उजली जालीमें कौन-सा अलंकार है ?
 

उत्तर :
चाँदी की सी उजली जालीमें उपमा अलंकार है।

2. रोमांचित सी लगती वसुधा
आई जौ गेहूँ में बाली,
अरहर सनई की सोने की
किंकिणियाँ हैं शोभाशाली !
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध
फूली सरसों पीली पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही
नीलम की कलि, तीसी नीली !

भावार्थ : कवि कहते हैं कि जौ और गेहूँ में बालियाँ आ जाने से धरती खुशी और रोमांच से भर गई है। अरहर और सनई में फलियाँ लग गई हैं, वे पक कर सुनहली हो गई हैं, हिलने पर उनमें से मधुर ध्वनि निकलती है। ऐसा लगता है कि धरती की करधनी में लगे घुघरूँ हों, जो बजकर रोमांच को बढ़ा रहे हैं। चारों ओर सरसों के फूल हैं, जो समूचे वातावरण में अपनी तैलीय गंध बिखेर रहे हैं। इसी समय हरी-भरी धरती से अलसी के नीले फूल नीलम पत्थर के नगीने की तरह दिखाई दे रहे हैं।

प्रश्न 1.
वसुधा रोमांचित सी क्यों लगती है ?
उत्तर :
वसुधा पर इस समय गेहूँ और जौ में बालियाँ लग गई हैं। अरहर और सनई की फलियाँ पककर दानेदार हो गई हैं जो हर हवा के झोंके पर करधनी में लगे धुंघरूओं की तरह बजती हैं। हर दिशा में सरसों के पीले-पीले फूल नजर आ रहे हैं, जो समूचे वातावरण में अपनी तैलीय गंध बिखेर रहे हैं। इस तरह, अपना ऐसा सौन्दर्य देखकर वसुधा रोमांचित-सी लग रही है।

प्रश्न 2.
अरहर और सनई खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं ?

उत्तर :
अरहर और सनई की फसलों में लगी फलियाँ अब पककर सुनहली हो गई है। उनमें दाने पुष्ट हो गए हैं। हवा के हर छोके। के साथ करधनी में लगे धुंघरुओं की तरह बजते हैं। इस तरह, अरहर और सनई के खेत के कारण पृथ्वी का रोमांच प्रदर्शित हो रहा है।

प्रश्न 3.
सरसों का वातावरण पर क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर :
समूची धरती सरसों के पीले-पीले फूलों से सुशोभित हो रही है। उन सरसों के पीले फूलों से तैलीय गंध निकल रही है, जिसने वातावरण को सुगंधित और मादक बना दिया है।

प्रश्न 4.
तीसी नीलीसे क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
तीसी के पौधे छोटे होते हैं और उनके फूल नीले होते है। हरी-भरी धरती के बीच उनके नीले-नीले फूलों को देखकर लगता है कि जैसे वे छोटे-छोटे नीलम पत्थर के नगीने हों।

प्रश्न 5.
काव्यांश में किन फसलों का उल्लेख किया गया है ?
उत्तर :
काव्यांश में गेहूँ, जौ, अरहर, सनई, सरसों और तीसी की फसल का उल्लेख किया गया है।

3. रंग रंग के फूलों में रिलमिल
हँस रही सखियाँ मटर खड़ी,
मखमली पेटियों सी लटकीं
छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी !
फिरती हैं रंग रंग की तितली
रंग रंग के फूलों पर सुंदर,
फूले फिरते हैं फूल स्वयं
उड़ उड़ वृंतों से वृंतों पर !

भावार्थ : कवि कहते हैं कि खेतों में रंग-बिरंगे फूल खिल उठे हैं। बैंगनी और सफेद फूलोंवाली मटर को देखकर ऐसा लगता है कि मटर सजियों के साथ हँस रही हों। दूसरी तरफ उनमें सुनहली फलियाँ भी लटक रही है, जिसे देखकर लगता है कि वे मखमली पेटियों में किसी रत्न को छिपाए हुए हैं। रंग-बिरंगी तितलियाँ भाँति-भाँति के सुंदर फूलों पर उड़ रही हैं। हवा के झोंके से जब फूल एक डाली से दूसरी डाली को छूते है तो लगता है कि वे खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं।

प्रश्न 1.
मटर के पौधे कैसे नजर आ रहे हैं ?
उत्तर :
मटर के पौधों पर रंग-बिरंगे फूल आ गए हैं। उन मखमली पेटियों की तरह फलियाँ लटक रही हैं। इस तरह, वे बेहद खूब नज़र आ रहे हैं।

प्रश्न 2.
मटर की फलियों की तुलना किससे की गई है, और क्यों ?
उत्तर :
मटर की फलियों की तुलना कवि ने मखमली पेटियों से की है। ये फलियाँ मखमल के समान कोमल हैं।

प्रश्न 3.
मटर के पौधे हँसते हुए क्यों दिखाई दे रहे हैं ?
उत्तर :
मटर के पौधों में भिन्न-भिन्न रंग के फूल खिल गए हैं। जिन्हें देखकर कवि को लगता है कि मटर के पौधे हँस रहे हैं।

प्रश्न 4.
तितलियों और फूलों में क्या समानता है ?
उत्तर :
तितलियाँ रंग-बिरंगी हैं, फूल भी उसी तरह रंग-बिरंगे हैं। तेज हवा के झोंके के साथ जब
फूल एक डाली से दूसरी डाली को छूते हैं तो तितलियों के समान ही खुशी से उड़ते हुए प्रतीत होते हैं।

प्रश्न 5.
उपमा अलंकार का एक उदाहरण लिजिए।
उत्तर :
मखमली पेटियों सी लटकी छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी !उपर्युक्त पंक्तियों में छीमियोंकी तुलना मखमली पेटीसे की गई है, अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

5. अब रजत स्वर्ण मंजरियों से
लद गई आम्र तरु की डाली,
झर रहे ढाक, पीपल के दल, प्रश्न 6.
काव्यांश में किस भाषा का प्रयोग हुआ है ?
उत्तर :
काव्यांश में तत्सम युक्त खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है।

6. बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
सुंदर लगती सरपत छाई
तट पर तरबूजों की खेती;
अँगुली की कंघी से बगुले
कलँगी संवारते हैं कोई,
तिरते जल में सुरवाब, पुलिन पर
मगरौठी रहती सोई !

भावार्थ : कवि कहते हैं कि गंगा के किनारे सतरंगी रेत पर बनी टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें देखकर लगता है जैसे वे लकीरें साँपों के आनेजाने से बनी हों। नदी किनारे पर तरबूजों की खेती और रखवाली के लिए बनाई गई सरपत की झोपड़ियों बड़ी सुंदर लग रही हैं। तट पर पानी में खड़े बगुले सिर खुजला रहे हैं, जिसे देखकर लगता है कि वे अपनी अंगुली से अपनी कलँगी में कंघी कर रहे हैं। पानी में सुरखाब तैर रहे हैं और किनारे पर मुरगाबी (मगरौठी) नामक पक्षी सोई हुई है।

प्रश्न 1.
गंगा की रेती को सतरंगी क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
गंगा की रेती सूर्यप्रकाश में चमकती है और प्रकाश विभाजन के कारण रंग-बिरंगी दिखाई देती है इसीलिए गंगा की रेती को सतरंगी कहा गया है।

प्रश्न 2.
बालू पर साँपों के चलने से बने निशान जैसे क्यों दिखाई दे रहे हैं ?
उत्तर :
बालू पर पानी की लहरों से टेढ़े-मेढ़े निशान बन जाते हैं, उन टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं को देख्नने से लगता है कि जैसे ये साँपों के चलने से बनी हों।

प्रश्न 3.
पानी में खड़े बगुले क्या कर रहे हैं ?
उत्तर :
पानी में खड़े बगुले पैर से सिर खुजला रहे हैं, ऐसा लगता है जैसे बालों में कंधी कर रहे हों।

प्रश्न 4.
कौन-सा पक्षी तट पर सोया पड़ा है ?
उत्तर :
मगरौठी (गुरगाबी) पक्षी तट पर सोई पड़ी है।

प्रश्न 5.
बालू के साँपों से अंकितमें कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :

बालू के साँपों से अंकितमें उपमा अलंकार है।

 


हो उठी कोकिला मतवाली !
महके कटहल, मुकुलित जामुन,
जंगल में झरबेरी झुली,
फूले आडू, नींबू, दाडिम,
आलू, गोभी, बैंगन, मूली !

भावार्थ : कवि कहते हैं कि आम के पेड़ की डालियाँ सोने-चाँदी की मंजरियों से लद गई हैं। ढाक और पीपल के पत्ते गिरने लगे हैं। कोयल वसंत ऋतु की मादकता में मतवाली हो गई है। अर्थात् आम डालियों पर बैठकर कूकने लगी है। कटहल के पेड़ों और जामुन के अधखिले फूलों से सारा वातावरण महक उठा है। जंगल में झरबेरी की झाड़ियाँ फूलों से लदकर लटक गई हैं। आड़ के पेड़ में फूल आ गए हैं, नीबू और अनार फलों से लद गए है। खेतों में आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि सब्जियाँ लहलहा रही हैं।

प्रश्न 1.
आम के पेड़ का सौन्दर्य कैसा है ?
उत्तर :
आम के पेड़ पर सोने-चाँदी जैसी चमकदार मंजरियाँ आ गई हैं, जिनसे खुश्बू निकल रही है। कोयल कूक कूककर मतवाली
हो गई है। इस तरह, आम का पेड़ बेहद सुंदर लग रहा है।

प्रश्न 2.
ढाक और पीपल के वृक्ष कैसे हो गए हैं ?
उत्तर :
ढाक और पीपल के वृक्ष के पत्ते गिर रहे है। उनमें एक तरफ पत्ते गिर रहे हैं तो दूसरी तरफ नए पत्ते आ रहे हैं।

प्रश्न 3.
किन पेड़ों के फूल से वातावरण सुगंधित हो गया है ?
उत्तर :आम, करहल, जामुन, झरबेरी, आड़, नींबू, अनार आदि के पेड़ों के फूल से वातावरण सुगंधित हो गया है।

प्रश्न 4.
कवि ने किन सब्जियों का उल्लेख किया है ?
उत्तर :
कवि ने आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि सब्जियों का उल्लेख किया है।

प्रश्न 5.
जंगल में झरबेरी झूलीमें कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
जंगल में हारबेरी झूलीमें वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।

प्रश्न 5.
जंगल में झरबेरी झूलीमें कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
जंगल में हारबेरी झूलीमें वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है।

6.. पीले मीठे अमरूदों में
अब लाल लाल चित्तियाँ पड़ी,
पक गए सुनहले मधुर बेर,
अँवली से तरु की डाल जड़ी !
लहलह पालक, महमह धनिया,
लौकी औसेम फलीं,
फैली मखमली टमाटर हुए लाल,
मिरचों की बड़ी हरी थैली !

भावार्थ : कवि कहते हैं कि अमरूद पककर पीले और मीठे हो गए हैं। उन पर लाल-लाल चित्तियाँ (धब्बे) पड़ गए हैं। मीठे बेर पककर सुनहरे हो गए हैं। आँवले से लदी पेड़ की डालियाँ ऐसे लगती हैं जैसे उन पर सितारे जड़ दिए गए हों। लौकी और सेम की लताएँ  जमीन पर फैल गई हैं और उनमें फल लग गए हैं। टमाटर मखमल की तरह लाल हो गए हैं। मिर्ची के गुच्छे बड़ी-सी हरी थैली जैसे दिख रहे हैं।.

प्रश्न 1.
अमरूद पककर कैसे हो गए हैं ?
उत्तर :
अमरूद पककर पीले और लाल चित्तियोंवाले हो गए हैं।

प्रश्न 2.
बेर के फल में क्या परिवर्तन आ गया है ?
उत्तर :
बेर के फल पककर मीठे हो गए हैं। उनका रंग सुनहरा हो गया है।

प्रश्न 3.
आँवला का पेड़ कैसा दिखाई दे रहा है ?
उत्तर :
आँवला का पेड़ छोटे-छोटे अनगिनत फलों से लद गया है। उसकी डालियाँ बड़ी खूबसूरत लग रही हैं। ऐसा लगता है कि जैसे आँवले की डालियों पर सितारे जड़ दिए गए हों।

प्रश्न 4.
टमाटर किसकी तरह लाल हो गए हैं ?
उत्तर :
टमाटर मखमल की तरह लाल हो गए हैं।

प्रश्न 5.
मिरचों की बड़ी हरी थैलीका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
कवि यहाँ मिरचों को बड़ी हरी थैली जैसा कह रहा है। सामान्यतः मिचों की बात करते ही हमारा ध्यान उनके लम्बे आकार की तरफ ही जाता है, परन्तु कवि यहाँ बड़े-बड़े आकारवाले शिमला मिर्च की बात कर रहा है, जो पौधों से लटकती हुई थैली की तरह दिखाई देते हैं।

7. हंसमुख हरियाली हिम-आतप
सुन से अलसाए-से सोए,
भीगी अँधियाली में निशि की
तारक स्वप्नों में से खोए
मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम
जिस पर नीलम नभ आच्छादन
निरुपम हिमांत में स्निग्ध शांत
निज शोभा से हरता जन मन !

भावार्थ : कवि गाँव की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहते हैं कि हरियाली पर सर्दी की धूप पड़ती है तो लगता है कि हरियाली हँस रही है। सर्दी की धूप चमकते ही लगता है कि हरियाली अलसाकर सो गई है। ओस से रात भीग चुकी हैं। चारों की चमक फीकी पड़ गई है, वे सपनों में खोए-से लगते हैं। सुंदर गाँव पन्ना नामक मोतियों से भरे खुले डिब्बे के समान प्रतीत हो रहा है, जिस पर नीला आसमान छाया हुआ है। सर्दी के अंत के साथ एक कोमल सुखद शांति छाई हुई है। गाँव अपने मोहक सौन्दर्य से लोगों का मन अपनी ओर खींच रहा है।

प्रश्न 1.
हरियाली को हँसमुख्न क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
हरियाली पर जाड़े की नर्म धूप पड़ रही है, जिससे हरियाली चमक रही है। संभवतः यही देखकर कवि ने हरियाली को हँसमुख
कहा है।

प्रश्न 2.
भींगी हरियाली से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
भींगी हरियाली से तात्पर्य ठंडी की रात में पड़नेवाली ओससे है जिसकी वजह से अंधेरा भीगा हुआ लगता है।

प्रश्न 3.
तारों भरी रात का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
ठंडी की रात है। चन्द्रमा के न निकलने से गहरा अंधकार है। तारे आकाश में जगमगा रहे हैं। इस ओस से भीगी रात में तारे सपनों में खोए से लग रहे हैं।

प्रश्न 4.
मरकत का डिब्बाकिसे कहा गया है ?
उत्तर :
मरकत का डिब्बागाँव की धरती को कहा गया है।

प्रश्न 5.
जन-मन को कौन आकर्षित कर रहा है ?
उत्तर :
जन-मन को हरा-भरा सुंदर गाँव आकर्षित कर रहा है।

प्रश्न 6.
तारक स्वप्नों में से खोएमें कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :तारक स्वप्नों में से खोए’ में मानवीकरण अलंकार है। यहाँ तारों’ को जीवंत मानव की तरह स्वप्न देखते बताया गया है। 


 II. ग्राम श्री Summary In Hindi

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानन्दन पंत का जन्म प्रकृति के प्रांगण अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक गाँव में हुआ था। उनके जन्म के साथ ही उनकी माताजी की मृत्यु हो जाने से वे मातृ-वात्सल्य से सदैव वंचित रहे। प्रकृति की गोद में ही पंत पले बड़े। उनकी आरंभिक शिक्षा कौसानी और अल्मोड़ा में हुई। तत्पश्चात् वाराणसी और प्रयाग में विद्याभ्यास किया।

सन् 1921 में वे महात्मा गाँधी के साथ असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से जुड़ गये और पढ़ाई छोड़ दी। पंत ने घर पर ही संस्कृत, बंगला तथा अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य का अध्ययन किया। इन भाषाओं एवं साहित्य पर पंत का समानाधिकार था। काव्य के प्रति उनका रुझान अपने बाल्यकाल से ही था।

पंत प्रकृति के चतुर चितेरे के रूप में हिन्दी साहित्य में प्रसिद्ध है। इसीलिए उन्हें प्रकृति का सुकुमार कवि कहा गया है। उनकी कविताओं में प्रकृति के विविधरंगी चित्र उभरकर आये हैं। समय के प्रवाह के साथ-साथ पंत की कविताएँ नया मोड़ लेती रहीं। पंत की काव्य-यात्रा छायावाद से आरंभ होकर प्रगतिवाद और अंत में अध्यात्म की ओर उन्मुख हुई।

वैसे वे गाँधीवाद और अरविंद दर्शन से भी प्रभावित थे, किन्तु प्रकृति अंत तक उनकी सहचरी बनी रहीं। पंत ने रूपाभपत्रिका का कुशल संपादन किया और आकाशवाणीके साथ भी जुड़े रहे। पंत की कविता की भाषा सरल और सुकुमार शब्दावली से परिपूर्ण है।

पंत की रचनाएँ हैं – ‘पल्लव’, ‘गुंजन’, ‘ग्रंथि’, ‘वीणा’, ‘युगान्त’, ‘युगवाणी’, ‘ग्राम्या’, ‘स्वर्ण किरण’, ‘स्वर्णधूलि’, ‘कला और बूढ़ा चाँद’, ‘लोकायतन’, ‘चिदम्बरा। भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषणसे सम्मानित किया। कला और बूढ़ा चाँदपर इन्हें साहित्य अकादमी सम्मान, ‘लोकायतनपर सोवियत लैण्ड नेहरू सम्मानतथा चिदम्बरापर इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। पंतजी ने नाटक और उपन्यास भी लिखे हैं।

कविता परिचय :

ग्राम श्रीकविता में पंत ने गाँव की प्राकृतिक सुषमा और समृद्धि का मनोहारी वर्णन किया है। खेतों में दूर तक फैली लहलहाती फसलें, फल-फूलों से लदी पेड़ों की डालियाँ, फूलों पर मँडराती तितलियाँ, गंगा की सुंदर रेती, पानी में क्रीडा करते पक्षी आदि कवि को रोमांचित करते हैं। उसी रोमांच को कविता स्वरूप कवि ने व्यक्त किया है।

शब्दार्थ-टिप्पण :

  • तलक तक
  • उजली सफेद
  • तन शरीर
  • रूधिर रक्त
  • श्यामल हरी-भरी
  • चिर सदा
  • निर्मल स्वच्छ
  • फलक पट, बाजू
  • रोमांचित प्रसन्न
  • वसुधा पृथ्वी
  • सनई एक पौधा जिसकी छाल के रेशे से रस्सी बनाई जाती है
  • किंकिणी करधनी
  • भीनी हल्की-हल्की
  • तैलाक्त तेल युक्त
  • तीसी अलसी
  • रिलमिल मिली-जुली
  • छीमियाँ फलियाँ
  • लड़ी शंखला
  • फिरती उड़ती, घूमती
  • वृत डंठल
  • रजत चाँदी
  • स्वर्ण सोना
  • मंजरी आम का बौर
  • तरु पेड़
  • ढाक पलाश
  • टेसू, दल पत्ते
  • मुकुलित अधखिला
  • आडू शफ़तालू, आरुक
  • चित्तियाँ निशान, धब्बे
  • अँवली छोटा आँवला
  • लहलह लहर, हिलोर
  • महमह महकता हुआ
  • सरपत सरकंडा, बड़ी तथा लंबी घास
  • छाई बनाई हुई
  • सुरखाच चक्रवाक पक्षी
  • पुलिन किनारा
  • मगरीठी मुरग़ावी, जल कुक्कुट (पक्षी)
  • हिम-आतप सर्दी की धूप
  • तारक तारे
  • मरकत पन्ना नामक रत्न
  • नीलम नीले रंग के पत्थर
  • निरुपम अनोखा
  • हिमांत सर्दी की समाप्ति
  • स्निग्ध कोमल
  • मरकत पन्ना (एक रत्न पत्थर)

III. प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कवि ने गाँव को हरता जन मनक्यों कहा है ?
उत्तर :
कवि ने गाँव को हरता जन मनइसलिए कहा है कि गाँव की सुंदरता अद्भुत है। गाँव में चारों ओर खेतों में दूर-दूर तक हरियाली फैली हुई है। मखमली हरियाली पर जब धूप पड़ती है तो वह हँसती हुई नजर आती है। खेतों में गेहूँ, जौ, अरहर, सनई तथा सरसों की फसलें लहरा रही हैं। उनके रंग-बिरंगे फूलों पर भिन्न-भिन्न रंग की तितलियाँ मंडरा रही हैं।

वृक्षों फूलफल आ गए हैं, जिनसे सारा वातावरण गमक रहा है। खेतों में आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि सब्जियाँ उगी हुई हैं। गंगा किनारे तरबूजों की खेती, तालाब में तैरते पक्षी, ऊँगली की कंघी से कलंगी संवारते करते बगुले गाँव की सुंदरता में वृद्धि कर रहे हैं। हरा-भरा गाँव मरकत (पन्ना रत्न) के समान सुंदर है।

प्रश्न 2.
कविता में किस मौसम के सौन्दर्य का वर्णन है ?
उत्तर :
कविता में शिशिर और वसंत ऋतु का वर्णन है। इसी ऋतु में ढाक और पीपल के पत्ते गिरने लगते हैं। आम के पेड़ों में मंजरियाँ फूटने लगती हैं। खेतों में मटर, सेम, अलसी के फूलने-फलने का समय होता है। इसी समय लगभग हर जगह फूल खिलने लगते हैं। फूलों पर तितलियाँ मँडराने लगती हैं। सब्जियों में आलू, गोभी, बैंगन, पालक, धनिया आदि और फलों में जामुन, आम, अमरूद, कटहल आदि दिखाई देने लगते हैं।

प्रश्न 3.
गाँव को मरकत डिब्बे सा खुलाक्यों कहा गया है ?
उत्तर :
गाँव को मरकत डिब्बे सा खुलाकहा गया है क्योंकि गाँव हरा-भरा है। नाना प्रकार के वृक्षों और फसलों से लहरा रहा है। जगह-जगह रंग-बिरंगे फूल, फूलों पर उड़ती तितलियाँ, बल खाती नदी, कंघी करते बगुले आदि सौन्दर्ययुक्त विविधताओं से भरा है। इस तरह, हरा-भरा और चमकदार गाँव दूर से मरकत के खुले डिब्बे-सा प्रतीत होता है।

प्रश्न 4.
अरहर और सनई के ख्नेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं ?
उत्तर :
अरहर और सनई में फलियाँ लग गई है । सनई की फलियाँ पककर सुनहरी हो गई हैं । जब हवा चलती है तब उन फलियों से हल्की-हल्की आवाज आती है । जिसे सुनकर कवि को लगता है कि पृथ्वी ने अपनी कमर में करधनी पहन रखी है । उस करधनी में लगे धुंघरुओं से यह आवाज आ रही है ।

प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए
क. बालू के साँपों से अंकित गंगा की सतरंगी रेती
उत्तर :
भाव : गंगा के किनारे फैली रेत पर जब सूर्य प्रकाश पड़ता है तो प्रकाश विभाजन के कारण वह रेत रंग-बिरंगी नजर आती है । पानी की लहरों और हवा के कारण जो टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएँ बन गई हैं, वे साँपों के रेंगने से बने निशान जैसी लग रही हैं ।

ख. हँसमुख हरियाली हिम-आतप सुख से अलसाए-से सोए
उत्तर :
भाव : सर्दी की नर्म और कोमल धूप में हरियाली चमक रही है, ऐसा लग रहा है जैसे कि हरियाली हँस रही है । सर्दी की धूप भी खिली-खिली है, जिससे ऐसा भी लगता है कि धूप और हरियाली दोनों ही एक-दूसरे से मिलकर सोए हुए हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?
तिनकों के हरे-भरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक
उत्तर :

1.      हरे-हरेमें पुनरुक्ति अलंकार है, कारण कि हरेशब्द का पुनरावर्तन हुआ है ।

2.      हिल हरित रुधिर मेंमें वर्ण की आवृत्ति से अनुप्रास और हरित रुधिरमें विरोधाभास अलंकार है ।

3.      तिनकों के तन परमें तिनकों को जीवंत मानव की तरह चित्रित किया गया है, अत: मानवीकरण अलंकार है ।

प्रश्न 7.
इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है ?
उत्तर :
कविता में गंगा किनारे मैदानी प्रदेश में स्थित किसी गाँषं का चित्रण है ।

I.रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
भाव और भाषा की दृष्टि से ग्रामश्रीआपको यह कविता कैसी लगी ? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।
उत्तर :
ग्राम श्रीकविता पंत जी ने गाँव की प्राकृतिक शोभा का मनोहारी चित्र खींचा है । खेतों में लहलहाती फसलें उन पर पड़नेवाली सूर्य की किरणें, नीले आकाश का पृथ्वी पर झुकना और इसे देखकर स्वयं पृथ्वी का रोमांचित होना, मटर के पौधों की हरीहरी छिम्मियाँ, जंगल में फूली झरबेरी, गंगा के तट की रेत के सौंदर्य का चित्रण कवि ने विभिन्न अलंकारों के उपयोग से किया है।

ऋतु-परिवर्तन का सूक्ष्म आलेखन और प्रत्येक ऋतु में होनेवाली सब्जियों का वैविध्य चित्रित हुआ है । भाषा की दृष्टि से पर निष्ठित खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है जो तत्सम बहुज्ञ तथा सामासिक पदों से मुक्त है । भाषा प्रवाहमयी और मधुर है जिसमें अनुप्रास, रूपक तथा मानवीकरण आदि अलंकारों का प्रयोग किया गया है ।

9.आप जहाँ रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए ।

हमारा गाँव उस क्षेत्र में है जो यमुना नदी से मात्र एक-डेढ़ किलोमीटर ही दूर है। इस क्षेत्र में सरदी और गरमी दोनों ही खूब पड़ती हैं। मुझे गरमी का मौसम पसंद है। गरमी में यमुना के दोनों किनारों पर सब्जियों की खेती की जाती है जिससे हरियाली बढ़ जाती है

 V. अतिरिक्त प्रश्न

प्रश्न 1.
हरियाली का सौन्दर्य किसके कारण बढ़ रहा है ?
उत्तर :
हरियाली का सौंदर्य सूर्य की कोमल किरणों के कारण बढ़ रहा है।

प्रश्न 2.
श्यामल भूतल पर झुका हुआ नभ का चिर निर्मल नील फलकका आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
हरियाली से ढकी होने के कारण हरी-भरी और श्यामल रंगवाली धरती पर विस्तृत नीले रंग का आसमान झुका हुआ है।

प्रश्न 3.
तैलाक्त गंधका अर्थ समझाइए।
उत्तर :
तैलाक्त गंधका अर्थ है सरसों के तेल वाली खुश्बू। सरसों में फूल और फलियाँ आ गई हैं। चारों तरफ सरसों के तेलवाली गंध फैल रही है।

प्रश्न 4.
रजत-स्वर्ण मंजरियाँ किन्हें कहा गया है ?
उत्तर :
रजत-स्वर्ण मंजरियाँ आम के बौर को कहा गया है, जिनमें फल आनेवाले हैं।

प्रश्न 5.
टमाटर के लिए किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है ?
उत्तर :
टमाटर के लिए मखमलीऔर लालविशेषणों का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 6.
गंगा के तट पर किसकी खेती की गई है ?
उत्तर :
गंगा के तट पर तरबूजों की खेती की गई है।

प्रश्न 7.
रंग-बिरंगी तितलियाँ कहाँ घूम रही हैं ?
उत्तर :
रंग-बिरंगी तितलियाँ भिन्न-भिन्न रंग के फूलों पर घूम रही हैं।

प्रश्न 8.
अब रजत-स्वर्ण मंजरियों सेमें कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
अब रजत-स्वर्ण मंजरियों सेमें रूपक अलंकार है।

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  9. साँवले सपनों की याद

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प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया ?
उत्तर :
बचपन में एक बार सालिम अली के एयरगन से घायल होकर एक गौरैया गिर पड़ी थी। प्रकृति प्रेमी सालिम अली ने उसकी देखभाल के साथ-साथ पक्षियों के बारे में ढेरों जानकारियाँ एकत्र करना शुरू कर दिया। उनके मन में पक्षियों के विषय में जानने की जिज्ञासा ने उन्हें पक्षीप्रेमी बना दिया और इस प्रकार उक्त घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा बदल दी। वे आजीवन पक्षी और प्रकृति के सानिध्य में रहे।

प्रश्न 2.
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?

उत्तर :
सालिम अली प्रकृति प्रेमी थे। केरल का साइलेंट वेली रेगिस्तानी गर्म हवाओं के थपेड़ों से झुलस जाते रहें होंगे। यदि इस साइलेंट वेली को समय रहते न बचाया जाय तो उसके समूल नष्ट होने की संभावना थी। सालिम अली का प्राकृतिक प्रेम और चिंता देखकर संभवतः पूर्व प्रधानमंत्री की आँखें नम हो गई होंगी। इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
साँचले सपनों की यादपाठ के आधार पर लेखक जाबिर हुसैन की भाषाशैली की विशेषता निम्नवत् हैं:
1.
लेखक की भाषाशैली सरल व सहज है। कहीं भी बहुत जटिल शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है।

2. लेखक ने सालिम अली का शब्दचित्र खींचा है। सालिम अली का चेहरा या उनका व्यक्तित्व हमारी आँखों के सामने आ जाता है। लेखक का शब्दचित्र प्रस्तुत करने की शैली अनोखी है।

3. आवश्यकतानुरूप तत्सम, तद्भव, शज व अरबी, फारसी के सरल शब्दों का प्रयोग कर भाषा को जीवन्त रखने का प्रयास किया गया है।

4. जरूरत पड़ने पर मुहावरेदार भाषा का भी प्रयोग लेखक ने किया है। जैसे आँखें नम होना इत्यादि। इसके अतिरिक्त लेखक ने संवाद-शैली का भी प्रयोग किया है। जैसे मुझे नहीं लगता, कोई इस सोये पक्षी को जगाना चाहेगा।या मेरी छत पर बैठनेवाली गौरेया लरिंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। इसके द्वारा लेखक ने संवाद-शैली का प्रभाव उत्पन्न किया है मानो दो लोग आपस में बातें कर रहे हो।

3.आशय स्पष्ट कीजिए
क. यो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गये थे ?
उत्तर :
लॉरेंस कृत्रिम दुनिया से दूर रहकर प्रकृति की तरह सहज जीवन व्यतीत करते थे। वे प्रकृति व पक्षी से प्रेम करते हुए उसकी
सुरक्षा के लिए चिंतित रहते थे। ठीक उसी प्रकार सालिम अली भी थे। ये भी उन्हीं की तरह बनावट की जिंदगी से दूर सीधा
सादा जीवन जीते थे। इसलिए लेखक ने कहा है कि वो लॉरेंस की तरह नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गये थे।

ख. कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा?
उत्तर :
हर मनुष्य के जीवन में मृत्यु का आना सहज, स्वाभाविक है। सालिम अली भी लगभग सौ वर्ष में कुछ वर्ष ही बाकी थे, कैंसर के कारण उनकी मृत्यु हो गई। जो व्यक्ति एक बार मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, उसे किसी कीमत पर वापस नहीं लाया जा सकता। सालिम अली अब इस दुनिया में नहीं रहे, इसलिए कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी लौटाना चाहे तो वे वापस नहीं आ सकते।

ग. सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर :
टापू समुद्र में उभरा हुआ एक छोटा-सा भू-भाग होता है। जबकि सागर अत्यंत विस्तृत और गहरा होता है। सालिम अली के पास प्रकृति व पक्षियों के विषय में सीमित जानकारी नहीं थी। वे पक्षी और प्रकृति से संबंधित विशाल जानकारी रखते थे। वे टापू की तरह सीमित जान से संतुष्ट नहीं हो सकते थे। वे प्रकृति और पक्षियों के बारे में सागर की तरह विशाल और गहन जानकारी रखते थे इसलिए वे प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाय अथाह सागर बनकर उभरे थे।

4.इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
साँचले सपनों की यादपाठ के आधार पर लेखक जाबिर हुसैन की भाषाशैली की विशेषता निम्नवत् हैं:

1. लेखक की भाषाशैली सरल व सहज है। कहीं भी बहुत जटिल शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है।

2. लेखक ने सालिम अली का शब्दचित्र खींचा है। सालिम अली का चेहरा या उनका व्यक्तित्व हमारी आँखों के सामने आ जाता है। लेखक का शब्दचित्र प्रस्तुत करने की शैली अनोखी है।

3. आवश्यकतानुरूप तत्सम, तद्भव, शज व अरबी, फारसी के सरल शब्दों का प्रयोग कर भाषा को जीवन्त रखने का प्रयास किया गया है।

4. जरूरत पड़ने पर मुहावरेदार भाषा का भी प्रयोग लेखक ने किया है। जैसे आँखें नम होना इत्यादि। इसके अतिरिक्त लेखक ने संवाद-शैली का भी प्रयोग किया है। जैसे मुझे नहीं लगता, कोई इस सोये पक्षी को जगाना चाहेगा।या मेरी छत पर बैठनेवाली गौरेया लरिंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। इसके द्वारा लेखक ने संवाद-शैली का प्रभाव उत्पन्न किया है मानो दो लोग आपस में बातें कर रहे हो।

प्रश्न 5.
इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
सालिम अली प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी होने के साथ-साथ वे प्रकृति से बेहद प्रेम करते थे। ये खुले विचारोंवाले साधारण व्यक्ति थे। बचपन में उनके एयरगन से एक चिड़िया घायल होकर गिर पड़ी थी। इस घटना ने उनके पूरे जीवन-चरित्र को ही बदल दिया। पक्षियों के विषय में अधिक जानने की जिज्ञासा ने उन्हें पक्षी-प्रेमी बना दिया। वे प्रकृति और पक्षी से बेहद लगाय रखते थे।

लंबी-लंबी यात्रा करके वे पक्षियों के विषय में अधिक से अधिक जानकारी एकत्रित करते रहे। वे प्रकृति की सुरक्षा को लेकर चिंतित थे। इसीलिए केरल की साइलेंट वेली की सुरक्षा का प्रस्ताव लेकर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पास गये थे। उनके पास प्रकृति एवं पक्षियों की विस्तृत और अथाह जानकारी थी, इसलिए ये किसी समुद्र का टापू बनकर नहीं अथाह समुद्र बनकर उभरे थे।

प्रश्न 6.
साँवले सपनों की यादशीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर :
साँवले सपनों की यादपाठ में लेखक ने प्रसिद्ध पक्षी-वैज्ञानिक सालिम अली के सपनों का चित्रण किया है। इसके अतिरिक्त लेखक ने साँवले कृष्ण से जुड़ी हुई यादों का भी जिक्र किया है। सालिम अली जो अब हमारे लिए एक सपना बन गये हैं और श्रीकृष्ण ने धरती पर जो लीलाएँ की थी वे भी एक सपना है, जिसे हम दोबारा हकीकत के धरातल पर नहीं ला सकते। साँवले सपनों की याद ही सालिम अली की याद है। पूरी कथावस्तु के केन्द्रबिन्दु में सालिम अली है। अतः यह शीर्षक एकदम सार्थक है।

प्रश्न 7..
प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं ?
उत्तर :
साँवले सपनों की याद पाठ में सालिम अली ने पर्यावरण के प्रति चिंता व्यक्त की है। केरल की साइलेंट बेली को रेगिस्तान की गर्म हवाओं से बचाने के लिए ये उस समय के प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले थे। साइलेंट वेली को बचाने का अनुरोध किया था। वे प्रकृति प्रेमी थे इसलिए प्रकृति की सुरक्षा करना अपना दायित्व समझते थे। पर्यावरण को बचाने के लिए हम निम्नलिखित योगदान दे सकते हैं

  • पर्यावरण को बचाने के लिए नुक्कड़ नाटक द्वारा लोगों में सजगता लाने का प्रयास करेंगे। इनके माध्यम से लोगों को पर्यावरण
    का महत्त्व समझाने की कोशिश करेंगे।
  • पेड़ पौधों को कटने से बचाएँगे। अधिकाधिक पौधे उगाएँगे।
  • प्राकृतिक जलस्रोतों को दूषित होने से बचाएँगे।
  • प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का प्रयोग कम करेंगे।
  • कूड़ा-कचरा के विषय में जागरूकता फैलाएँगे।
  • नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सूखा कचरा व गीला कचरा के विषय में जानकारी देंगे।
  • उसके महत्त्व को समझाएँगे।
  • पर्यावरण के नष्ट होने पर मानव-जीवन का अस्तित्व मिट जाएगा, यह लोगों को समझाने की चेष्टा करेंगे।

·         प्रश्न 8.
कौन बचा है, जो अब हिमालय और लद्दाख की बरफीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों की वकालत करेगा ?
उत्तर :
सालिम अली जो भारत के पहले पक्षी-वैज्ञानिक और वन्यजीव-प्रेमी रक्षक थे। वे प्रकृति में रहनेवाले सभी जीवों की रक्षा के लिए प्रयत्नशील थे। उनके न रहने पर ऐसा कोई नहीं बचा है जो हिमालय और लद्दाख की बरफीली जमीनों पर जीनेवाले पक्षियों को बचाने के लिए उनके पक्ष में बातें करें। हिमालय और लद्दाख्न जैसी बरफीली जगहों पर इन पक्षियों का जीवन खतरे में रहता है।

·         उनका बचाया जाना जरूरी है नहीं तो उन पक्षियों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। लेकिन अब ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो उन पक्षियों को बचाने के लिए प्रयास करे | सालिम अली थे। पर अब ये हमारे बीच नहीं हैं। इसलिए इन पक्षियों की वकालत करनेवाला कोई नहीं है।

·         II.अतिरिक्त लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

·         प्रश्न 1.
साँवले सपनों का हुजूमकिसे कहा गया है ? उसे रोकना संभव क्यों नहीं है ?
उत्तर :
साँवले सपनों का हुजूम सालिम अली को कहा गया है। वे अब अपने अंतहीन सफर के लिए निकल चुके हैं, अर्थात् मृत्यु को प्राप्त हो गये हैं। इसलिए उनके अंतहीन यात्रा को रोकना संभव नहीं है।

प्रश्न 2.
सालिम अली के इस सफर को अंतहीन सफर क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
सालिम अली पक्षी-प्रेमी थे। वे पक्षियों की खोज में लंबी यात्राएँ करके घर लौट
 ·         आते थे। इस बार का उनका यह सफर मौत का सफर है, जहाँ से वापस आना संभव नहीं। इसलिए सालिम अली के इस सफर को अंतहीन सफर कहा गया है।

·         प्रश्न 3.
लेखक ने सालिम अली की तलना किससे की है और क्यों?
उत्तर :
लेखक ने सालिम अली की तुलना उस वन पक्षी से की गई है जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि सालिम अली लगभग सौ वर्ष जीकर पक्षियों की खोज करते रहे और पर्यावरण की रक्षा के लिए चिंतातुर रहे।

 III.साँवले सपनों की याद Summary in Hindi

जाबिर हसन का जन्म बिहार के जिला नालंदा के नौनहीं गाँव में हुआ था। वे अंग्रेजी भाषा, साहित्य के प्राध्यापक थे। उन्होंने राजनीति में सक्रिय भागीदारी लेते हुए 1977 में मुंगेर से बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गये और मंत्री बने। सन् 1995 में बिहार विधानसभा के सभापति भी रहे।।

जाबिर हुसैन को हिन्दी, अंग्रेजी और उर्दू तीनों भाषाओं पर समान अधिकार था। तीनों भाषाओं में इन्होंने अपनी लेखनी चलाई है। हिन्दी की उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं जो आगे है, डोला बीबी की मजार, अतित का चेहरा, लोगा, एक नदी रेत भरी इत्यादि।

अपने लम्बे राजनैतिक व सामाजिक जीवन के अनुभवों में उपस्थित आम आदमी की पीड़ा, उसके सुख-दुख व संघर्षों को अपने साहित्य में चित्रित किया है। संघर्षरत आम आदमी और विशिष्ट आदमियों पर लिखी गई उनकी डायरी लोगों में बहुत चर्चित हुई है।

प्रस्तुत पाठ प्रसिद्ध पक्षीविद् सालिम अली की मृत्यु (1989) के बाद उनकी स्मृति में लिखा गया एक संस्मरण है। सालिम अली की मृत्यु से उत्पन्न दुख और अवसान को लेखक ने साँवले सपनों की यादके रूप में अभिव्यक्त किया है। लेखक ने इस पाठ में सालिम अली का व्यक्ति चित्र प्रस्तुत किया है। प्रकृति और पक्षी के प्रति उनकी दीवानगी बस देखते ही बनती है।

शब्दार्थ-टिप्पण :

  • परिंदा पक्षी
  • खूबसूरत सुन्दर
  • साँवला श्याम रंग का
  • हुजूम भीड़
  • खामोश शांत
  • वादी घाटी
  • अग्रसर आगे
  • सैलानी पर्यटक
  • सफर यात्रा
  • पलायन अन्यत्र चले जाना
  • विलीन अदृश्य, ओझल
  • जिस्म शरीर
  • हरारत हलका ज्वर, ताप
  • आबशार झरना
  • सोता स्रोत, झरना
  • एहसास अनुभूति
  • मिथक अनुश्रुति, जनश्रुति, पुराकथा, पुरानी कथाओं का तत्व
  • हिदायत चेतावनी
  • शोख नटखट, चंचल
  • भाँड़े बर्तन, मटके; गगरी
  • शती सौ वर्ष
  • हिफ़ाजत सुरक्षा
  • बर्ड वाचर पक्षियों का निरीक्षण करनेवाला
  • एकांत अकेले
  • क्षितिज जहाँ धरती और आसमान मिलते हुए दिखाई दें, वह स्थल
  • कायल निरुत्तर कर देना; मान लेना
  • रहस्य गुप्त बात; राज
  • गढ़ना रचना
  • रोमांचकारी रोमांच पैदा करनेवाला
  • सोंधी मिट्टी की सुगंध
  • संकल्प दृढ़निश्चय
  • अनुरोध प्रार्थना
  • सादा दिल सीधा-सादा
  • मुमकिन संभव
  • जामा वस्त्र
  • जटिल कठिन
  • पहेली रहस्य
  • प्रतिरूप एक जैसा रूप
  • यायावरी घूमने की प्रवृत्ति
  • अथाह अत्यधिक गहरा
  • सुराग अनुचिह्न
  • निशान, संकेत मिलना।

       10-   एक कुत्ता और एक मैना

एक कुत्ता और एक मैना  Summary  in Hindi

द्विवेदी जी का जन्म सन् 1907 ई. में उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के दुबे का छपरा नामक गाँव में हुआ था। उन्होंने बनारस तथा पंजाब विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। वे शांतिनिकेतन के हिन्दी भवन के निर्देशक भी रहे। उनके समग्र साहित्य पर इतिहास, संस्कृति एवं दर्शन के गहन अध्ययन की छाप है। उनके व्यक्तित्व के कई पहलू हैं। उन्होंने काशी में साहित्य, ज्योतिष और संस्कृत का अध्ययन कर आचार्य की उपाधि प्राप्त की थी।

द्विवेदी जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार है। वे शुक्लोत्तर युग के एक श्रेष्ठ निबंधकार, उपन्यासकार, समालोचक, इतिहासलेखक और प्रखर शोधार्थी के रूप में जाने जाते हैं। अशोक के फूल, कल्पलता, विचार प्रवाह और कुटज उनके निबंध संग्रह हैं। बाणभट्ट की आत्मकथा, अनामदास का पोथा, पुनर्नवा और चारुचंद्रलेख उनके महत्त्वपूर्ण उपन्यास हैं। हिन्दी साहित्य की भूमिकातथा कबीरइतिहास और आलोचना विषयक उत्कृष्ट ग्रंथ हैं। उनकी मृत्यु सन् 1979 ई. में हुई थी।

द्विवेदी जी ने साहित्य की अनेक विद्याओं में सर्वश्रेष्ठ रचनाएँ प्रदान की हैं। इनके ललित निबंध उल्लेखनीय हैं। गंभीर व जटिल दर्शनप्रधान बातों को सहज व सरल भाषा में प्रस्तुत करना इनकी विशेषता है। अपनी संस्कृतनिष्ट हिन्दी के द्वारा शारख-जान, परंपरा के बोध और लोकजीवन के अनुभव का चित्रण बखूबी किया है।

प्रस्तुत पाठ एक कुत्ता और एक मैनाके माध्यम से गुरुदेव का पशु-पक्षियों के प्रति मानवीय प्रेम प्रकट करता है। इसमें पशुपक्षियों द्वारा प्राप्त प्रेम, भक्ति, विनोद, करुणा जैसे मानवीय भावों की भी अभिव्यक्ति हुई है। लेखक ने गुरुदेव के साथ बिताये अपने सुखद पलों को भी साझा किया। इस निबंध द्वारा गुरुदेव के पशु-पक्षियों के प्रेम की एक झलक मिलती हैं। पशु-पक्षियों में भी मानवीय गुण होते हैं, कुत्ता और मैना की गुरुदेव के प्रति संवेदनाएँ इस बात का प्रमाण देती हैं।

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़कर कहीं और रहने का मन क्यों बनाया ?
उत्तर :
गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़कर कहीं और रहने का मन बनाया क्योंकि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था। शांतिनिकेतन में हमेशा उनसे मिलने आनेवाले दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रहती थी। इसलिए उन्हें आराम नहीं मिल पाता था। वे एकाकी रहना चाहते थे, जहाँ उन्हें कोई परेशान न कर सके। प्रकृति के सानिध्य में रहना चाहते थे। इसलिए गुरुदेव शांतिनिकेतन को छोड़कर श्रीनिकेतन के तिसरे मंजिले पर आकर रहने लगे।।

प्रश्न 2.
मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते।पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मूक प्राणी मनुष्य से भी अधिक संवेदनशील होते हैं। एक कुत्ता और एक मैना निबंध में हमने यही देखा। कुत्ता गुरुदेव के सानिध्य और उनका प्रेम प्राप्त करने के लिए दो मील दूर अनजान रास्ता तय करके यहाँ आ पहुँचा। और गुरुदेव का प्यारभरा स्पर्श पाकर उसका रोम-रोम आनंदित हो उठा। इसी प्रकार जब गुरुदेव का चिताभस्म आश्रम में लाया गया तब भी यह कहीं से आकर उस चिताभस्मवाले कलश के पास बैठ गया और उत्तरायण (भवन का नाम) तक साथ में गया। अपने स्नेहदाता के प्रति समर्पित वह कुत्ता वास्तव में मानवीय संवेदनाओं का परिचय देता है।

प्रश्न 3.
गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी कविता के मर्म को लेखक कब समझ पाया ?
उत्तर :
गुरुदेव ने लेखक को पहली बार मैना को दिखाते हुए कहा कि देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है। रोज फुदकती है यहीं आकर। मुझे इसकी चाल में एक करुणभाव दिखाई देता है। इससे पहले लेखक का मानना था कि मैना करुणभाव दिखानेवाला पक्षी है ही नहीं। वह तो दूसरों पर अनुकंपा ही दिखाया करती है। लेखक ने साक्षात् मैना को देखा तब वह कविता के मर्म को समझ पाया।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ एक निबंध है। निबंध गद्य-साहित्य की उत्कृष्ट विधा है, जिसमें लेखक अपने भावों और विचारों को कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त करता है। इस निबंध में उपर्युक्त विशेषताएँ कहाँ झलकती हैं किन्हीं चार का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
निबंध गद्य-साहित्य की उत्कृष्ट विधा है, जिसमें लेखक अपने भावों और विचारों को कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त करता है। एक कुत्ता तथा एक मैनानिबंध में अनेक जगहों पर लेखक की इस सिद्धहस्तता के प्रमाण हैं उदाहरण दृष्टव्य हैं
1.
मेरा अनुमान था कि मैना करुण भाव दिखानेवाला पक्षी है ही नहीं वह दूसरों पर
अनुकंपा ही दिखाया करती है।

2. पति-पत्नी जब कोई एक तिनका लेकर सूराख में रखते हैं तो उनके भाव देखने लायक होते है। पत्नी देवी का तो क्या
कहना।

3. पत्नी लेकिन फिर भी इनको तो इतना खयाल होना चाहिए कि यह हमारा प्राइवेट घर है।
पति आदमी जो हैं, इतनी अकल कहाँ ?
पत्नि जाने भी दो।

4. जब मैं इस कविता को पढ़ता हूँ तो उस मैना की करुण मूर्ति अत्यंत साफ होकर सामने आ जाती है। कैसे मैंने देखकर भी नहीं देखा और किस प्रकार कवि की आँखें उस बेचारी के मर्मस्थल तक पहुँच गई, सोचता हूँ तो हैरान हो रहता हूँ।

प्रश्न 5.

.आशय स्पष्ट कीजिए
इस प्रकार कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने इस भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर उस विशाल मानव-सत्य को देखा है, जो मनुष्य, मनुष्य के अंदर भी नहीं देख पाता।
उत्तर :
अन्यों की तुलना में कवि अधिक संवेदनशील होता है। गुरुदेव ने यह जान लिया था कि कुत्ते के पीठ पर मात्र उनके स्पर्श से ही वह आनंदित हो उठता है, ठीक उसी प्रकार लंगड़ी मैना के भावों को देखकर गुरुदेव ने उसके भीतर के मर्म को पहचान लिया था। जो लेखक को बिलकुल भी पता नहीं था। मूक प्राणियों में भी मनुष्य के जैसी संवेदनाएँ होती हैं यह वही पहचान सकता है जिसकी मर्मभेदी दृष्टि हो।

गुरुदेव हर भाषाहीन प्राणी के मर्म को पहचान लेते थे, चाहे वह कुत्ता हो या मैना या फूल पत्ति। आज मनुष्य अत्यंत संवेदनहीन हो गया है जो मनुष्य को देखकर उनके दुःखों का पता नहीं लगा पाता। किन्तु गुरुदेव यानी कवि की मर्मभेदी दृष्टि भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि को पहचान लेती है। 

प्रश्न 6.
पशु-पक्षियों से प्रेम इस पाठ की मूल संवेदना है। अपने अनुभव के आधार पर किसी प्रसंग से जड़ी रोचक घटना को कलात्मक शैली में लिखिए।

इस पाठ में पशु पक्षियों में मिलने वाले प्रेम, भक्ति, विनोद और करुणा जैसे मानवीय भावनाओं का विस्तृत वर्णन है। इसमें रवींद्रनाथ की कविताओं और उनसे जुड़ी स्मृतियों के माध्यम से गुरुदेव की संवेदनशीलता, विराटता और सहजता के चित्र तो उकेरे ही गए हैं, पशु पक्षियों के संवेदनशील जीवन का भी बहुत सूक्ष्म निरीक्षण है .

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों में कर्म के आधार पर क्रिया के भेद बताइए
(
क) मीना कहानी सुनाती है।
(
ख) अभिनव सो रहा है।
(
ग) गाय घास खाती है।
(
घ) मोहन ने भाई को गेंद दी।
(
ड) लड़कियाँ रोने लगीं।
उत्तर :
वाक्य क्रिया भेद
(
क) मीना कहानी सुनाती है। सकर्मक क्रिया
(
ख) अभिनव सो रहा है। अकर्मक क्रिया
(
ग) गाय घास खाती है। सकर्मक क्रिया
(
घ) मोहन ने भाई को गेंद दी। सकर्मक क्रिया
(
ड) लड़कियाँ रोने लगीं। अकर्मक क्रिया

प्रश्न 9.
नीचे पाठ में से शब्द-युग्मों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं; जैसे
समय असमय अवस्था अनवस्था
इन शब्दों में अ या अन् लगाकर नया शब्द बनाया गया है।
पाठ में से कुछ शब्द चुनिए तथा उनमें अ या अन् उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए।

उत्तर :
i.
उपसर्ग वाले शब्द

  • निर्णय अनिर्णय
  • भद्र अभद्र
  • पुस्तकीय अपुस्तकीय
  • प्रचलित अप्रचलित
  • स्वीकृति अस्वीकृति
  • प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष
  • परिचय अपरिचय
  • नियमित अनियमित
  • विश्वास अविश्वास
  • अव्याकुलता व्याकुलता
  • बोध अबोध
  • शांत अशांत
  • सहज असहज
  • करुण अकरुण
  • प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष
  • मूल्य अमूल्य
  • कुशल अकुशल
  • चैतन्य अचैतन्य
  • भाव अभाव
  • हैतुक अहैतुक

ii. अन् उपसर्गवाले शब्द

  • उपस्थित अनुपस्थित
  • उपयोग अनुपयोग
  • अवस्था अनवस्था
  • उद्देश्य अनुद्देश्य

11.उपभोक्तावाद की संस्कृति

I.शब्दार्थ व टिप्पण :

  • जीवन-शैली जीने का तरीका
  • वर्चस्व अधिकार; दबदबा, प्रधानता
  • स्थापित जमाना
  • उपभोक्तावाद उपभोग को सर्वस्य मान लेना
  • उत्पादन वस्तुएँ बनाना
  • व्याख्या विस्तारपूर्वक समझाना
  • बदलाव परिवर्तन
  • उत्पाद उत्पादित वस्तु
  • माहौल वातावरण
  • समर्पित पूर्ण रूप से जुड़ना
  • विलासिता अत्यधिक सुख-सुविधा का उपभोग
  • निरंतर लगातार
  • दुर्गध बदबू, मैजिक
  • फार्मूला जादुई सूत्र
  • स्वीकृत स्वीकार किया हुआ
  • माउथवाश मुँह साफ करने का तरल पदार्थ
  • बहुविज्ञापित बार-बार जिनका विज्ञापन दिया गया हो वह, सौंदर्य
  • प्रसाधन सुंदरता बढ़ानेवाली सामग्री
  • चमत्कृत हैरान
  • तरोताज़ा ताजगी से भरपूर
  • जर्स कीटाण
  • निखार चमक
  • संभ्रांत अमीर
  • परफ्यूम सुगंधित पदार्थ
  • प्रतिष्ठा-चिह्न सम्मान का प्रतीक
  • हैसियत शक्ति; ताकत, आफ्टर
  • शेव दाढ़ी बनाने के बाद लगाया जानेवाला पदार्थ
  • अनंत असीम
  • मंद धीमा
  • हास्यास्पद मजाक उड़ाने योग्य
  • निगाह दृष्टि
  • राइट चाइस सही चुनाय
  • सामंती संस्कृति सामंत (जागीरदारों) की संस्कृति
  • अस्मिता पहचान
  • अवमूल्यन गिरावट
  • आस्था विश्वास
  • क्षरण नाश
  • बौद्धिक दासता बुद्धि से गुलाम होना
  • अनुकरण नकल
  • प्रतिमान मापदंड, कसौटी
  • प्रतिस्पर्धा मुकाबला
  • छद्म बनावटी
  • गिरफ्त कैद
  • क्षीण कमजोर
  • दिग्भ्रमित राह से भटक जाना, दिशा भ्रम होना
  • प्रसार फैलावा
  • सम्मोहन आकर्षण
  • वशीकरण वश में करना
  • अपव्यय फिजूल खर्ची
  • पेय पीने योग्य
  • सरोकार संबंध
  • आक्रोश गुस्सा
  • विराट विशाल
  • व्यक्ति केंद्रितता अपने तक सीमित
  • परमार्थ लोक कल्याण कार्य
  • आकांक्षाएँ इच्छाएँ
  • बुनियाद नींव
  • कायम स्थिर
  • उपनिवेश वह विजित देश जिसमें विजेता राष्ट्र के लोग आकर बस गये हों
  • तात्कालिक उसी समय ।

पाठ का सार :

 

उपभोक्तावाद : एक चुनौती :

दिखावे की यह संस्कृति फैलेगी, इससे सामाजिक अशांति बढ़ेगी । मनुष्य का नैतिक मानदंड ढीले पड़ रहे हैं । मर्यादाएँ टूट रही हैं । व्यक्ति स्वकेंद्रित बनता जा रहा है । भोग की आकांक्षाएँ आसमान छू रही हैं । यह हम सभी के लिए एक चुनौती है कि मनुष्य की यह दौड़ किस बिन्दु पर रुकेगी । उपभोक्ता संस्कृति ने हमारी सामाजिक नींव को हिला दिया है । भविष्य में यह हम सब के लिए एक चुनौती है।

उपभोक्तावादी संस्कृति का कुप्रभाव :

उपभोक्तावाद के प्रसार के मूल में सामंती संस्कृति है । उपभोक्तावाद के फैलाव से हमारी परंपराओं का अवमूल्यन और आस्थाओं का बहुत नुकसान हुआ है । हम बौद्धिक दासता का अंधानुकरण कर पश्चिम के सांस्कृतिक का उपनिवेश बन रहे हैं । हम इस नई संस्कृति और आधुनिकता के झूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं । हमारी अपनी परम्परा क्षीण होती जा रही है और हम नकली आधुनिकता के शिकार हो रहे हैं । विज्ञापनों के कारण हमारी मानसिकता बदल गई हैं । उपभोक्तावाद का प्रसार वास्तव में चिंता का विषय है । इससे संसाधनों का अपव्यय हो रहा है । इससे समाज के वर्गों की दूरियाँ बढ़ रही हैं । सामाजिक सरोकारों में कमी आ रही हैं । हमारी सांस्कृतिक अस्मिता धीरे-धीरे अपनी पहचान खोती जा रही है ।

उपभोक्तावाद का सामान्य लोगों पर प्रभाव :

कई बार प्रतिष्ठा के अनेक रूप अशोभनीय होते हैं पर उपभोक्तावादी लोग इसकी तनिक भी परवाह नहीं करते । यह सब समाज का एक विशिष्ट वर्ग अपना रहा है और सामान्य जन उसे अपनाने के बारे में सोचता है । समाज का एक वर्ग इसे राइट च्याइरा बेबीमान बैठा है।

फैशन और हैसियत दिखाने के लिए खरीददारी :

आजकल बाजारों में जगह-जगह बुटीक खुल गये हैं । नये, ट्रेंडी व मँहँगे परिधान आ गये हैं । पहले के कपड़ों का फैशन अब नहीं रहा । महँगे से महँगे परिधान लोग अपनी हैसियत के अनुसार खरीदने लगे हैं । समय देखने के लिए घड़ी चंद रुपयों में मिल जाती है, परन्तु अपनी हैसियत और फैशनपरस्ती दिखाने के लिए पचास-साठ हजार से लेकर एक डेढ़ लाख रुपयों की घड़ी खरीदते हैं ।

जब कि काम तो वह भी वही करती है जो कम दामों की घड़ी करती है । कीमती म्यूजिक सिस्टम और कम्प्यूटर लोग दिखाये के लिए खरीदते हैं । पाँच सितारा होटल में विवाह करने का ट्रेंड शुरू हो गया है । इलाज व पढ़ाई के लिए भी लोग महंगे से महेंगे अस्पताल व स्कूल का चयन करते हैं । ये सब कुछ मनुष्य अपने आपको अत्याधुनिक बताने के लिए करता है ।

सौन्दर्य सामग्रियों की भीड़ :

दिन प्रतिदिन सौन्दर्य-प्रसाधनों में वृद्धि होती जा रही है । कोई साबुन हल्की सुगंधवाला है, तो कोई पसीना रोकता है, कोई शरीर को ताजगीभरा रखता है, कोई जर्स से बचाता है, यों बाजार में अनेक प्रकार के साबुन मिल जाएँगे । सँभ्रांत महिलाओं की ड्रेसिंग टेबल पर तीस-तीस हजार की सौन्दर्य सामग्री होना आम बात है । विदेश की वस्तुओं को मंगाना हमारी हैसियत का प्रतीक बन गई है । सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग अब पुरुषों द्वारा भी खूब किया जाने लगा है । तेल-साबुन से काम चलानेवाले पुरुषों की सौन्दर्य सामग्री में इजाफा हुआ है । वे भी अब आफ्टर शेव लोशन और कोलोन लगाने लगे हैं ।

नयी जीवन शैली और उपभोक्तावाद :

धीरे-धीरे आप सभी कुछ बदल रहा है । भारतीय समाज में नवीन जीवनशैली ने अपना वर्चस्व स्थापित करता जा रहा है ।। उसी के साथ एक नया जीवन-दर्शन उपभोक्तावाद का दर्शन समाज में जोर पकड़ता जा रहा है । चारों तरफ वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने पर बल दिया जा रहा है । यह उत्पादन हमारे लिए ही है । हमारे उपभोग के लिए हैं । लोगों में सुख की परिभाषा बदल गई है । अब भोग ही सुख है । इस माहौल के कारण एक नई स्थिति ने जन्म लिया है, जो हमारे चरित्र को धीरे-धीरे बदल रही है और हम पूर्ण रूप से उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं ।

प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
लेखक के अनुसार जीवन में सुखसे क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
लेख्नक के अनुसार जीवन में वस्तुओं का उपभोग करना ही सुख नहीं है । वास्तविक सुख है, जो भी हमारे पास है, उसी का आनंद लेना । मानसिक रूप से सदैव खुश रहना ।

प्रश्न 2.
आज की उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को किस प्रकार प्रभाषित कर रही हैं ?
उत्तर :
उपभोक्तावादी संस्कृति हमारे दैनिक जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है । आज व्यक्ति उपभोग को ही वास्तविक मुन्द्र समझने लगा है । लोग अधिकाधिक वस्तुओं के उपभोग में लीन रहते हैं । लोग बहुविज्ञापित वस्तुओं को खरीदते हैं । महँगी से महँगी व प्रांडेड वस्तुओं को खरीदकर दिखावा करते हैं । कई बार हास्यास्पद वस्तुओं को भी फैशन के नाम पर खरीदनं हैं । इससे हमारा सामाजिक जीवन प्रभावित हो रहा है । अमीर और गरीब के बीच की दूरी बढ़ रही है । समाज में अशांति और आक्रोश बढ़ रहा है ।

प्रश्न 3.
लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिए चुनौती क्यों कहा है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार उपभोक्ता संस्कृति हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है । उपभोक्तावादी संस्कृति की गिरफ्त में आने पर हमारी संस्कृति की नियंत्रण शक्तियाँ क्षीण हो रही हैं । हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं । हमारे सीमित संसाधनों का घोर उपव्यय हो रहा है । समाज के दो वर्गों के बीच की दूरी बढ़ रही है । यह अंतर ही आक्रोश और अशांति को जन्म दे रहा है । उपभोक्तावादी संस्कृति हमारी सामाजिक नींव को हिला रही है । इसलिए लेखक ने उपभोक्ता संस्कृति को हमारे समाज के लिये चुनौती कहा है ।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए ।
क. जाने-अनजाने आज के माहौल में आपका चरित्र भी बदल रहा है और आप उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं ।
उत्तर :
उपभोक्तावादी संस्कृति वस्तुएँ के उपभोग को अत्यधिक बढ़ावा देती है । लोग भौतिक संसाधनों के उपयोग को अपना वास्तविक सुख मान लेते हैं । वे बहुविज्ञापित वस्तुओं को खरीदते है पर उसकी गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते । चे उत्पाद को ही जीवन का साध्य मान लेते हैं, परिणामस्वरूप उसका प्रभाव चरित्र पर भी पड़ रहा है ।

ख. प्रतिष्ठा के अनेक रूप होते हैं, चाहे वे हास्यास्पद ही क्यों न हो ।
उत्तर :
लोग समाज में अपनी हैसियत व प्रतिष्ठा दिखाने के लिए महँगी से महँगी वस्तुएँ भी खरीद लेते हैं । ये यह देखते नहीं कि खरीदी हुई वस्तु उन पर अँच रही है या नहीं ।

इस कारण कई बार वे उपहास का कारण भी बनते हैं । पश्चिम के लोग मरने से पूर्व अपने अंतिम संस्कार का प्रबंध कर लेते है जो एकदम हास्यास्पद बात है।

 

प्रश्न 5.
कोई वस्तु हमारे लिए उपयोगी हो या न हो, लेकिन टी.वी. पर विज्ञापन देखकर हम उसे खरीदने के लिए अवश्य लालायित
होते हैं ? क्यों?
उत्तर :
टी.वी. पर दिखाये जानेवाले विज्ञापन जीवन्त होते हैं । ये हमारे मनस्पटल पर अमिट छाप छोड़ते हैं । इनकी भाषा भी प्रभावशाली व आकर्षक होती है । इनको देखते ही हम सम्मोहित हो जाते हैं और बिलकुल वैसा ही चाहते हैं जैसा विज्ञापन में दिखाया जाता है । हम बिना कुछ सोचे-समझे उन वस्तुओं को खरीदने के लिए लालायित हो जाते हैं । भले ही हमें उन वस्तुओं की आवश्यकता न हो ।

प्रश्न 6.
आपके अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तु की गुणवत्ता होनी चाहिए या उसका विज्ञापन ? तर्क देकर स्पष्ट करें ।
उत्तर :
हमारे अनुसार वस्तुओं को खरीदने का आधार वस्तु की गुणवत्ता होनी चाहिए न कि उसका विज्ञापन । विज्ञापन में दिखाई जानेवाली वस्तुओं का कार्य, त्वरित प्रभाय, सब मिथ्या है । हमें अपने जीवन के लिए जिन वस्तुओं की आवश्यकता हो, उन्हें विज्ञापन देखकर नहीं बल्कि उसकी गुणवत्ता की परख करके ही वस्तुओं को खरीदना हितकारी है।

प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर आज के उपभोक्तावादी युग में पनप रही दिखावे की संस्कृतिपर विचार व्यक्त कीजिए ।
उत्तर :
उपभोक्तावादी संस्कृति ही वास्तव में दिखाये की संस्कृति है । यह संस्कृति उपभोग को ही सच्चा सुख मान बैठी है । इसलिए लोग महँगी से महँगी वस्तुओं को खरीदते हैं । जिन वस्तुओं की उन्हें आवश्यकता नहीं है उन्हें भी वे खरीद लेते हैं । पात में बताया गया है कि संभ्रांत महिलाएँ तीस-तीस हजार की सौन्दर्य सामग्री अपने ड्रेसिंग टेबल पर रखती हैं । फैशन दिखाया या हैसियत बताने के लिए लोग अत्यधिक कीमती वस्तुएँ खरीदते हैं ताकि दूसरों को दिखाया जा सके । अतः हम कह सकते हैं कि उपभोक्तावादी संस्कृति दिखाने की संस्कृति है ।

प्रश्न 8.
आज की उपभोक्ता संस्कृति हमारे रीति-रीवाजों और त्योहारों को किस प्रकार प्रभावित कर रही है ? अपने अनुभव के आधार पर एक अनुच्छेद लिनिए ।
उत्तर :
आज की उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारे समाज की नींव को जड़ से हिलाकर रख दिया है । उपभोक्तावादी संस्कृति के गिरफ्त में जकड़े हुए लोग अब पहले की तरह त्योहारों को नहीं मनाते । पहले लोग कम सुविधाओं में मिलजुल कर रहते थे । त्योहारों को साथ में मिलकर, बिना किसी भेदभाव के मनाते थे ।

अब लोगों में दिखावे और हैसियत दिखाने की प्रवृत्ति पनप रही है, लोग एकदूसरे से महँगी और ब्रांडेड वस्तुओं को खरीदकर मात्र दिखावा करते हैं । लोग अपने जीवन के उद्देश्य से भटक गये हैं । दिवाली के पावन पर्व पर एकदूसरे को नीचा दिखाने के लिए महँगे से महँगे पटाखे खरीदकर वातावरण को दूषित करते हैं । यों उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारे रीति-रिवाजों और त्यौहारों को प्रभावित किया है ।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 9.
धीरे-धीरे सबकुछ बदल रहा है ।

इस वाक्य में बदल रहा हैक्रिया है । यह क्रिया कैसे हो रही है धीरे-धीरे । अतः यहाँ धीरे-धीरे क्रिया विशेषण है । जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं, ‘क्रिया विशेषणकहलाते हैं । जहाँ वाक्य में हमें पता चलता है कि क्रिया कब, कैसे, कितनी और कहाँ हो रही है, वहाँ वह शब्द क्रिया विशेषण कहलाता है ।

क. ऊपर दिए गए उदाहरण को ध्यान में रखते हुए क्रिया विशेषण से युक्त पाँच वाक्य पाठ में से छाँटकर लिखिए ।
उत्तर :
क्रिया विशेषणयुक्त वाक्य

1.      उत्पादन बढ़ाने पर जोर है चारों ओर । (चारों ओर स्थानवाचक क्रिया विशेषण)

2.      कोई बात नहीं यदि आप उसे (म्यूजिक सिस्टम) ठीक तरह से चला भी न सकें । (ठीक तरह से रीतिवाचक क्रिया विशेषण)

3.      पेरिस से परफ्यूम मँगाइए इतना ही और खर्च हो जाएगा । (इतना परिमाणवाचक क्रिया विशेषण)

4.      वहाँ तो अब विवाह भी होने लगे हैं । (अब कालबोधक क्रिया विशेषण)

5.      सामंती संस्कृति के तत्व भारत में पहले भी रहे हैं । (पहले कालबोधक क्रिया विशेषण)

ख. क्रिया विशेषण

  • धीरे-धीरे नल से पानी धीरे-धीरे टपक रहा है ।
  • जोर से तेज हवा के झोंके से दरवाजा जोर से खुला ।
  • लगातार कल से लगातार वर्षा हो रही है ।
  • हमेशा सूर्य हमेशा पूर्व में उदय होता है ।
  • आजकल आजकल महँगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है ।
  • कम अपरिचित व्यक्ति कम बातें करें ।
  • ज्यादा इस वर्ष हमारे आचार्य जी का गुस्सा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है ।
  • यहाँ कल यहाँ नदी तट पर मेला लगा था ।
  • उधर रमन, उधर नदी की ओर मत जाना ।
  • बाहर इतनी गर्मी में बाहर निकलना अच्छा नहीं ।

 

ग. नीचे दिए गए वाक्यों में से क्रिया विशेषण और विशेषण छाँटकर लिखिए 

आशय स्पष्ट कीजिए :

प्रश्न 10.
हम जाने-अनजाने उत्पाद को समर्पित होते जा रहे हैं ।
उत्तर :
उपर्युक्त पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाह रहे हैं कि हम जाने-अनजाने बाजार में अनेक प्रकार के उत्पादों को विज्ञापन देखकर उन वस्तुओं को खरीद लेते हैं, उसकी गुणवत्ता के विषय में हम तनिक भी विचार नहीं करते । कई बार विज्ञापित वस्तुओं की आवश्यकता न होने पर भी हम उन वस्तुओं को खरीद लेते हैं । ऐसा प्रतीत होता है कि हम उत्पाद के लिए ही बने हो । अतः जाने-अनजाने हम उत्पाद को समर्पित होते जा रहे है ।

 श्न 12.

हमारी नई संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है ।।
उत्तर :
उपभोक्तावाद ही हमारी नई संस्कृति है । हम अन्य व्यक्तियों को देखते हैं, कि उनके पास महँगी और ब्रांडेड वस्तुएँ हैं तो हम भी उन जैसी वस्तुओं को अपने लिए मंगवाते हैं । कई बार बहुविज्ञापित वस्तुएँ हमें इतनी पसन्द आ जाती है कि हम उसे मंगाये बिना नहीं रहते । एक को देखकर दूसरा और फिर तीसरा व्यक्ति उनका अनुकरण करता है । अत: नई संस्कृति अनुकरण की संस्कृति है ।

प्रश्न 13.
संस्कृति की नियंत्रण शक्तियों की आज क्या स्थिति है ?
उत्तर :
उपभोक्तावादी संस्कृति ने हमारी भारतीय संस्कृति को बहुत प्रभावित किया है । हमारी संस्कृति धीरे-धीरे क्षीण होती जा रही है. जिसके कारण हम दिग्भ्रमित हो रहे हैं । उपभोक्तावादी संस्कृति के फैलावे को नहीं रोका गया तो हमारी संस्कृति की नियंत्रण शक्तियाँ धर्म, परम्पराएँ, रीति-रीवाज सब नष्ट हो जाएँगे ।

प्रश्न 14.
विज्ञापन का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर :
विज्ञापनोंहम ने विशाखपट्टणम की यात्रा की। विशाखपट्टणम बहुत सुंदर नगर है। इसकी यात्रा बहुत संतोष जनक सही। यहाँ का सागर, पर्वत मालाएँ, कैलास गिरि बहुत सुंदर है। यहाँ हम ने रामकृष्ण समुद्र तट, बीमली समुद्र तट आदि देख लिये। ये बहुत सुंदर लगते हैं। यहाँ विशाखपट्टणम का प्रसिद्ध कनकमहालक्ष्मी जी का मंदिर है।

प्रश्न 12.
यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है । आपकी इस पाठ्य-पुस्तक में कौन-कौन-सी विधाएँ हैं ? प्रस्तुत विद्या उनसे किन मायनों में अलग है ?
उत्तर :
क्षितिज भाग-1 में गद्य की कई विधाओं का समावेश हुआ है । जिनमें एक कहानी, एक यात्रावृत्तांत, तीन निबंध, दो संस्मरण तथा एक रितोपार्ज है । प्रस्तुत पाठ ल्हासा की ओरयात्रा-वृत्तांत है जो सभी विधाओं से भिन्न है । इसमें लेखक ने तिब्बत की यात्रा का जीवंत वर्णन किया है । लेखक द्वारा अनुभूत प्रत्येक क्षण का वर्णन है, कपोल कल्पना का कहीं भी स्थान नहीं । बाकी सभी विधाओं में कहीं न कहीं कल्पना का आसरा लिया जाता है । यात्रा-वृत्तांत में पूर्ण सच्चाई व अनुभव का वर्णन होता है । इसलिए यह सभी विधाओं में अलग है ।

.III. भाषा-अध्ययन

प्रश्न 13.
किसी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है। जैसे
सुबह होने से पहले हम गाँव में थे ।
पौ फटनेवाली थी कि हम गाँव में थे ।
तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए ।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए
जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे ।
उत्तर :
उपर्युक्त वाक्य को निम्न ढंग से भी लिखा जा सकता है

  • पता नहीं चलता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे ।
  • यह पता ही नहीं चलता कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे ।
  • घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे उसका कुछ पता ही नहीं चल पा रहा था ।

प्रश्न 14.
ऐसे शब्द जो किसी अंचलया क्षेत्र विशेष में प्रत्युक्त होते हैं, उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है । प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूंढकर लिखिए : उत्तर :
पाठ में आए हुए आंचलिकशब्द
फरी-कलिङ्पोङ्, चोडी, छङ्, डाँडा, थोङ्ला, कुची-कुची, लङ्कोर, कंडे, थुक्पा, भरिया, गंडा, तिकी, कन्जुर ।

प्रश्न 15.
पाठ में कागज़, अक्षर, मैदान के आगे क्रमश: मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है । इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर आती है । पाठ में से ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों ।
उत्तर :
मुख्य, व्यापारिक, सैनिक, फ़ौजी, चीनी, परित्यक्त, आबाद, बहुत, निम्नश्रेणी, अपरिचित, टोटीदार, सारा, दोनों, पाँच, अच्छी, भद्र, गरीब, दुरुस्त, विकट, खूनी, ऊँची, श्वेत, सर्वोच्च, रंग-बिरंगे, सुस्त, चार-पाँच, दो, तीन-तीन, जल्दी, अच्छी, अच्छे, गरमागरम, विशाल, पतली-पतली, कड़ी, परिचित, छोटे-बड़े, ज्यादा, हस्तलिखित, बड़े-मोटे.

IV.अतिरिक्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
तिब्बत के प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर :
तिब्बत एक पहाड़ी क्षेत्र हैं । यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य अनुपम है । यह सुन्दर मनोहारी घाटियों से घिरा क्षेत्र है । एक ओर हरी-भरी घाटियाँ और हरे-भरे सुन्दर मैदान है, दूसरी ओर डाँडे जैसे ऊँचे पर्वत हैं जो समुद्रतल से सत्रह-अठारह हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं । पर्वतों के शिखरों पर बर्फ जमी रहती है । कुछ भीटे जैसे स्थान भी है जहाँ पहाड़ एकदम नंगे व खाली हैं । इसके अलावा वहाँ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के कोने और नदियों के मोड़ यहाँ की खूबसूरती को और भी बढ़ाते हैं । बर्फ से आच्छादित शिखरों का सौंदर्य तो बस देखते ही बनता है । यहाँ की जलवायु ठंडी होने के कारण मौसम सदा खुशनुमा रहता है ।

प्रश्न 2.
किस घटना से पता चलता है कि तिब्बत के लोग अंधविश्वासी थे ?
उत्तर :
तिब्बत में सुमति के ढेरों यजमान थे । वे उन सब के घरों में बोधगया से लाये गंडों को बाँटकर यजमानों से दक्षिणा लिया करते थे । यजमान भी अपने धर्म में अटूट आस्था रखते थे इसलिए प्रसाद के रूप में गंडों को ले लेते थे । कई बार जब ये गंडे खत्म हो जाते थे, तब सुमति और लेखक अन्य कपड़ों से भी बोधगया की तरह गंडे बनाकर यजमानों को दे देते थे । वे इतने अंधविश्वासी थे कि गंडे असली हैं या नकली इस पर तनिक भी ध्यान नहीं देते थे । उन गंडों को ये बड़ी आस्था से ले लेते थे । यहाँ सुमति भी अपने यजमानों से धार्मिक आस्था का लाभ लेकर साधारण गंडे देकर बदले में दक्षिणा लेते थे ।

प्रश्न 3.
ल्हासा की ओरपाठ के आधार पर बताइए कि तिब्बत में खेती के जमीन की क्या स्थिति थी ?
उत्तर :

तिब्बत में खेती की जमीन छोटे-छोटे जागीरदारों में बँटी है । अपनी-अपनी जागीर में हरेक जागीरदार कुछ खेती खुद भी कराता है, जिसके लिए मजदूर बेगार में मिल जाते हैं । जागीरों का बहुत बड़ा हिस्सा मठों के हाथों में है । खेती का इंतजाम देखने के लिए भिक्षु को भेजा जाता है । ये भिक्षु जागीर के आदमियों के लिए किसी राजा से कम नहीं होता । खेती का निरीक्षण उन्हीं भिक्षुओं द्वारा किया जाता है । नियुक्त भिक्षु का राजा की तरह ही मान-सम्मान दिया जाता है । की भाषा अत्यंत आकर्षक और भ्रामक होती है । अपने उत्पाद को बेचने के लिए वे दर्शकों को लुभाते हैं । विज्ञापन देखनेवाला व्यक्ति उस विज्ञापन को देखकर विज्ञापित वस्तु को खरीदने के लिए बाध्य हो जाता है । परिणामस्वरूप विज्ञापित वस्तु की आवश्यकता न होने पर भी वह उस वस्तु को खरीद लेता है । हम ऐसी बहुत-सी वस्तुओं को खरीद लेते हैं, जिनकी हमें आवश्यकता नहीं होती है ।

प्रश्न 15.
उपभोक्तावादी संस्कृति के क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं ? पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए ।
उत्तर :
उपभोक्तायादी संस्कृति उपभोग और दिखावे की संस्कृति है । इसके आधार पर उपभोग को ही लोग सच्चा सुख्ख मानते हैं । इस संस्कृति को लोगों ने बिना सोचे समझे अपनाया । ताकि वे अपने आप को आधुनिक कहला सकें । हम आधुनिकता के झूठे प्रतिमान अपनाते जा रहे हैं । प्रतिष्ठा की अंधी प्रतिस्पर्धा में जो अपना है उसे खोकर छद्म आधुनिकता को अपनाते जा रहे हैं ।

हमारी अपनी संस्कृति की नियंत्रण शक्तियाँ क्षीण होती जा रही हैं । समाज के दो वर्गों के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है, सामाजिक सरोकारों में कमी आ रही हैं । दिखावे की यह संस्कृति जैसे जैसे फैलेगी, सामाजिक अशांति भी बढ़ेगी । हमारी सांस्कृतिक अस्मिता धीरे-धीरे अपनी पहचान खो देगी । उपभोक्तावादी संस्कृति के ये सभी दुष्परिणाम हो सकते हैं ।

प्रश्न 16.


उपभोक्तावादी संस्कृति का व्यक्ति विशेष पर क्या प्रभाव पड़ा है ? पाठ के आधार पर उत्तर लिखिए ।
उत्तर :
उपभोक्तावादी संस्कृति के प्रभाव में आकर व्यक्ति आत्मकेंद्रित हो गया है । वह अब 
दूसरों के सुख-दुख्न के बारे में तनिक भी विचार नहीं करता । केवल अपने सुख-सुविधाओं के विषय में सोचता है । उपभोक्तावादी संस्कृति भोग एवं दिखावा को बढ़ावा देती है । जबकि हमारी अपनी संस्कृति त्याग, परोपकार, भाइचारे, प्रेम को बढ़ावा देती है । नई संस्कृति के प्रभाव के कारण हमारी संस्कृतियों के मूल्यों का धीरे-धीरे विनाश हो रहा है । इस कारण भी व्यक्ति आत्मकेंद्रित होता जा रहा है ।

व्यक्त्ति चाहता है कि वह अपने आप को अत्याधुनिक कहलाए । इस चक्कर में यह अपने आप को औरों से अलग दिखने के लिए कीमती और ब्रांडेड वस्तुओं को खरीदता है । अधिकाधिक सुख के लिए साधनों का उपभोग करना चाहता है । बहुविज्ञापित वस्तुओं के जाल में फँसकर गुणवत्ताहीन वस्तुओं को खरीदने लगा है । महँगी से महँगी वस्तुओं को खरीद कर समाज में अपनी हैसियत जताना चाहता है । यों उपभोक्तावादी संस्कृति के प्रभाव में आकर व्यक्ति स्वकेंद्रिय व स्वार्थी हो गया है ।

 12.ल्हासा की ओर 

 I.ल्हासा की ओर  Summary  in Hindi

राहुल सांकृत्यायन का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ था । उनके बचपन का नाम केदार पाण्डेय था । उनकी शिक्षा काशी, आगरा और लाहौर में हुई थी । उन्होंने सन् 1930 में श्रीलंका जाकर बौद्ध धर्म अंगीकार किया था । इसके बाद इनका नाम राहुल सांकृत्यायन रख दिया गया । राहुल जी पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, ससी सहित कई भाषाओं के जानकार थे । उन्हें महापण्डित कहा जाता था ।

राहुल जी ने उपन्यास कहानी, आत्मकथा, यात्रावृत्त, जीवनी, आलोचना, शोध आदि अनेक साहित्यिक विधाओं में लेखनकार्य किया है । उन्होंने अनेक ग्रंथों का हिन्दी अनुवाद किया है । इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं, ‘मेरी जीवन यात्रा’ (छहः भाग) दर्शन, दिग्दर्शन, बाइसवीं सदी, वोल्गा से गंगा, भागो नहीं दुनिया को बदलो, दिमागी गुलामी, घुमक्कड़ शास्त्र आदि । साहित्य के अतिरिक्त राहुल जी ने दर्शन, राजनीति, धर्म, इतिहास, विज्ञान आदि विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें भी लिखी है ।

यात्रावृत्त लेखन में राहुलजी का महत्त्वपूर्ण स्थान है । वे घुमक्कड़ी के लिए विख्यात हैं । घुमक्कड़ी के लिए जगविख्यात लेखक राहुल सांकृत्यायन ने अपने यात्रावृत्तांत ल्हासा की ओरमें तिब्बत यात्रा का रोचक वर्णन किया है । तिब्बत से ल्हासा की ओर जाते समय वहाँ के लोग, वहाँ की सांस्कृतिक झांकी का वर्णन भी अनायास हो गया है । लेखक ने यह यात्रा 1920-30 में की थी । उस समय भारतीयों को तिब्बत की यात्रा करने नहीं दिया जाता था इसलिए लेखक ने यह यात्रा एक भिक्षुक के वेश में की थी । तिब्बत से ल्हासा की ओर जानेवाले दुर्गम रास्ते का वर्णन इस पाठ में बड़ी रोचकता से किया गया है ।

II. शब्दार्थ टिप्पण

  • व्यापारिक व्यापार से संबंधित
  • फौजी चौकियाँ फौजियों के रहने का स्थान
  • बसेरा आवास
  • आबाद बसा हुआ
  • परित्यक्त त्याग दिया गया हो
  • निम्न श्रेणी निचली जाति या स्तर
  • अपरिचित अनजान
  • राहदारी यात्रा करने का टेक्स, कर
  • चिट पर्ची
  • मनोवृत्ति मन की वृत्ति
  • दुरुस्त ठीक
  • विकट कठिन, निर्जन, सूनसान
  • खुफिया सापा
  • खून होना हत्या कर देना
  • पड़ाव ठहरने की जगह
  • दक्खिन दक्षिण
  • शिखर चोटी
  • सर्वोच्च सबसे ऊँचा
  • उतराई लान
  • सुस्त धीमा
  • कसूर दोष
  • थुक्पा एक विशेष प्रकार का खाद्य पदार्थ
  • सत्रू भुने गेहूँ, चने आदि का आटा
  • टापू पानी के बीच उठी हुई जमीन
  • समाधिगिरि वह पहाड़ जिस पर समाधि बनी हो
  • गंडे ताबीज
  • भरिया किराये पर बोड़ा उठानेवाले आदमी
  • ललाट माथा
  • बरफ होना अत्यधिक ठंडा होना
  • जागीरदार जागीरों के मालिक
  • बेगार बिना पारिश्रमिक के काम करना
  • इंतजाम प्रबंध
  • भद्र सभ्य
  • आसन बैठने की जगह
  • कन्जुर बुद्धवचन का अनुवाद
  • सेर वजन तोलने की पुरानी ईकाई, करीब 900 ग्राम
  • पुरतकों के भीतर होना पुस्तकों के पढ़ने में लीन हो जाना ।

III. प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिनमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्रवेश भी उन्हें वैसा स्थान नहीं दिला सका था । क्यों ?
उत्तर :
थोड्ला के पहले आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने पर भी उन्हें ठहरने के लिए उचित स्थान इसलिए मिला क्योंकि उनके साथ सुमति थे । सुमति के जान-पहचानवाले लोग वहाँ थे । जबकि दूसरी यात्रा के दौरान लेखक एक भद्रवेश में होने पर भी उनके परिचित का कोई व्यक्ति नहीं था । वह वहाँ के लोगों के लिए अजनबी थे । इसलिए उन्हें किसी से रहने के लिए स्थान नहीं दी थी । परिणामस्वरूप उन्हें निम्न गरीब बस्ती में रहना पड़ा ।

प्रश्न 2.
उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकार का भय बना रहता था ?
उत्तर :
उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न होने के कारण यात्रियों पर हमेशा अपनी जान का खतरा बना रहता था । हथियार का कानून न होने के कारण लोग लाठी की तरह पिस्तौल और बंदूक लिए घूमते हैं । डाकू लोग किसी यात्री को देखकर मार डालते थे बाद में देखते थे कि उनके पास कुछ पैसा है या नहीं । निर्जन स्थान पर कोई गवाह भी नहीं मिलता था । इसलिए उस समय तिब्बत में यात्रियों की जान को हमेशा खतरा रहता था ।

प्रश्न 3.
लेखक लङ्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया ?
उत्तर :
लङ्कोर जाते समय लेखक को जो घोड़ा मिला था वह बहुत धीरे-धीरे चल रहा था । तथा एक जगह पर दो राहें फूट रही थीं । लङ्कोर जाने के लिए उसे दाहिने रास्ते पर जाना चाहिए था, पर लेखक बायें रास्ते पर चल दिए । मील-डेढ़ मील आगे जाने पर लेखक ने रास्ता पूछा तब उन्हें पता चला कि लड्कोर के लिए उन्हें दाहिने हाथवाला रास्ता चुनना था । फिर लेखक वापस आये और दाहिने हाथवाले रास्ते पर चलकर लङ्कोर पहुँचे । यही कारण है कि लङ्कोर के मार्ग में लेखक अपने साथियों से पिछड़ गया ।

प्रश्न 4.
लेखक ने शेकर बिहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया ?

उत्तर :
लेखक जानते थे, शेकर बिहार में सुमति के बहुत यजमान रहते हैं, वे उनके पास जाकर गंडे देकर दक्षिणा वसूल करेंगे, इस कार्य में एक हप्ते लग जाएँगे इसलिए उन्होंने मना कर दिया । दूसरी बार लेखक ने रोकने का प्रयास इसलिए नहीं किया क्योंकि लेखक के सामने कन्जुर की हस्तलिखित 103 पोथियाँ रखी थी, वे उन पुस्तकों को पढ़ने में लीन हो गये थे इसलिए दोबारा जब सुमति ने यजमान के घर जाने को पूछा तो उन्होंने रोकने का प्रयास नहीं किया ।

प्रश्न 5.
अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर :
अपनी तिब्बती यात्रा के दौरान लेखक को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । इस यात्रा में उन्हें भिखमंगा बनना पड़ा । ताकि डाकुओं से बचा जा सके । जहाँ कहीं उन्हें खतरा लगता वे भिखमंगों की तरह भीख मांगने लगते । डाँडा थोड्ला पार करते समय खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ा । निर्जन स्थलों में डाकुओं का भय बना रहा । भरिया के न मिलने पर भारी सामान पीठ पर लादकर चढ़ना पड़ा । उन्हें ऐसा घोड़ा मिला था जो बहुत धीरे-धीरे चल रहा था । इस कारण उन्हें लड़कोर पहुँचने में देर हो गई । बीच में रास्ता भटकने के कारण व घोड़ा धीरे चलने के कारण सुमति के गुस्से का शिकार होना पड़ा । इस प्रकार लेखक को कई विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा ।

प्रश्न 6.
प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था ?
उत्तर :
प्रस्तुत यात्रा वृत्तांत के आधार पर उस समय का तिब्बती समाज खुले विचारों का था । समाज में परदा प्रथा का चलन नहीं था । जाति-पाँति, छुआछूत का कोई भेदभाव नहीं था । महिलाएँ संकुचित विचारधारा की नहीं थी । वे किसी भी अजनबी यात्री के लिए चाय बनाकर दे देती थीं । अपरिचित लोग भी घर के भीतर जाकर अपनी सामग्री से चाय बनवा सकते थे । केवल भिखमंगे को घर के भीतर स्थान नहीं दिया जाता था । पुरुष 
लोग शाम का छड़ पीकर मदहोश रहते थे । तिब्बती लोग बोधगया से लाये गये गंड़ों में अगाध विश्वास करते थे । यह इस बात का संकेत है कि समाज में अंधविश्वास भी था ।

प्रश्न 7.
मैं अब पुस्तकों के भीतर था ।नीचे दिए गये विकल्पों में से कौन-सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है ?
(
क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया ।
(
ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ के भीतर चला गया ।
(
ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं ।
(
घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था ।
उत्तर :
(
क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया ।

प्रश्न 8.
सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले । इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं ?
उत्तर :
सुमति के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

1.      वे काफी मिलनसार व विनम्र व्यक्ति थे । उनकी इस विशेषता के कारण ही हर जगह उनके जान पहचान के लोग थे ।

2.      वे बौद्ध धर्म के अनुयायी थे । बोधगया से लाये गंडे को अपने परिचितों में बाँटकर उनसे दक्षिणा लिया करते थे ।

3.      लोगों की धार्मिक आस्था का अनुचित लाभ उठाते थे । बोधगया के गंडे खत्म होने पर, किसी भी कपड़े से गंडा बनाकर लोगों में बाँट देते थे ।

4.      वे गुस्सैल भी थे । लेखक के विलम्ब आने पर उनके गुस्से का शिकार होना पड़ा ।

प्रश्न 9.
हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी ख्याल करना चाहिए था । उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं । आपकी समझ में यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें ।

उत्तर :
वास्तव में वेशभूषा के आधार पर व्यक्ति का समाज में स्थान और अधिकार तय होता है । जिस व्यक्ति की वेशभूषा अच्छी होती है, लोग उसे आदर देते हैं, जिस व्यक्ति की वेशभूषा खराब होती है, लोग उसकी उपेक्षा करते हैं । किन्तु मेरे विचार से व्यक्ति के जीवन का आदर्श वेशभूषा नहीं बल्कि अच्छे विचार होने चाहिए । किसी की अच्छी वेशभूषा के आधार पर, या किसी की खराब वेशभूषा के आधार पर उसके चरित्र का आकलन नहीं करना चाहिए । हमारे भारतीय समाज में बहुत से ऐसे महान लोग हैं जो साधारण वेशभूषा में रहकर भी उच्च कोटि का कार्य किया है । समाज में ऐसे भी लोग है जो वस्त्र तो शालीन पहनते हैं किन्तु आचरण से अत्यंत हीन है । अथः अच्छी या खराब वेशभूषा के आधार पर किसी व्यक्ति के चरित्र का आकलन नहीं किया जाना चाहिए ।

प्रश्न 10.
यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द चित्र प्रस्तुत करें । वहाँ की स्थिति आपके राज्य/शहर से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर :
तिब्बत भारत और नेपाल से लगता हुआ देश है । यह स्थान समुद्रतल से बहुत ऊँचा है । यहाँ सत्रह-अठारह हजार फीट की ऊँचाईवाले स्थल भी है । डाँडे सबसे खतरनाक जगह है । यह स्थल ऊँचाई पर होने के कारण बहुत दूर तक कोई गाँव-गिराँव नहीं होते । नदियों के मोड़ और पहाड़ों के कोनों के कारण लोग वहाँ जाना नहीं चाहते थे । यहाँ एक ओर बर्फ से ढके श्वेत शिखर हैं तो दूसरी ओर भीटे हैं, जिनमें, न तो बर्फ होती है, न हरियाली । विशाल मैदान है, जो चारों ओर पहाड़ों से घिरे हैं । यहाँ की जलवायु विचित्र है । सूर्य की ओर करके चलने में माथा जलता है और कंधा तथा पीठ बरफ की तरह ठंडे हो जाते हैं । हमारे राज्य या शहर की स्थिति बिलकुल भिन्न हैं । सबसे बड़ी भिन्नता यह है कि यहाँ बर्फीले पहाड़ व उनमें से निकलनेवाली नदियाँ यहाँ नहीं हैं ।

11. आपने भी किसी स्थान की यात्रा अवश्य की होगी ? यात्रा के दौरान हुए अनुभवों को लिखकर प्रस्तुत करें ।

हम ने विशाखपट्टणम की यात्रा की। विशाखपट्टणम बहुत सुंदर नगर है। इसकी यात्रा बहुत संतोष जनक सही। यहाँ का सागर, पर्वत मालाएँ, कैलास गिरि बहुत सुंदर है। यहाँ हम ने रामकृष्ण समुद्र तट, बीमली समुद्र तट आदि देख लिये। ये बहुत सुंदर लगते हैं। यहाँ विशाखपट्टणम का प्रसिद्ध कनकमहालक्ष्मी जी का मंदिर है।

प्रश्न 12.
यात्रा-वृत्तांत गद्य साहित्य की एक विधा है । आपकी इस पाठ्य-पुस्तक में कौन-कौन-सी विधाएँ हैं ? प्रस्तुत विद्या उनसे किन मायनों में अलग है ?
उत्तर :
क्षितिज भाग-1 में गद्य की कई विधाओं का समावेश हुआ है । जिनमें एक कहानी, एक यात्रावृत्तांत, तीन निबंध, दो संस्मरण तथा एक रितोपार्ज है । प्रस्तुत पाठ ल्हासा की ओरयात्रा-वृत्तांत है जो सभी विधाओं से भिन्न है । इसमें लेखक ने तिब्बत की यात्रा का जीवंत वर्णन किया है । लेखक द्वारा अनुभूत प्रत्येक क्षण का वर्णन है, कपोल कल्पना का कहीं भी स्थान नहीं । बाकी सभी विधाओं में कहीं न कहीं कल्पना का आसरा लिया जाता है । यात्रा-वृत्तांत में पूर्ण सच्चाई व अनुभव का वर्णन होता है । इसलिए यह सभी विधाओं में अलग है ।

.III. भाषा-अध्ययन

प्रश्न 13.
किसी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है। जैसे
सुबह होने से पहले हम गाँव में थे ।
पौ फटनेवाली थी कि हम गाँव में थे ।
तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए ।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए
जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे ।
उत्तर :
उपर्युक्त वाक्य को निम्न ढंग से भी लिखा जा सकता है

  • पता नहीं चलता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे ।
  • यह पता ही नहीं चलता कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे ।
  • घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे उसका कुछ पता ही नहीं चल पा रहा था ।

प्रश्न 14.
ऐसे शब्द जो किसी अंचलया क्षेत्र विशेष में प्रत्युक्त होते हैं, उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है । प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूंढकर लिखिए : उत्तर :
पाठ में आए हुए आंचलिकशब्द
फरी-कलिङ्पोङ्, चोडी, छङ्, डाँडा, थोङ्ला, कुची-कुची, लङ्कोर, कंडे, थुक्पा, भरिया, गंडा, तिकी, कन्जुर ।

प्रश्न 15.
पाठ में कागज़, अक्षर, मैदान के आगे क्रमश: मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है । इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर आती है । पाठ में से ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों ।
उत्तर :
मुख्य, व्यापारिक, सैनिक, फ़ौजी, चीनी, परित्यक्त, आबाद, बहुत, निम्नश्रेणी, अपरिचित, टोटीदार, सारा, दोनों, पाँच, अच्छी, भद्र, गरीब, दुरुस्त, विकट, खूनी, ऊँची, श्वेत, सर्वोच्च, रंग-बिरंगे, सुस्त, चार-पाँच, दो, तीन-तीन, जल्दी, अच्छी, अच्छे, गरमागरम, विशाल, पतली-पतली, कड़ी, परिचित, छोटे-बड़े, ज्यादा, हस्तलिखित, बड़े-मोटे.

IV.अतिरिक्त दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
तिब्बत के प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर :
तिब्बत एक पहाड़ी क्षेत्र हैं । यहाँ का प्राकृतिक सौन्दर्य अनुपम है । यह सुन्दर मनोहारी घाटियों से घिरा क्षेत्र है । एक ओर हरी-भरी घाटियाँ और हरे-भरे सुन्दर मैदान है, दूसरी ओर डाँडे जैसे ऊँचे पर्वत हैं जो समुद्रतल से सत्रह-अठारह हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित हैं । पर्वतों के शिखरों पर बर्फ जमी रहती है । कुछ भीटे जैसे स्थान भी है जहाँ पहाड़ एकदम नंगे व खाली हैं । इसके अलावा वहाँ ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों के कोने और नदियों के मोड़ यहाँ की खूबसूरती को और भी बढ़ाते हैं । बर्फ से आच्छादित शिखरों का सौंदर्य तो बस देखते ही बनता है । यहाँ की जलवायु ठंडी होने के कारण मौसम सदा खुशनुमा रहता है ।

प्रश्न 2.
किस घटना से पता चलता है कि तिब्बत के लोग अंधविश्वासी थे ?
उत्तर :
तिब्बत में सुमति के ढेरों यजमान थे । वे उन सब के घरों में बोधगया से लाये गंडों को बाँटकर यजमानों से दक्षिणा लिया करते थे । यजमान भी अपने धर्म में अटूट आस्था रखते थे इसलिए प्रसाद के रूप में गंडों को ले लेते थे । कई बार जब ये गंडे खत्म हो जाते थे, तब सुमति और लेखक अन्य कपड़ों से भी बोधगया की तरह गंडे बनाकर यजमानों को दे देते थे । वे इतने अंधविश्वासी थे कि गंडे असली हैं या नकली इस पर तनिक भी ध्यान नहीं देते थे । उन गंडों को ये बड़ी आस्था से ले लेते थे । यहाँ सुमति भी अपने यजमानों से धार्मिक आस्था का लाभ लेकर साधारण गंडे देकर बदले में दक्षिणा लेते थे ।

प्रश्न 3.
ल्हासा की ओरपाठ के आधार पर बताइए कि तिब्बत में खेती के जमीन की क्या स्थिति थी ?
उत्तर :
तिब्बत में खेती की जमीन छोटे-छोटे जागीरदारों में बँटी है । अपनी-अपनी जागीर में हरेक जागीरदार कुछ खेती खुद भी कराता है, जिसके लिए मजदूर बेगार में मिल जाते हैं । जागीरों का बहुत बड़ा हिस्सा मठों के हाथों में है । खेती का इंतजाम देखने के लिए भिक्षु को भेजा जाता है । ये भिक्षु जागीर के आदमियों के लिए किसी राजा से कम नहीं होता । खेती का निरीक्षण उन्हीं भिक्षुओं द्वारा किया जाता है । नियुक्त भिक्षु का राजा की तरह ही मान-सम्मान दिया जाता हैI 

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