प्रश्नावली:-
1. खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर का उदाहरण देकर इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर: खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का आशय हैं की सभी स्थानों के सभी व्यंजनों का आनंद उठाना। इसमें विदेशी व्यंजन, स्वदेशी व्यंजन और प्रांतीय व्यंजनों का समावेश हैं। भोजन में उसके स्वाद और उसकी गुणवत्ता को बनाए रखना मुख्य भाग होता है। पसंद के आधार पर एक दूसरे के प्रांत की चीज़ों को अपने भोजन में शामिल किया जाता है। विश्व में भारत खानपान की दृष्टि से भी विख्यात हैं, क्योंकि यहां अलग - अलग प्रांत कि अपनी विशेषता है।इसका अर्थ है कि हर प्रांत में मुख्य व्यंजन है को केवल उसी प्रांत में मिलते हैं। जैसे - दक्षिण भारत का इडली डोसा, उपमा, सांभर, नारियल की चटनी यह सभी व्यंजन बड़े ही स्वादिष्ट होते हैं। गुजरात के जलेबी - फाफडा, ढोकला वहां के प्रसिद्ध व्यंजन हैं। यह सभी व्यंजन केवल थी खाने को नहीं मिलता बल्कि भारत के हर कोने में मिलते हैं।यदि अपने घरों की बात कि जाए तो वहां देशी, विदेशी और प्रांतीय भोजन बनाया जाता है।
2. खानपान में बदलाव करने के क्या फायदे होते हैं? तथा लेखक इन्हें लेकर चिंतित क्यों हैं।
उत्तर: खानपान में बदलाव के फायदे निम्नलिखित हैं:
खानपान की मिश्रित संस्कृति से राष्ट्रीय एकता को बढावा मिलता है।
कामकाजी महिलाओं को देशी विदेशी व्यंजनों की विधि का ज्ञान होता है जो जल्दी बनकर त्यार हो जाते हैं।
बच्चे एक ही प्रकार का भोजन करके उब जाते हैं इससे बच्चो को खाने में विकल्प प्राप्त हो जाते हैं।
नई पीढ़ी अब इस संस्कृति को एक व्यवसाय के रूप में ले रहीं हैं। लेखक मिश्रित संस्कृति के बदलावों को लेकर चिंतित भी हैं क्योंकि इस संस्कृति में व्यंजनों को उनके असली स्वाद से वंचित रहना पड़ता है। नई पीढ़ी को स्थानीय व्यंजनों के बारे में पूरी जानकारी नहीं मिल पाती।
3. खानपान के मामले में स्थानीयता का क्या अर्थ होता है?
उत्तर: खानपान के मामले में स्थानीयता का अर्थ होता है कि किसी विशेष व्यंजन का किसी शहर में मिलना। उदाहरण के तौर पर मुंबई का वड़ापाव, पाव भाजी गुजरात का ढोकला दिल्ली के छोले भटुरे आगरा का पेठा आदि सभी स्थानीय व्यंजन होते हैं।
निबंध से आगे :-
1. घर में बातचीत करकेप्ता कीजिए कि आपके घर में क्या चीज़े पकती है और कौन - कौन से चीज़े बाहर से लाई जाती हैं।? इनमें कौन - सी चीज़े हैं जो अब बाहर से लाई जाती हैं पर आपके माता - पिताजी के समय में वह घर में ही बनाई जाती थी?
उत्तर: घर में बनने वाली चीज़े - दाल, रोटी, चावल, करेले की सब्जी, बैगन की सब्जी, समोसे, पकोड़े।
बाहर से आने वाली चीज़े - मिठाइयां, रबड़ी, आइस-क्रीम, पिज़्ज़ा, बर्गर आदि।
इन सब में पहले मिठाइयां और रबड़ी घर में बनाई जाती थी।
2. यहां खाने पकाने और स्वाद से सम्बन्धित कुछ शब्द दिए गए हैं उन्हें डायन से देखिए और उनका वर्गीकरण कीजिए।
उबालना, तलना, सेकना, भूनना, दाल, भात, रोटी, पापड़, आलू, बैगन, खट्टा, मीठा, तीखा, नमकीन, कसैला।
भोजन कैसे पकाया स्वाद
उत्तर:
3. छौंक, चावल, कड़ी।
इन शब्दों में क्या अंतर हैं? समझाइए। इन्हें बनाने के तरीके विभिन्न प्रांतों में अलग अलग हैं।पता करे की आपके प्रांत में इन्हे कैसे बनाया जाता है?
उत्तर: छौंक: कड़ाई में घी गरम करके जीरा, राई, कड़ी पत्ता आदि मसले डालकर छौंक तैयार किया जाता है। कभी कभी छौंक में लहसुन और टमाटर भी डाले जाते है। विभिन्न प्रांतों में छौंक बनाने का तरीका अलग होता है।
चावल: चावल पानी में उबालकर बनाया जाता है। चावल भी विभिन्न प्रकार के होते हैं - सादे चावल और बासमती चावल। चावल बनाने के तरीका भी भिन्न - भिन्न होते हैं। सब्जियां मिलाकर बनाने से पुलाव बनता है, दाल मिलाकर बनाने से खिचड़ी बनती हैं। बासमती चावल से बिरयानी बनाई जाती हैं और दूध मिलाकर बनाने से खीर बनती हैं।
कड़ी: कड़ी भी विभिन्न तरीकों से बनाई जाती है। दही से भी कड़ी बनाई जाती हैं। कुछ लोग बेसन को भूनकर उसमें सब्जियां भिंडी, गोबी, आलू मिलाकर भी कड़ी बनाई जाती हैं।
4. पिछली शताब्दी में खानपान कि बदलती तस्वीर का खाका खीचे तो इस प्रकार होगा।
सन् साथ का दशक - छोले - भटुरे ।
सन् सत्तर का दशक - इडली, डोसा
सन् अस्सी का दशक - तिब्बती(चीनी) भोजन
सन् नब्बे का दशक - पिज़्ज़ा, पाव - भाजी
इसी प्रकार आप कुछ बदलती पोशाकों या कपड़ों का खाका खीचिए।
उत्तर: सन् साठ का दशक - कुर्ता- पायजामा, धोती, साड़ी, लहंगा-चोली।
सन् स्त्तर का दशक - पेंट - शर्ट, कुर्ता - सलवार, साड़ी
सन् अस्सी का दशक - स्कर्ट, चूड़ीदार - पायजामा, जीन्स - टॉप, टीशर्ट
सन् नब्बे का दशक - जीन्स - टॉप, टीशर्ट, कोट, शेरवानी
5. मान लीजिए आपके घर मेहमान आ रहे हैं और वह आपके प्रांत का पारंपरिक भोजन करना चाहते हैं। उन्हें खिलाने के लिए आप अपने घर के लोगों की मदद से एक व्यंजन सूची (मेन्यू) बनाईए।
उत्तर: प्रस्तुत निबन्ध में खानपान कि बदलती तस्वीर दिखाई गई है, जिसके अनुसार प्रांत कोई भी हो मेहमान के आने पर तो खाना नए जमाने के अनुसार ही बनता है। मान लीजिए महमं पंजाबी खाना चाहते हैं तो उसके अनुसार हमारा मेन्यू निम्न होगा:
सबसे पहले तो मेहमानों को स्वागत पेय ( वेलकम ड्रिंक ) दिया जाता है।उसमें हम लस्सी प्रस्तुत करेंगे ।
इसके बाद शुरुवाती व्यंजन अर्थात स्टार्टर में हम उन्हें समोसे, कचोरी,आदि परोस सकते हैं
इसके बाद मुख्य भोजन अर्थात मेन कोर्स में छोले भटुरे, राजमा चावल परोसेंगे।
खाने के बाद मीठे में टोशे, गाजर का हलवा,खीर परोसेंगे।
अनुमान और कल्पना :-
1.' फास्ट फूड ' अर्थात् तुरंत भोजन के नफे - नुकसान पर कक्षा में वाद - विवाद कीजिए।
उत्तर: 'फास्ट फूड' अर्थात तुरंत भोजन के फायदे नुकसान दोनो हैं।
फायदे - पहले हम फायदे के बारे में बात करेंगे। आज कल की भाग दौड़ वाली ज़िंदगी में फास्ट फूड का चलन बढ़ गया है क्योंकि फास्ट फूड जैसे - मैगी, पास्ता,नूडल्स आदि जल्दी बन जाते हैं। पहले के समय में स्त्रियां घर से बाहर काम करने नहीं जाया करती थी तथा वह घर का सारा काम स्वंय करती थी और खाना बनाने पर विशेष ध्यान देती थी।समय की कोई पाबन्दी नहीं हुआ करती थी, आजकल स्त्रियां भी बाहर काम करने जाती हैं तो ऐसे में कुछ भी झ्ट पट फास्ट फूड बना देती है। दूसरा कारण बच्चों की पसंद आजकल के बच्चे मेथी के पराठे,कुट्टू आदि सब्जियां नहीं खाते इसलिए मताए उन्हें मैगी बनाकर देती हैं।
नुकसान - फास्ट फूड को खाने से उसके फायदे से ज्यादा उसके नुकसान हैं। फास्ट फूड सेहत का सबसे बड़ा शत्रु हैं।जिसे अपनी सेहत बेकार करनी हैं वोह फास्ट फूड खाए।फास्ट फूड जल्दी पचता नहीं जिससे पेट सम्बन्धित बीमारियां हो जाती है। फास्ट फूड में जो मसले डाले जाते हैं वह संक्रमण करते हैं।
2. हर शहर, कस्बे में कुछ ऐसे स्थान अवश्य होते हैं जो अपने मुख्य व्यंजन के लिए जानी जाती हैं आप अपने कस्बे, शहर का चित्र बनाकर उनमें सभी स्थानों को दर्शाए।
उत्तर: मुंबई - वड़ा - पाव, पाव-भाजी (फूड स्ट्रीट)
दिल्ली - छोलेभटूरे, आलू पराठा, दही-भल्ले (चांदनी चौक - पराठा गली)
कोलकाता - संदेश, रसगुल्ला, बंगाली मिठाई
पंजाब - छोलेभटूरे, राजमा चावल, आलू का पराठा, गोबी का पराठा (अमृतसर)
गुजरात - खमन-ढोकला, फाफडा, जलेबी (कुबेर नगर)
भाषा की बात :
1. खानपान शब्द,खान पान दो शब्दो से मिलकर बना है। खान पान शब्द में और छुपा हुआ हैं। जिन शब्दों के योग में और, अथवा, या जैसे योजक शब्द छीपे होते हैं, उन्हें द्वंद समास कहते हैं।नीचे द्वंद समास के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। इनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए और अर्थ समझाइए।
सीना - पिरोना
भला - बुरा
चलना - फिरना
लंबा - चौड़ा
कहा - सुनी
घास - फूस
उत्तर: सीना - पिरोना- पहले के समय में स्त्रियां घर में ही सीना पिरोना का कार्य किया करती थी।
भला - बुरा - हमें अपने पड़ोसियों को भला बुरा नहीं बोलना चाहिए।
चलना - फिरना - एक हफ़्ते अस्प्ताल में रहने के बाद गुप्ता जी चलने फिरने लगे।
लंबा - चौड़ा - पहलवान लंबे चौड़े होते हैं।
कहा - सुनी - कभी कभी दो मित्रो में छोटी बातो को लेकर कहा सुनी हो जाती हैं।
घास - फूस - गावं में अभी भी लोग घास फूस से बने घरो में रहते हैं।
2. कई बार एक शब्द सुनने या पड़ने पर और शब्द भी याद आ जाते हैं। आइए इससे शब्दो की कड़ी बनाए।नीचे शुरुवात कि गई हैं। उससे आप आगे बढाइए।कक्षा में मौखिक सामूहिक गतिविधि में भी इसे दिया जा सकता। इडली - दक्षिण - केरल - ओणम - त्योहार - छुट्टी - आराम।
1. घर में बातचीत करकेप्ता कीजिए कि आपके घर में क्या चीज़े पकती है और कौन - कौन से चीज़े बाहर से लाई जाती हैं।? इनमें कौन - सी चीज़े हैं जो अब बाहर से लाई जाती हैं पर आपके माता - पिताजी के समय में वह घर में ही बनाई जाती थी?
उत्तर: घर में बनने वाली चीज़े - दाल, रोटी, चावल, करेले की सब्जी, बैगन की सब्जी, समोसे, पकोड़े।
बाहर से आने वाली चीज़े - मिठाइयां, रबड़ी, आइस-क्रीम, पिज़्ज़ा, बर्गर आदि।
इन सब में पहले मिठाइयां और रबड़ी घर में बनाई जाती थी।
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पाठ 2. हम पंछी उन्मुक्त गगन के:-
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1. हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते ?
उत्तर: पक्षी आकाश में आजाद उड़ना चाहते है। पिंजरे मे वे अपने पंख नही फैला सकते। अगर वे अपने पंख फैलायेंगे तो पिंजरे की सलाखों से लड़कर उनके पंख टूट जाएंगे। हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में प्रसन्न नहीं रह सकते क्योंकि आजादी की उड़ान उनमें नई उमंग और प्रसन्नता भर देती है। आज़ाद रहकर वे नदी का शीतल पानी पीना चाहते हैं और आसमान की ऊंचाइयों को छुना चाहते हैं।
2. पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं?
उत्तर: पक्षी उन्मुक्त रहकर खुले आकाश में उड़ना चाहते है। वह नदी का बहता हुआ जल पीना चाहते है, प्रकृति के सुन्दर रूप का आनन्द लेना चाहते है और नीम की कड़वी निबोरिया खाना चाहते है। वे पेड़ की ऊँची टहनियों पर भी झूला झूलना चाहते है।
3. भाव स्पष्ट कीजिए-
या तो क्षितिज मिलन बन जाता या तनती साँसों की डोरी।
उत्तर: इस पंकित में कवि पक्षियों के माध्यम से कहना चाहता है कि वो आजाद पक्षी होते तो क्षितिज जहाँ धरती और आकाश मिलते है, से मिल जाना चाहते है। पक्षी आकाश में उड़ना चाहते हैं चाहे उनकी सांसों की डोरी टूट जाए भाव इसमें चाहे उनके प्राण चले जाएं।
4. कई लोग पक्षी पालते हैं
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर: क) हमारे ख्याल से पक्षियों को पिंजरे में बंद करना उचित नहीं। क्योंकि पक्षी उन्मुक्त होकर खुले आकाश में पंख फैलाकर उड़ना चाहते हैं और नदियों का शीतल जल पीना चाहते हैं, पेड़ की सबसे ऊँची टाहनी पर झूलना चाहते है। पिंजरे में पक्षियों को सारी सुख सुविधा हो लेकिन उड़न उनमें उमंग और प्रसन्नता भर देती है।
(ख) क्या आपने या आपकी जानकारी में किसी ने कभी कोई पक्षी पाला है? उसकी देखरेख किस प्रकार की जाती होगी, लिखिए।
उत्तर: ख)अगले पक्षी ने अपना सिर उठाया। प्रदर्शनी से खरीदा। हर दिन घर की सफाई करते हुए पूरे परिवार ने उन्हें बड़े प्यार से प्यार किया। एक कटोरी में तरह-तरह के बर्तन थे और दूसरे में पानी पीने के लिए। मेरे पड़ोसी ने बैरो से घंटों बात की और उसे पार्क में ले आए। तोते के पास उसके परिवार के सभी सदस्यों के नाम थे लेकिन तोते ने उसके दिल का भारी खाना खा लिया। जैसे ही हम अपने बगल के घर के पास पहुंचे उसने हमें आत्मविश्वास से देखा।
5. पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आज़ादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर: अगर हम पक्षियों को पिंजरे में बंद रखेगें तो इससे हमारे पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ता है। पक्षी छोटे छोटे कीड़ों को खाते हैं जिससे उनकी संख्या नियमित होती है। ये कीड़े हमारी फसल को नुकसान पहुँच सकते हैं। पक्षि पर्यावरण में भी अनेक चीजों में सहायक का काम करते हैं। जैसे पक्षि फलों को खाकर बीजों को गिरा देते है जिससे नये पौधे पनपते है। कुछ पक्षी पर्यावरण को साफ रखने का काम करते है। जैसे हमारे द्वारा फैकी रोटी का टुकड़ा खाकर उसे स्वच्छ बनाये रखने का प्रयास करते है।
6. क्या आपको लगता है कि मानव की वर्तमान जीवन-शैली और शहरीकरण से जुड़ी योजनाएँ पक्षियों के लिए घातक हैं? पक्षियों से रहित वातावरण में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए? उक्त विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
उत्तर: मानव की वर्तमान जीवन शैली ओर शहरीकरण के लिए मानव अपने रहने के लिए इमारतें बनाने के लिए पेड़ काट रहा है जिससे जंगल कम होते जा रहे है जो कि पक्षियों के लिए घातक है क्योंकि पक्षियों के घर इन पेड़ों पर ही होते है। पेड़ों के कम होने से हमारा पर्यावरण और पानी भी प्रदूषित हो रहा है, पक्षियों को खाने के लिए फल भी कम मिल रहे है जो पक्षियों के लिए घातक है।
इन समस्या से बचने के लिए हमें अपना पर्यावरण शुद्ध रखना होगा और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होगें जिससे पक्षियों को कोई नुकसान न हो।
7. यदि आपके घर के किसी स्थान पर किसी पक्षी ने अपना आवास बनाया है और किसी कारणवश आपको अपना घर बदलना पड़ रहा है तो आप उस पक्षी के लिए किस तरह के प्रबंध करना आवश्यक समझेंगे? लिखिए।
उत्तर: यदि मुझे किसी कारणवश अपना घर बदलना पड़ रहा है तो मैं उस पक्षी के लिए कनक, चावल, मक्की, ज्वार, बाजरा आदि अनाज और साथ में पानी की कटोरी का इंतजाम करुँगी। इसके साथ - साथ सुरक्षा का प्रबंध करना आवश्यक समझूंगी ताकि उसे मेरी गैरमौजूदगी में उसे कोई परेशानी ना महसूस हो।
9. ‘भूखे-प्यासे’ में द्वंद्व समास है। इन दोनों शब्दों के बीच लगे चिह्न को सामासिक चिह्न (-) कहते हैं। इस चिह्न से ‘और’ का संकेत मिलता है, जैसे-भूखे-प्यासे = भूखे और प्यासे।
इस प्रकार के दस अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:
1. दाल-रोटी – दाल और रोटी
2. अन्न-जल – अन्न और जल
3. सुबह-शाम – सुबह और शाम
4. पाप-पुण्य – पाप और पुण्य
5. राम-सीता – राम और सीता
6. सुख-दुख – सुख और दुख
7. तन-मन – तन और मन
8. दिन-रात – दिन और रात
9. दूध-दही – दूध और दही
10. कच्चा-पक्का – कच्चा और पक्का
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पाठ 3. हम पंछी उन्मुक्त गगन के:-
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1. हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते ?
उत्तर: पक्षी आकाश में आजाद उड़ना चाहते है। पिंजरे मे वे अपने पंख नही फैला सकते। अगर वे अपने पंख फैलायेंगे तो पिंजरे की सलाखों से लड़कर उनके पंख टूट जाएंगे। हर तरह की सुख सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में प्रसन्न नहीं रह सकते क्योंकि आजादी की उड़ान उनमें नई उमंग और प्रसन्नता भर देती है। आज़ाद रहकर वे नदी का शीतल पानी पीना चाहते हैं और आसमान की ऊंचाइयों को छुना चाहते हैं।
2. पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ पूरी करना चाहते हैं?
उत्तर: पक्षी उन्मुक्त रहकर खुले आकाश में उड़ना चाहते है। वह नदी का बहता हुआ जल पीना चाहते है, प्रकृति के सुन्दर रूप का आनन्द लेना चाहते है और नीम की कड़वी निबोरिया खाना चाहते है। वे पेड़ की ऊँची टहनियों पर भी झूला झूलना चाहते है।
3. भाव स्पष्ट कीजिए-
या तो क्षितिज मिलन बन जाता या तनती साँसों की डोरी।
उत्तर: इस पंकित में कवि पक्षियों के माध्यम से कहना चाहता है कि वो आजाद पक्षी होते तो क्षितिज जहाँ धरती और आकाश मिलते है, से मिल जाना चाहते है। पक्षी आकाश में उड़ना चाहते हैं चाहे उनकी सांसों की डोरी टूट जाए भाव इसमें चाहे उनके प्राण चले जाएं।
4. कई लोग पक्षी पालते हैं
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं? अपने विचार लिखिए।
उत्तर: क) हमारे ख्याल से पक्षियों को पिंजरे में बंद करना उचित नहीं। क्योंकि पक्षी उन्मुक्त होकर खुले आकाश में पंख फैलाकर उड़ना चाहते हैं और नदियों का शीतल जल पीना चाहते हैं, पेड़ की सबसे ऊँची टाहनी पर झूलना चाहते है। पिंजरे में पक्षियों को सारी सुख सुविधा हो लेकिन उड़न उनमें उमंग और प्रसन्नता भर देती है।
(ख) क्या आपने या आपकी जानकारी में किसी ने कभी कोई पक्षी पाला है? उसकी देखरेख किस प्रकार की जाती होगी, लिखिए।
उत्तर: ख)अगले पक्षी ने अपना सिर उठाया। प्रदर्शनी से खरीदा। हर दिन घर की सफाई करते हुए पूरे परिवार ने उन्हें बड़े प्यार से प्यार किया। एक कटोरी में तरह-तरह के बर्तन थे और दूसरे में पानी पीने के लिए। मेरे पड़ोसी ने बैरो से घंटों बात की और उसे पार्क में ले आए। तोते के पास उसके परिवार के सभी सदस्यों के नाम थे लेकिन तोते ने उसके दिल का भारी खाना खा लिया। जैसे ही हम अपने बगल के घर के पास पहुंचे उसने हमें आत्मविश्वास से देखा।
5. पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आज़ादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर: अगर हम पक्षियों को पिंजरे में बंद रखेगें तो इससे हमारे पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ता है। पक्षी छोटे छोटे कीड़ों को खाते हैं जिससे उनकी संख्या नियमित होती है। ये कीड़े हमारी फसल को नुकसान पहुँच सकते हैं। पक्षि पर्यावरण में भी अनेक चीजों में सहायक का काम करते हैं। जैसे पक्षि फलों को खाकर बीजों को गिरा देते है जिससे नये पौधे पनपते है। कुछ पक्षी पर्यावरण को साफ रखने का काम करते है। जैसे हमारे द्वारा फैकी रोटी का टुकड़ा खाकर उसे स्वच्छ बनाये रखने का प्रयास करते है।
6. क्या आपको लगता है कि मानव की वर्तमान जीवन-शैली और शहरीकरण से जुड़ी योजनाएँ पक्षियों के लिए घातक हैं? पक्षियों से रहित वातावरण में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए? उक्त विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए।
उत्तर: मानव की वर्तमान जीवन शैली ओर शहरीकरण के लिए मानव अपने रहने के लिए इमारतें बनाने के लिए पेड़ काट रहा है जिससे जंगल कम होते जा रहे है जो कि पक्षियों के लिए घातक है क्योंकि पक्षियों के घर इन पेड़ों पर ही होते है। पेड़ों के कम होने से हमारा पर्यावरण और पानी भी प्रदूषित हो रहा है, पक्षियों को खाने के लिए फल भी कम मिल रहे है जो पक्षियों के लिए घातक है।
इन समस्या से बचने के लिए हमें अपना पर्यावरण शुद्ध रखना होगा और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होगें जिससे पक्षियों को कोई नुकसान न हो।
7. यदि आपके घर के किसी स्थान पर किसी पक्षी ने अपना आवास बनाया है और किसी कारणवश आपको अपना घर बदलना पड़ रहा है तो आप उस पक्षी के लिए किस तरह के प्रबंध करना आवश्यक समझेंगे? लिखिए।
उत्तर: यदि मुझे किसी कारणवश अपना घर बदलना पड़ रहा है तो मैं उस पक्षी के लिए कनक, चावल, मक्की, ज्वार, बाजरा आदि अनाज और साथ में पानी की कटोरी का इंतजाम करुँगी। इसके साथ - साथ सुरक्षा का प्रबंध करना आवश्यक समझूंगी ताकि उसे मेरी गैरमौजूदगी में उसे कोई परेशानी ना महसूस हो।
9. ‘भूखे-प्यासे’ में द्वंद्व समास है। इन दोनों शब्दों के बीच लगे चिह्न को सामासिक चिह्न (-) कहते हैं। इस चिह्न से ‘और’ का संकेत मिलता है, जैसे-भूखे-प्यासे = भूखे और प्यासे।
इस प्रकार के दस अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर:
1. दाल-रोटी – दाल और रोटी
2. अन्न-जल – अन्न और जल
3. सुबह-शाम – सुबह और शाम
4. पाप-पुण्य – पाप और पुण्य
5. राम-सीता – राम और सीता
6. सुख-दुख – सुख और दुख
7. तन-मन – तन और मन
8. दिन-रात – दिन और रात
9. दूध-दही – दूध और दही
10. कच्चा-पक्का – कच्चा और पक्का
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पाठ 4. दादी माँ
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1.लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की और किन-किन बातों की याद आ जाती है?
उत्तर: लेखक को दादी माँ की याद के साथ - साथ अपने बचपन की स्मृतियाँ जैसे किनारों पर झाग भरे जलाशयों में कूदना , बीमार होने पर दादी का दिन - रात ख्याल रखना, किशन भैया की शादी पर औरतों द्वारा गीत व अभिनय के समय पकड़े जाने पर दादी माँ का उनका पक्ष लेना , दादी माँ के द्वारा रामी चाची की आर्थिक मदद करना और उनका हर काम में उपस्थित होना याद आ जाता है |
2. दादा की मृत्यु के बाद लेखक के घर की आर्थिक स्थिति खराब क्यों हो गई थी?
उत्तर: दादाजी की मृत्यु के बाद लेखक के पिताजी ने संपत्ति का सही उपयोग नहीं किया था | दादाजी के श्राद्ध में दादी माँ के मना करने पर भी लेखक के पिताजी ने अतुल संपत्ति व्यय की जो घर की संपत्ति नहीं थी | इसी कारण से उनके घर स्थिति ख़राब हो गयी |
3.दादी माँ के स्वभाव का कौन सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों ?
उत्तर: दादी माँ का सरल एवं दयालु स्वभाव हमें अच्छा लगता है | दादी माँ वाणी से भले ही कठोर थी परंतु घर के सदस्यों एवं दूसरों की आर्थिक मदद के लिए हमेशा तैयार रहती थी | रामी चाची का क़र्ज़ माफ़ कर उसे दस रुपये भी दिए ताकि उसकी बेटी के विवाह में किसी भी तरह की रूकावट नहीं आये | घरवालों की आर्थिक सहायता हेतु दादी माँ ने दादाजी के दिए हुए कंगन भी उन्हें दे दिए थे | इन्ही कारणों से हमे दादी माँ का यह स्वाभाव अच्छा लगता है |
भाषा की बात:
1.नीचे दी गई पंक्तियों पर ध्यान दीजिए
जरा-सी कठिनाई पड़ते
अनमना-सा हो जाता है।
सन-से सफ़ेद
समानता का बोध कराने के लिए सा, सी, से का प्रयोग किया जाता है। ऐसे पाँच और शब्द लिखिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:1.नन्हा सा - कल मेरे आँगन में एक नन्हा - सा पक
2.प्यारी सी - फूल पर एक प्यारी - सी तितली बैठी है |
3.मिश्री सी - कोयल की मिश्री-सी गीत बड़ी आनंददायक होती है।
4.झील सी - उसकी आँखें झील - सी नीली थी |
5.पत्थर सा - उसका दिल पत्थर - सा कठोर है |
2.कहानी में छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं, पूछ-पूछकर घरवालों को परेशान कर देतीं’-जैसे वाक्य आए हैं। किसी क्रिया को जोर देकर कहने के लिए एक से अधिक बार एक ही शब्द का प्रयोग होता है। जैसे वहाँ थक गया, उन्हें ढूंढ-ढूँढ़कर देख लिया। इस प्रकार के पाँच वाक्य बनाइए।
उत्तर:1.रोहन टीना को समझा - समझाकर थक गया परंतु वह नहीं मानी|
2.रीना और कार्तिक एक दूसरे को देख - देखकर हँस रहे थे|
3.भीड़ ने चोर को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया |4
4.सीमा फूट - फूटकर रोने लगी |
5.अखिल भाग - भागकर थक गया |
3.बोलचाल में प्रयोग होने वाले शब्द और वाक्यांश ‘दादी माँ’ कहानी में हैं। इन शब्दों और वाक्यांशों से पता चलता है कि यह कहानी किसी विशेष क्षेत्र से संबंधित है। ऐसे शब्दों और वाक्यांशों में क्षेत्रीय बोलचाल की खूबियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए-निकसार, बरह्मा, उरिन, चिउड़ा, छौंक इत्यादि शब्दों को देखा जा सकता है। इन शब्दों का उच्चारण अन्य क्षेत्रीय बोलियों में अलग ढंग से होता है; जैसे-चिउड़ा को चिड़वा, चूड़त्र, पोहा और इसी तरह छौंका को छौंक, तड़का भी कहा जाता है। निकसार, उरिन और बरह्मा शब्द क्रमशः निकास, उऋण और ब्रह्मा शब्द का क्षेत्रीय रूप हैं। इस प्रकार के दस शब्दों को बोलचाल में उपयोग होने वाली भाषा/बोली से एकत्र कीजिए और कक्षा में लिखकर दिखाइए।
उत्तर: माटी - मिट्टी , भाग - भाग्य , जमना - जमुना , छोरा - लड़का , काज - कार्य , प्रलै - प्रलय , तेरा - थारा , रिसतेदार - रिश्तेदार , घना - अधिक , स्नान - नहाना !
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पाठ 5 - कठपुतली
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1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर: कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि वह हमेशा दूसरों के इशारों पर नाचती थी। उसे चारों ओर से धागों के बंधन से बांध रखा थी और वह दूसरों की आज्ञाओं का पालन करते-करते थक गई थी।अब वह अपने पांव पर खड़ी होना चाहती है व आत्मनिर्भर बनना चाहती थी।
2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती?
उत्तर: कठपुतली अपने पांव पर खड़ी होना चाहती है परंतु खड़ी नहीं होती क्योंकि उसके पैरों में स्वतंत्र रूप से खड़े होने की शक्ति नहीं है। स्वतंत्रता के लिए सिर्फ इच्छा ही नहीं, साहस होना भी ज़रूरी होता है जो कठपुतली में नहीं है। उसे भी यह भी डर है कि उसके इस कदम से अन्य कठपुतलिओं पर क्या असर पड़ेगा।
3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगीं?
उत्तर: जब पहली कठपुतली ने स्वतंत्र होने व आत्मनिर्भर होने की बात कही तो दूसरी कठपुतलियों को भी यह बात प्रेरक लगी। वे सब भी अपनी इच्छानुसार जीना चाहती थी। उन्हें भी आत्मनिर्भर बनना था। इसी कारण से दूसरी कठपुतलियों को पहली कठपुतली की बात अच्छी लगी और उन्होंने सहमति दिखाई।
4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि-‘ये धागे / क्यों है मेरे पीछे-आगे? / इन्हें तोड़ दो; / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’ -तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि-‘ये कैसी इच्छा / मेरे मन में जगी ?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए
उसे दूसरी कठपुतलियों की जिम्मेदारी महसूस होने लगी।
उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।
वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी।
वह डर गई, क्योंकि उसकी उम्र कम थी।
उत्तर: पहली कठपुतली अपने पांव पर खड़ी होना चाहती थी अर्थात पराधीनता उसे पसंद नहीं थी।वह आत्मनिर्भर बनना चाहती थी परन्तु जब उसे अन्य कठपुतलियों की ज़िम्मेदारी का याद आया तो वह डर गई और चिंतित हो गई कि कहीं उसका उठाया गया कदम दूसरों को मुसीबत में ना डाल दे इसलिए उसे शीघ्र स्वतंत्र होने की चिंता होने लगी।वह स्वतंत्रता की इच्छा को साकार करने और स्वतंत्रता को हमेशा बनाए रखने के उपाय सोचने लगी। साथ-ही-साथ उसकी उम्र भी कम थी, सोच विचार का दायरा सीमित था अतः उसे दूसरों के सहारे की भी ज़रुरत थी।
कविता से आगे
1. ‘बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।’-इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? नीचे दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तर: ‘बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।’ पंक्ति का यह अर्थ है कि बहुत दिन हो गए परन्तु मन का दुःख अभी तक गया नहीं और मन में ख़ुशी अभी तक आई नहीं अर्थात कठपुतलियों की स्वतंत्र होने की इच्छा पूरी न होने से अत्यधिक दुखी है।
2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए
(क) सन् 1857 ____ ____
(ख) सन् 1942 ____ ____
उत्तर: (क) सन् 1857 - बेगम हज़रत महल, रानी लक्ष्मीबाई
(ख) सन् 1942 - जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल
अनुमान और कल्पना
1. स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ कैसे लड़ी होंगी और स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी?
उत्तर: स्वतंत्र होने के लिए कठपुतलियाँ एकजुट होकर लड़ाई लड़ी होंगी क्योंकि सबकी परेशानी एक समान थी।उन्होंने विचार किया होगा और स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी होने के लिए उन्होंने एकाग्रता, हिम्मत और धैर्य के साथ - साथ संघर्ष किया होगा। यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास किया गया होगा तो उन्होंने मिलकर इसका विरोध किया होगा तथा अपनी इच्छा अनुसार एवं स्वतंत्रता के साथ आगे कदम बढ़ाए होंगे।
भाषा की बात:-
1. कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए जैसे-काठ (कठ) से बना-कठगुलाब, कठफोड़ा
उत्तर: हाथ - हथकड़ी, हथकरघा
सोना - सोनभद्र, सोनजुही
मिट्टी - मटमैला, मटकोड
2.कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे-आगे-पीछे अधिक प्रचलित शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में ‘पीछे-आगे’ का प्रयोग हुआ है। यहाँ ‘आगे’ का ‘…बोली ये धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए-दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।
उत्तर: पतला - दुबला
उधर - इधर
नीचे - ऊपर
बाएँ - दाएँ
काला - गोरा
पीला - लाल
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पाठ 6. हिमालय की बेटियां
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प्रश्न.1.नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?
उत्तर: नदियों को माँ मानने की परंपरा भारतीय संस्कृति में अत्यंत पुरानी है | नदियों को माँ का स्वरूप माना गया है , नदियाँ अपने जल से माँ के समान हमारा पालन - पोषण करती है, हमारे खेतों को सींचती है लेकिन लेखक नागार्जुन ने उन्हें बेटी , प्रेयसी व बहन के रूपों में भी देखते हैं |
प्रश्न.2.सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर: सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय की दो ऐसी नदियाँ है जिन्हे ऐतिहासिकता एवं महत्व के आधार पर नद भी कहा गया है | इन्ही दो नदियों में सारी नदियों का संगम होता है | इनका रूप विशाल और विराट है | ये दो ऐसी नदियां है जो दयालु हिमालय के पिघले दिल की एक - एक बूँद से बनी है |
प्रश्न.3.काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?
उत्तर: नदियाँ युगों तक मानव जीवन के लिए कल्याणकारी रही हैं |ये एक माँ के समान हमारा भरण - पोषण करती हैं | इसलिए नदियाँ माँ के तरह पवित्र , पूजनीय व कल्याणकारी है | मनुष्य नदी को दूषित करने में कोई कमी नहीं छोड़ता परन्तु इतना दुःख , गन्दगी सहकर भी हमारा कल्याण उसी प्रकार करती है जैसे एक कठोर पुत्र का कल्याण माँ चाहती है | अतः काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है|
प्रश्न.4.हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?
उत्तर: हिमालय की यात्रा में लेखक ने हिमालय की अनुपम छटा की , नदियों की अठखेलियों की , बर्फ से ढँकी पहाड़ियों की , पेड़ - पौधों से भरी घाटियों की , चीर , देवदार , सरो , चिनार , कैल से भरे जंगलों की प्रशंसा की है|
लेख से आगे
प्रश्न.1 नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएं लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।
उत्तर: डॉ. परशुराम शुक्ल अपनी कविता “ नदी “ में सहनशील , संघर्षशील , समर्पण भावना से प्रेरित , कठिनाइयों का डटकर सामना करने वाली स्त्री के रूप में देखते है |
लेखक नागार्जुन इस पाठ में नदी को माँ , बेटी ,प्रेयसी व बहन के रूप में देखते है |
सोहनलाल द्विवेदी जी ने अपनी कविता “ हिमालय “ में हिमालय का विवरण भारत के मुकुट व सम्मान के रूप में किया है | लेखक नागार्जुन ने इस पाठ में हिमालय को एक पिता के रूप में देखते हैं |
प्रश्न.2 गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में’ पढ़िए और तुलना कीजिए।
उत्तर: रामधारी सिंह दिनकर की कविता “हिमालय “ में उन्होंने भारत व हिमालय के गहरे सम्बन्ध का, विशाल व शक्तिशाली रूप एवं हिमालय का मूल उत्तर से दक्षिण तक फैले होने का विवरण किया है |
लेखक नागार्जुन ने इस पाठ में हिमालय को पिता यानी नदियों के पिता के रूप में प्रस्तुत किया है
प्रश्न.3 यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलने वाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?
उत्तर: हिमालय से निकलने वाली नदियाँ अब अपनी पवित्रता और मूल रूप को प्रदूषण व मानव हानि के कारण खो चुकी हैं | मैदानी क्षेत्रों में आते - आते शहरों की गंदगी इस तरह मिल जाती है कि स्वच्छता के नाम और निशान मिट जाते है |
प्रश्न.4 अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?
उत्तर: हिमालय पर्वत पर देवताओं का वास होने के कारण कालिदास ने हिमालय को देवात्मा कहा है| आज भी हिमालय भगवान शिव का वास स्थान के नाम से जाना जाता है |
अनुमान और कल्पना
प्रश्न.1 लेखक ने हिमालय से निकलनेवाली नदियों को ममता भरी आँखों से देखते हुए उन्हें हिमालय की बेटियाँ कहा है। आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? नदियों की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से कार्य हो रहे हैं? जानकारी प्राप्त करें और अपना सुझाव दें।
उत्तर: नदियां हमारा एक पुत्र के समान पालन - पोषण करती हैं |हम नदियों को माँ कहना चाहेंगे | नदियों के संरक्षण के लिए भारत सरकार अनेक योजनाएं चला रही हैं | परन्तु यह पूरी तरह से सफल नहीं हो रहीं हैं |
नदियों कप बचने के लिए हम सबको एकजुट होकर आगे कदम बढ़ने होंगे | हमें नदियों के पानी में कचरा , शवों को न बहाए , उद्योगों से निकले रासायनिक पदार्थ न छोड़े | सर्कार व हमे नदियों की स्वच्छ्ता के लिए ठोस कदम उठाने होंगे |
प्रश्न.2 नदियों से होनेवाले लाभों के विषय में चर्चा कीजिए और इस विषय पर बीस पंक्तियों को एक निबंध लिखिए।
उत्तर: नदियां हमेशा से ही हमारे लिए महत्वपूर्ण रही है | नदियां मनुष्य , पशु , पक्षी सबके लिए लाभदायक है | नदियों का पानी खेतों की सिंचाई , जानवरों के लिए पानी आदि में उपयोग होता है | नदियों के पानी से हे बिजली बनाई जाती है जिसे हम “हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी “ कहते हैं | पानी में रहने वाले जीवों का घर है नदी | नदियों को पवित्र मन जाता है इसलिए हम इनकी पूजा भी करते हैं | इनके होने से वातावरण की खूबसूरती बढ़ती है जिससे पर्यटकों का रुझान बढ़ता है |
नदियों को मनोरंजन व आनंद के रूप में उपयोग किया जाता है जैसे बोटिंग , राफ्टिंग आदि | इनसे शान्ति , सुख व पवित्रता की भावना आती है | नदियाँ मछुआरे , किसान , नाविक आदि अनेक लोगों की आजीविका का साधन है |
भाषा की बात
प्रश्न.1 अपनी बात कहते हुए लेखक ने अनेक समानताएँ प्रस्तुत की हैं। ऐसी तुलना से अर्थ अधिक स्पष्ट एवं सुंदर बन जाता है। उदाहरण
(क) संभ्रांत महिला की भाँति वे प्रतीत होती थीं।
(ख) माँ और दादी, मौसी और मामी की गोद की तरह उनकी धारा में डुबकियाँ लगाया करता।
अन्य पाठों से ऐसे पाँच तुलनात्मक प्रयोग निकालकर कक्षा में सुनाइए और उन सुंदर प्रयोगों को कॉपी में भी लिखिए।
उत्तर:
सचमुच दादी माँ शापभ्रष्ट देवी-सी लगी |
हरी लकीर वाले सफ़ेद गोल कंचे |
बच्चे ऐसे सुन्दर जैसे सोने के सजीव खिलौने |
उन्होंने संदूक खोलकर एक चमकती-सी चीज़ निकाली।
लाल किरण-सी चोंच खोल, चुगते तारक अनार के दाने।
प्रश्न.2 निर्जीव वस्तुओं को मानव-संबंधी नाम देने से निर्जीव वस्तुएँ भी मानो जीवित हो उठती हैं। लेखक ने इस पाठ में कई स्थानों पर ऐसे प्रयोग किए हैं, जैसे
(क) परंतु इस बार जब मैं हिमालय के कंधे पर चढ़ा तो वे कुछ और रूप में सामने थीं।
(ख) काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है।
पाठ से इसी तरह के और उदाहरण ढूंढिए।
उत्तर:माँ-बाप की गोद में नंग-धड़ंग होकर खेलने वाली इन बालिकाओं को रूप
बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।
संभ्रांत महिला की भाँति प्रतीत होती थी।
हिमालय को ससुर और समुद्र को उसका दामाद कहने में कुछ भी झिझक नहीं होती है।
इनका उछलना और कूदना, खिलखिला कर हँसते जाना, इनकी भाव-भंगी यह उल्लास कहाँ गायब हो जाता है।
प्रश्न.3 पिछली कक्षा में आप विशेषण और उसके भेदों से परिचय प्राप्त कर चुके हैं। नीचे दिए गए विशेषण और विशेष्य (संज्ञा) का मिलान कीजिए|
विशेषण विशेष्य
संभ्रांत वर्षा
चंचल जंगल
समतल महिला
घना नदियां
मूसलाधार आंगन
उत्तर: विशेषण विशेष्य
संभ्रांत महिला
चंचल नदियाँ
समतल आंगन
घना जंगल
मूसलाधार वर्षा
प्रश्न.4 द्वंद्व समास के दोनों पद प्रधान होते हैं। इस समास में ‘और’ शब्द का लोप हो जाता है, जैसे- राजा-रानी द्वंद्व समास है जिसका अर्थ है राजा और रानी। पाठ में कई स्थानों पर द्वंद्व समासों का प्रयोग किया गया है। इन्हें खोजकर वर्णमाला क्रम (शब्दकोश-शैली) में लिखिए।
उत्तर: पाठ में निम्नलिखित द्वंद्व समासों का प्रयोग हुआ है -
छोटी - बड़ी
माँ - बाप
दुबली - पतली
भाव - भंगी
प्रश्न.5नदी को उलटा लिखने से दीन होता है जिसका अर्थ होता है गरीब। आप भी पाँच ऐसे शब्द लिखिए जिसे उलटा लिखने पर सार्थक शब्द बन जाए। प्रत्येक शब्द के आगे संज्ञा का नाम भी लिखिए, जैसे-नदी-दीन ( भाववाचक संज्ञा )।
उत्तर:
राही - हीरा ( द्रव्यवाचक संज्ञा )
नामी - मीना ( व्यक्तिवाचक संज्ञा )
धारा - राधा ( व्यक्तिवाचक संज्ञा )
राम - मरा (भाववाचक संज्ञा )
जाता - ताजा (भाववाचक संज्ञा )
प्रश्न.6 समय के साथ भाषा बदलती है, शब्द बदलते हैं और उनके रूप बदलते हैं, जैसे-बेतवा नदी के नाम का दूसरा रूप ‘वेत्रवती’ है। नीचे दिए गए शब्दों में से ढूँढ़कर इन नामों के अन्य रूप लिखिए ।
सतलुज
रोपड़
झेलम
चिनाब
अजमेर
बनारस
उत्तर: सतलुज - शतद्रुम
रोपड़ - रूपपुर
झेलम - वितस्ता
चिनाब - विपाशा
अजमेर - अजयमेरु
बनारस - वाराणसी
प्रश्न.7.‘उनके खयाल में शायद ही यह बात आ सके कि बूढ़े हिमालय की गोद में बच्चियाँ बनकर ये कैसे खेला करती हैं।’
उपर्युक्त पंक्ति में ‘ही’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। ‘ही’ वाला वाक्य नकारात्मक अर्थ दे रहा है। इसलिए ‘ही’ वाले वाक्य में कही गई बात को हम ऐसे भी कह सकते हैं-उनके खयाल में शायद यह बात न आ सके।
इसी प्रकार नकारात्मक प्रश्नवाचक वाक्य कई बार ‘नहीं’ के अर्थ में इस्तेमाल नहीं होते हैं, जैसे-महात्मा गांधी को कौन नहीं जानता? दोनों प्रकार के वाक्यों के समान तीन-तीन उदाहरण सोचिए और इस दृष्टि से उनका विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
वाक्य विश्लेषण
वे शायद ही यह काम पूरा करें। वे शायद यह काम पूरा न करें।
उन्हें शायद ही इस बात पर विश्वास हो। उन्हें शायद इस बात पर विश्वास न हो।
उन्हें कौन नहीं जानता।
हर कोई उन्हें जानता है।
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पाठ 7- मिठाईवाला
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1. मिठाईवाला अलग-अलग चीजें क्यों बेचता था और वह महीनों बाद क्यों आता था?
उत्तर: मिठाईवाला अलग-अलग चीजें इसलिए बेचता था क्योंकि उसके बच्चों और पत्नी की मृत्यु असमय हो गई थी। वह उन बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता था और उनकी निकटता पाना चाहता था। उसको पैसे का कोई लालच न था इसलिए वह महीनों बाद आता था और वह बच्चों की रुचि की चीजें बेचा करता था। इन चीजों को बनाने के लिए उसे समय लगता था। वह बदल बदल कर चीजें लाता था ताकि बच्चों में उत्सुकता बनी रहे।
2. मिठाई वाले में वह कौन से गुण थे जिसकी वजह से बच्चे तो बच्चे, बड़े भी उसकी और खींचे चले आते थे?
उत्तर: कई कारण थे जिनके कारण बच्चे तथा बड़े मिठाई वाले की ओर खिंचे चले आते थे। मिठाईवाला मधुर ढंग से गाकर अपनी चीजों की विशेषता बताता था और बेचता था। वह बच्चों से बहुत प्यार करता था उन बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता था तथा कम लाभ में बच्चों को खिलौने तथा मिठाईयां दे जाता था और हर बार नई चीज लाता था और बच्चों पर कभी गुस्सा नहीं करता था। उसके मधुर आवाज को सुनकर सभी बच्चों और बड़ों के बीच में हलचल मच जाती थी और बांसुरी मधुर आवाज में बजाता था जिस कारण बड़े भी उस की ओर खींचे चले आते थे।
3. विजय बाबू एक ग्राहक थे और मुरली वाला एक विक्रेता। दोनों अपने-अपने पक्ष के समर्थन में क्या तर्क पेश करते हैं?
उत्तर: एक ग्राहक के तौर पर विजय बाबू तर्क देते हैं की दुकानदार को झूठ बोलने की आदत होती है वह सभी को समान एक ही कीमत पर देते हैं पर उसका भाव अधिक बढ़ाकर कह देते हैं कि ‘मैंने सबको यह ज्यादा पैसे में दी है आपको कम पैसे में दे रहा हूँ’। यह कह कर वे ग्राहक पर एहसान का बोझ डाल देते हैं। दूसरी तरफ विक्रेता के तौर पर मुरलीवाला तर्क देता है कि चाहे दुकानदार हानी उठाकर समान क्यों ना बेचे पर ग्राहक को लगता है कि दुकानदार उसे लूट ही रहा है क्योंकि उसे समान की असली लागत का पता नहीं होता। क्योंकि मैंने यह मुरली 1000 बनवाई थी तब मुझे इस भाव पड़ी है।
4. खिलौने वाले के आने पर बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती थी?
उत्तर: खिलौने वाले को देख कर बच्चे पुलकित हो जाते हैं। वे पैसे लाकर खिलौने का मोलभाव करने लगते हैं। गलियों और छोटे छोटे उद्यानो में खेलते हुए बच्चों का झुंड उसे घेर लेता है और वह खिलौने वाला वहीं बैठकर खिलौने की पेटी खोल देता है। खिलौने वाला बच्चों की नन्हीं- नन्हीं उंगलियों से पैसे ले लेता है और बच्चों को इच्छा अनुसार उन्हें खिलौने दे देता है। खिलौने लेकर फिर बच्चे उछलने कूदने लगते हैं। जब खिलौने वाला आता है तो किसी बच्चे की टोपी गली में गिर पड़ती है, किसी का जूता पार्क में छूट जाता है और किसी का पजामा ही ढीला होकर लटक जाता है। इस तरह दौड़ते हुए बच्चों का झुंड खिलौने वालों को घेर लेता है।
5. रोहिणी को मुरली वाले के स्वर से खिलौने वाले का स्मरण क्यों हो आया?
उत्तर: रोहनी को मुरली वाले की आवाज जानी पहचानी लगी। उसे स्मरण हो आया कि खिलौने वाला भी इसी मधुर आवाज में गाकर खिलौने बेचा करता था और इसी तरह मुरली वाले की आवाज भी मधुर थी। यह भी मधुर आवाज में गाकर मुरलियाँ बेच रहा था इसलिए रोहनी को मुरली वाले के स्वर से खिलौने वाले का स्मरण हो आया।
6. किसकी बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था? उसने इन व्यवसायों को अपनाने का क्या कारण बताया?
उत्तर: रोहिणी की बात सुनकर मिठाईवाला भावुक हो गया था। उसने बताया कि उसकी पत्नी और बच्चों की असमय मृत्यु हो गई थी। वह इन बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता है बच्चों के साथ रहकर उसे बहुत अच्छा लगता है। बच्चों के चेहरे की खुशी देखकर उसे असीम संतोष मिलता है। धैर्य और असीम सुख की प्राप्ति होती है इसलिए उसने इन व्यवसाय को अपनाया है। उसे पैसे का कोई लालच नहीं है वह बच्चों के साथ समय व्यतीत करना चाहता है और उन्हें खुश देख कर खुश होता है।
7. ‘अब इस बार ये पैसे न लँगा’-कहानी के अंत में मिठाईवाले ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर: पहली बार किसी ने उसके प्रति इतनी आत्मीयता दिखाई और उसके दुख को समझने का प्रयास किया और पहली बार किसी ने उसके परिवार के बारे में पूछा था और पहली बार ही उसने अपने बीवी बच्चों के बारे में किसी को बताया था और जब चुन्नू मुन्नू ने आकर मिठाई मांगी तो उसे ऐसा लगा कि मानो वह उसके खुद के बच्चों को मिठाई दे रहा है। इसलिए कहानी के अंत में मिठाई वाले ने, "अब इस बार यह पैसे ना लूंगा ' कहा।
8. इस कहानी में रोहिणी चिक के पीछे से बात करती है। क्या आज भी औरतें चिक के पीछे से बात करती हैं? यदि करती हैं तो क्यों? आपकी राय में क्या यह सही है?
उत्तर: हमारी राय में यह पूर्णतया गलत है क्योंकि स्त्री पुरुष दोनों समाज के आधार हैं और दोनों को समान दर्जा मिलना चाहिए। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात संविधान ने स्त्री पुरुष को समान अधिकार दिए हैं। बड़े शहरों में कोई भी औरत ऐसे बात नहीं करती, सभी सामने से ही बात करती हैं। परंतु आज भी कुछ पिछड़े हुए ग्रामीण रूढ़ीवादी और कुछ जाति विशेष परिवारों में पर्दा प्रथा का चलन है। यह प्रथा न केवल स्त्रियों की स्वतंत्रता का हनन करती हैं बल्कि उनकी प्रगति में रुकावट उत्पन्न करती है। इस प्रकार की प्रथाएं हमारी देश की प्रगति को रोकती हैं और देश की छवि को विश्व पटल पर धूमिल करती हैं। इसलिए ये प्रथा हमारी राय में बिल्कुल उचित नहीं है।
9. मिठाईवाले के परिवार के साथ क्या हुआ होगा? सोचिए और इस आधार पर एक और कहानी बनाइए?
उत्तर: मिठाई वाले का परिवार किसी दुर्घटना का शिकार हुआ होगा। कहानी - एक गांव में एक केमिस्ट की दुकान थी। वह दवाइयां बहुत महंगी बेचता था और किसी पर दया नहीं करता था। उसका छोटा सा परिवार था जिस में उसकी पत्नी और उसका एक बेटा था। वह किसी जरूरतमंद को भी कम रेट में दवाई नहीं देता था। अगर किसी के पास पैसे नहीं होते थे तो वह कहता था पहले पैसे लेकर आओ फिर दवाई दूंगा। इस तरह उसने बहुत सारा पैसा इकट्ठा कर लिया। एक दिन उसकी पत्नी और बेटा दोनों बहुत बीमार हो गए जितना पैसा दवाई वाले ने कमाया था, सारा उनके इलाज में चला गया पर वह अपनी पत्नी और बेटे को ना बचा पाया। अब उसको बहुत पछतावा हुआ कि उसने गलत तरीके से पैसा इक्टठा किया और वह इतने वर्षों के बाद भी इस हादसे को भूल नहीं पाया उसने अपने घर को एक अनाथ आश्रम में बदल दिया और वह अनाथ बच्चों को पालने लगा अनाथ बच्चों को पालने में उसको बहुत खुशी प्राप्त होने लगी। इन बच्चों में वह अपने बेटे की खुशी ढूंढता था। इन बच्चों को खुश देखकर उसको असीम संतोष की प्राप्त होती थी।
10. हाट-मेले, शादी आदि आयोजनों में कौन-कौन-सी चीजें आपको सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं? उनको सजाने बनाने में किसका हाथ होगा? उन चेहरों के बारे में लिखिए।
उत्तर: हाट मेले, शादी आदि आयोजनाओं में हमें गोलगप्पे, चाट, छोले भटूरे, मिठाइयां, फ्रूट चाट, जलेबियाँ, समोसे, गन्ने का जूस, झूले, जादूगर का खेल, रंग-बिरंगे गुब्बारे, आइसक्रीम, खिलौने, जुदाई, तमाशे आदि सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं। इनको बनाने में विभिन्न लोगों का हाथ होता है जैसे मिठाई बनाने में हलवाई का हाथ होता है। झूले बनाने में श्रमिकों और कारीगरों का और उसके परिवार का हाथ होता है। उनके चेहरे के पीछे उनकी मेहनत, पसीना, पैसे कमाने की इच्छा, थकान, कारीगरी छुपी होती है।
11. इस कहानी में मिठाईवाला दूसरों को प्यार और खुशी देकर अपना दुख कम करता है? इस मिज़ाज की और कहानियाँ, कविताएँ ढूंढ़िए और पढ़िए।
उत्तर: मिठाईवाले की कहानी हमें पिता के प्रेम के बारे में बताती है। इस मिज़ाज की और कहानियां है जैसे कि 'बेस्ट पापा' और 'अच्छी सीख'।
12. आपकी गलियों में कई अजनबी फेरीवाले आते होंगे। आप उनके बारे में क्या-क्या जानते हैं? अगली बार जब आपकी गली में कोई फेरीवाला आए तो उससे बातचीत कर जानने की कोशिश कीजिए।
उत्तर: हमारी गली में मौसम के अनुसार कई फेरीवाले आते हैं जैसे सर्दियों में मूंगफली वाला आता है और गर्मियों में आइसक्रीम वाला, कुल्फी वाला, बर्फ का बर्फ के गोले वाला, गन्ने के रस वाला आता है। हर मौसम में जैसे चाट वाला, फल वाला, सब्जी वाला, खिलौने वाला, कपड़े बेचने वाला जैसे चादरें, लेडीजसूट बेचने वाला आदी आते हैं। उनसे बातचीत के दौरान मुझे यह मालूम हुआ कि यह लोग पूंजी के अभाव में घूम घूम कर कम दामों पर अपनी चीजें भेजते हैं और अपने परिवार का गुजारा चलाते हैं। अगर इनके पास पूंजी होती तो यह भी बड़े दुकानदार होते।
13. आपके माता-पिता के जमाने से लेकर अब तक फेरी की आवाज़ों में कैसा बदलाव आया है? बड़ों से पूछकर लिखिए।
उत्तर: पहले जमाने में स्त्रियां बाजार जा कर सामान नहीं खरीदती थी और हर जगह सभी वस्तुएं उपलब्ध नहीं होती थी। इसलिए प्रत्येक वस्तु फेरी वाला ही बेचने आया करता था। वह मधुर स्वर में गागा कर अपना समान बेचा करते थे। लेकिन आज कल फेरी वालों की संख्या में काफी कमी आ गई है लोग ब्रांडेड सामान खरीदना पसंद करते हैं और वे ज्यादातर दुकानों से ही सामान खरीदते हैं। या लोग समानऑनलाइन ही मंगवा लेते हैं।
14. आपको क्या लगता है-वक्त के साथ फेरी के स्वर कम हुए हैं? कारण लिखिए।
उत्तर: लोगों की रूचि फेरी वालों से सामान खरीदने में कम होती जा रही है क्योंकि फेरीवाले के पास ज्यादा विकल्प नहीं होता और उसका सम्मान अच्छी किस्म का भी नहीं होता। वक्त के साथ फेरीवाला के स्वर कम हुए हैं क्योंकि अब लोग दुकानों पर जा कर सामान खरीदते हैं और दुकानों में उन्हें ज्यादा विकल्प मिलते हैं और फेरीवाले के पास सीमित विकल्प होते हैं। करोना महामारी के कारण भी अब लोग समान ऑनलाइन खरीदते हैं।
15. मिठाईवाला बोलनेवाली गुड़िया ऊपर वाला’ का प्रयोग है। अब बताइए कि
(क) ‘वाला’ से पहले आनेवाले शब्द संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि में से क्या हैं?
उत्तर: ‘वाला’ से पहले आने वाले शब्द जैसे मिठाई शब्द संज्ञा है तथा बोलना क्रिया है।
(ख) ऊपर लिखे वाक्यांशों में उनका क्या प्रयोग है?
उत्तर: यह शब्द किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में है। मिठाईवाला शब्द विशेषण है जबकि बोलने वाली गुड़िया में गुड़िया संज्ञा है जबकि बोलने वाला शब्द विशेषण है जो गुड़िया की विशेषता बता रहा है।
16. “अच्छा मुझे ज़्यादा वक्त नहीं, जल्दी से दो ठो निकाल दो।”
उपर्युक्त वाक्य में ‘ठो’ के प्रयोग की ओर ध्यान दीजिए। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार की भाषाओं में इस शब्द का प्रयोग संख्यावाची शब्द के साथ होता है, जैसे, भोजपुरी में-एक ठो लइका, चार ठे आलू, तीन ते बटुली।
ऐसे शब्दों का प्रयोग भारत की कई अन्य भाषाओं/ बोलियों में भी होता है। कक्षा में पता कीजिए कि किस-किस की भाषा-बोली में ऐसा है। इस पर सामूहिक बातचीत कीजिए।
उत्तर: झारखंड के हिंदी, बंगला तथा असमी भाषा में ठो का प्रयोग होता है ।
17. “वे भी, जान पड़ता है, पार्क में खेलने निकल गए हैं।”
‘‘क्यों भई, किस तरह देते हो मुरली?”
“दादी, चुन्नू-मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर ठहराओ।”
भाषा के ये प्रयोग आजकल पढ़ने-सुनने में नहीं आते आप ये बातें कैसे कहेंगे?
उत्तर:
"लगता है वे भी पार्क में खेलने निकल गए हैं ?"
क्यों भाई मुरली किस भाग भेजते हो?
"दादी चुन्नू मुन्नू के लिए मिठाई लेनी है। जरा कमरे में चलकर भाव तो कीजिए।"
18. फेरीवालों की दिनचर्या कैसी होती होगी? उनका घर-परिवार कहाँ होगा? उनकी जिंदगी में किस प्रकार की समस्याएँ और उतार-चढ़ाव आते होंगे? यह जानने के लिए दो-दो के समूह में छात्र-छात्राएँ कुछ तैयार करें और फेरीवालों से बातचीत करें। प्रत्येक समूह अलग-अलग व्यवसाय से जुड़े फेरीवाले से बात करें।
उत्तर: फेरीवाले का जीवन काफी कठिन होता है। वह अपना समान बेचने के लिए सुबह से शाम तक गलियों में चक्कर लगाते रहते हैं और चाहे उनका सामान बीके या ना बीके। उनका घर निकट किसी गांव में होता है उनके जीवन में अनेक समस्याएं होती होगी जैसे समान ना बिकना, समान का खराब हो जाना या खराव हो जाना। गलियों में घूमते घूमते तबीयत खराब हो जाना। अधिक बारिश होने पर भी उनका सामान का खराब हो जाना और अधिक गर्मी पड़ने से घर से बाहर निकल पाना या घर से बाहर निकलने पर तबीयत का खराब हो जाना। कभी-कभी फेरी वालों को अपना बचा हुआ सामान जो खराब हो चुका है उनको फेंकना पड़ता होगा कभी-कभी खरीद से भी कम कीमत में भी माल बेचना पड़ता होगा जिससे इनका मूलधन डूब जाता होगा और इनको कई समस्या का सामना करना पड़ता होगा जैसेअपने बच्चों के ख्वाहिशें पूरी ना कर पाते होंगे। हो सकता है कि उनको दो समय की रोटी का इंतजाम भी ना होता होगा और उनको सोने की व्यवस्था भी शायद ना होती होगी। हो सकता है बारिश के दिनों में उनके घर की छत पर से पानी टपकता होगा क्योंकि वह बहुत गरीब होते हैं इन सब सभी समस्याओं का उनको सामना करना ही पड़ता होगा।
19. इस कहानी को पढ़कर क्या आपको यह अनुभूति हुई कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है? समूह में बातचीत कीजिए।
उत्तर: फेरी वाले के जीवन से हमें इस बात का पता लगता है कि दूसरों को प्यार और खुशी देने से अपने मन का दुख कम हो जाता है जैसे मिठाई वाले के बच्चे और पत्नी की मृत्यु असमय हो गई थी वह दूसरों के बच्चों को दूसरों में अपने बच्चों की झलक देखता था और उनको उनके मनपसंद का समान ला कर बेचता था जब बच्चे समान लेकर खुशी में उछल कूद करते थे तो उन्हें देखकर उसे संतोष धैर्य और सुख की अनुभूति होती थी वह उन्हीं बच्चों में अपने बच्चों की झलक देखता था और उनको सामान कम कीमतों में देकर अपने गम को भुलाने की कोशिश करता था इसलिए कहा भी है कि दुख बांटने से कम होता है।
20. अपनी कल्पना की मदद से मिठाईवाले का चित्र शब्दों के माध्यम से बनाइए।
उत्तर: मिठाई वाले का स्वर बहुत मधुर था। वह दुबले पतले शरीर वाला और उसकी आंखों का रंग भूरा था। सिर पर टोकरी रखे हुए गली गली अपना सामान बेचते हुए पैरों में चप्पल पहने हुए गली - गली, पजामा कुर्ता पहनने और कंधे पर गमछा लिए चलता होगा। उसके कंधों को फेरी का समान होता होगा और वह सिर पर पगड़ी बांधता होगा। फेरी के सम्मान में खिलौने, मिठाईयां आदि और जिसमें खट्टी मीठी स्वादिष्ट सुगंधित गोलियां होगी और वह जब मीठे स्वर में आवाज लगाते हुए गली में आता होगा तो बच्चे दौड़ कर उसे घेर लेते होंगे।
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पाठ 8- Rakt Aur Hamaara Shareer
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1. रक्त के बहाव को रोकने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर: रक्त के बहाव को रोकने के लिए घाव पर साफ कपड़े से कसकर पट्टी बाँधनी चाहिए क्योंकि दबाव पड़ने पर रक्त का बहाव कम हो जाता है। फिर भी रक्त का बहाव न रुके तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
2. खून को “भानुमती का पिटारा” क्यों कहा जाता है?
उत्तर: खून को भानुमती का पिटारा कहा जाता है क्योंकि सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखें तो पता चलता है की इसमें दो भाग होते हैं। एक भाग है प्लाज़्मा और दूसरा वह जिसमें छोटे-बड़े कई तरह के कण होते है।
3. एनीमिया से बचने के लिए हमें क्या-क्या खाना चाहिए?
उत्तर: एनीमिया से बचने के लिए हमे ऐसा संतुलित और पौष्टिक भोजन खाना चाहिए। हमें अपने भोजन में उचित मात्रा में हरी सब्जियाँ, दूध, फल, अंडा आदि शामिल करना चाहिए ताकि हमारे शरीर को प्रोटीन, लौह तत्व और विटामिन मिलते रहे, जिससे हमारे शरीर में रक्त की कमी न हो।
4. पेट में कीड़े क्यों हो जाते हैं? इनसे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर: दूषित जल और खाद्य पदार्थों के कारण हमारे पेट में कीड़े हो जाते हैं। इनसे बचने के लिए हमें निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए: साफ़, स्वच्छ खाद्य पदार्थों को ग्रहण करना चाहिए, भोजन खाने से पहले अच्छी तरह से हाथ धोने चाहिए और साफ़ पानी ही पिएँ।
5. रक्त के सफ़ेद कणों को 'वीर सिपाही' क्यों कहा गया है?
उत्तर: रक्त के सफेद कणों को “वीर सिपाही" कहा गया है क्योंकि सफेद रक्त कण रोग उत्पन्न करने वाले रोगाणुओं को शरीर में नहीं आने देते हैं। ये शरीर के अंदर आए रोगाणुओं से डटकर मुकाबला करते है। इस प्रकार सफेद रक्त कण बहुत से रोगों से हमारी रक्षा करते हैं।
6. ब्लड बैंक में रक्तदान से क्या लाभ है?
उत्तर: ब्लड बैंक में रक्तदान से लाभ यह है कि वहाँ रक्त का भंडार सुरक्षित रहता है । बड़े-बड़े अस्पतालों में ब्लड बैंक बने हुए हैं जो किसी भी आपातकालीन स्थिति में जरूरतमंद व्यक्ति की जान बचाने में किया जाता हैं।
7. साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सिजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में कौन पहुँचाता है-
1. सफ़ेद कण
2. लाल कण
3. साँस नली
4. फेफड़े
उत्तर: साँस लेने पर शुद्ध वायु से जो ऑक्सिजन प्राप्त होती है, उसे शरीर के हर हिस्से में लाल कण पहुँचाते है।
पाठ से आगे
1. रक्त में हीमोग्लोबिन के लिए किस खनिज की आवश्यकता पड़ती है-
1. जस्ता
2. शीशा
3. लोहा
4. प्लैटिनम
उत्तर: रक्त में हीमोग्लोबिन के लिए लोहा खनिज की आवश्यकता पड़ती है।
2. बिंबाणु (प्लेटलैट कण) की कमी किस बीमारी में पाई जाती है-
1. टायफ्रायड
2. मलेरिया
3. डेंगू
4. फ़ाइलेरिया
उत्तर:- बिंबाणु (प्लेटलैट कण) की कमी डेंगू बीमारी में पाई जाती है।
भाषा की बात
1.
(क) चार महीने के होते-होते ये नष्ट हो जाते है-
• इस वाक्य को ध्यान से पढिए। इस वाक्य में होते-होते' के प्रयोग से क्या बताया गया है कि चार महीने से पूर्व ही ये नष्ट हो जाते हैं। इस तरह के पाँच वाक्य बनाइए जिनमें इन शब्दों का प्रयोग हो-
बनते-बनते, पहुँचते-पहुँचते, लेते-लेते, करते-करते
उत्तर:
(क) (i) मेरे रिश्ते कि बात बनते-बनते रह गयी।
(ii) विद्यालय पहुँचते-पहुँचते 6 बज गए।
(iii) खाने का सामान लेते-लेते मैं पानी की बॉटल लेना भूल गया।
(iv) काम करते-करते मैं थक गया।
(ख) इन प्रयोगों को पढ़िए-
• इन वाक्यों में 'होते - होते' की तरह 'किनारे - किनारे' और 'दूर - दूर' शब्द दोहराए गये है। पर हर वाक्य में अर्थ भिन्न है। किनारे - किनारे का अर्थ है- किनारे से लगा हुआ और दूर - दूर का - बहुत दूर तक।
• आप भी निम्न लिखित शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाये और अर्थ लिखिए- ठीक - ठीक, घड़ी - घड़ी, कहीं - कहीं, क्या - क्या, घर - घर
(ख) (i) ठीक-ठीक दाम लगाइए।
(ii) घड़ी-घड़ी मुझसे एक ही सवाल मत पूछिए।
(iii) जाफ़रान कहीं-कहीं ही उगते हैं।
(iv) आपको खाने में क्या-क्या पसंद हैं।
(v) आज कल घर-घर में यही कहानी हैं।
2. इस पाठ में दिए गए मुहावरों और कहावतों को पढ़िए और वाक्यों में प्रयोग कीजिए:-
भानुमती का पिटारा, दस्तक देना, धावा बोलना, घर करना, पीठ ठोकना
उत्तर: भानुमती का पिटारा- हमारा संदूक भानुमती का पिटारा बन गया है।
दस्तक देना- लगता है किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी।
धावा बोलना- जैसे ही उसने कुत्ते को पत्थर मारा उसने धावा बोल दिया।
घर करना- यह शंका तुम्हारे दिमाग में घर कर गयी हैं।
पीठ ठोकना- अध्यक्ष द्वारा पुरस्कृत होने पर सबने उसकी पीठ ठोकी।
कुछ करने को
1. अपने परिवार के अट्ठारह वर्ष से पचास वर्ष तक की आयुवाले सभी स्वस्थ सदस्यों को रक्तदान के लिए प्रेरित और समय आने पर स्वयं भी रक्तदान करने आ संकल्प लीजिए।
उत्तर: अक्सर लोगों को ऐसा लगता है कि रक्त दान करने से उनके शरीर में रक्त की कमी हो जाती है जिसे पूरा करने में काफी वक्त लगता है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। रक्त दान करने के करीब हफ्ते भर के अंदर ही आपके शरीर में उतना रक्त दोबारा बन जाएगा। रक्त दान करने से न केवल आप दूसरों की मदद करेंगे बल्कि ऐसा करके आप दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। रक्तदान को सबसे बड़ा दान कहा गया है। इसलिए आप लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक करें। वहीं खुद भी इस नेक काम को कर सामाजिक कार्य में अपना योगदान दें।
2. शरीर रचना का चित्र देखकर उसमें रक्त-संचार क्रिया को ठीक-ठीक समझिए।
उत्तर: छात्र स्वयं करें
3. नीचे दिए गए प्रश्नों के बारे में जानकारी एकत्र कीजिए-
(क) ब्लू बेबी क्या है?
(ख) रक्त के जमाव की क्रिया में बिंबाणु (प्लैटलैट) का कार्य क्या है?
(ग) रक्तदान के लिए कम-से-कम कितनी उम्र होनी चाहिए?
(घ) कितने समय बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता है?
(ङ) क्या स्त्री का रक्त पुरुष को चढ़ाया जा सकता है?
उत्तर:
(क) ब्लू बेबी ऐसी अवस्था है जब नवजात शिशु का हृदय कमज़ोर होता है और उसे पर्याप्त ऑक्सिजन नहीं मिल पाता हैं तब शिशु का अंग नीला पड़ जाता है।
(ख) प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं जो आपके शरीर को रक्तस्राव को रोकने के लिए थक्के बनाने में मदद करती हैं। यदि आपकी कोई रक्त वाहिका क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो यह प्लेटलेट्स को संकेत भेजती है। प्लेटलेट्स नुकसान की जगह पर पहुंच जाते हैं। वे क्षति को ठीक करने के लिए एक प्लग बनाते हैं।
(ग) रक्तदान के लिए कम-से-कम उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए।
(घ) हर छह महीने के बाद दोबारा रक्तदान किया जा सकता हैं।
(ङ) हाँ, स्त्री का रक्त पुरुष के अंग में चढ़ाया जा सकता हैं।
4. शरीर के किसी अंग में अचानक रक्त संचार रूक जाने से क्या-क्या परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर: यदि कोई चीज शरीर के किसी क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को रोकती या बाधित करती है, तो इसे इस्किमिया के रूप में जाना जाता है। जब यह मस्तिष्क में होता है, तो यह मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और परिणामस्वरूप स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
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पाठ 9 चिड़िया की बच्ची
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1. किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन सम्पन्नता से भरा हुआ था और किन बातों से पता चलता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर: निम्नलिखित बातो से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन सम्पन्नता से भरा हुआ है --
1.माधवदास ने अपनी संगमरमर की नयी कोठी बनवाई थी | जिसके सामने एक बहुत सुहावना बगीचा भी बनवाया था |
2.माधवदास के पास धन की भी कोई कमी नहीं थी |
3.वह उस चिड़िया को भी धन का लोभ देते हुए कहता है कि “वह उसके रहने के लिए सोने का पिंजरा बनवा देगा |”
कई बातों से पता चलता है वह सुखी नहीं था जैसे कि उसके पास किसी भी वस्तु की कमी नही थी लेकिन वह इतनी बड़ी कोठी में अकेला रहता था यही कारण था की वह सुखी होकर भी सुखी नहीं था|
2. माधवदास क्यों बार -बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है ? क्या माधवदास निस्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था ? स्पष्ट कीजिये |
उत्तर: माधवदास बार-बार चिड़िया को कह रहा था कि यह बगीचा तुम्हारा ही है | वह ऐसा इसलिए कह रहा था क्योंकि वह उस छोटी- सी, प्यारी -सी चिड़िया को अपने पास पिंजरे में कैद रखना चाहता था ताकि वह चिड़िया उसका मन बहला सके | अतः, माधवदास यह सब स्वार्थ भाव से बोल रहा था अगर वह निस्वार्थी होता तो वह चिड़िया को जबरदस्ती पकड़ कर अपने पास रखने की कोशिश नहीं करता |
3. माधवदास के बार- बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख -सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी | दूसरी तरफ माधवदास की नज़र मे चिड़िया की ज़िद का कोई तुक न था| माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या -क्या थे ? अपने शब्दों मे लिखिए |
उत्तर: चिड़िया और माधवदास दोनों के मनोभाव एक दूसरे से विपरीत थे | चिड़िया एक आज़ाद पक्षी है जिसे खुले आसमान में उड़ना पसंद है, अपनी माँ के साथ रहना पसंद है। चिड़िया के लिए सोने -चांदी से ज्यादा महत्वपूर्ण उसकी आज़ादी और उसकी माँ का स्नेह था | इसके विपरीत माधवदास ,जो एक स्वार्थी व्यक्ति था जिसके लिए धन -सम्पत्ति , सुख -सुविधाएं ही जीवन जीने के लिए जरुरी है नाकि प्रेम |
4. कहानी के अंत में नन्ही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पढ़कर तुम्हे कैसा लगा ? चालीस -पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए |
उत्तर: कहानी के अंत मे हमने देखा की नन्ही चिड़िया कैसे भी करके उस सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलती है |कहानी का यह एक सुखद अंत था क्योकि अगर वह चिड़िया पकड़ी जाती तो इसका परिणाम बुरा होता | लेकिन वह चिड़िया अब आज़ाद है और अपनी माँ के साथ खुश है । कहानी के अंत में चिड़िया के बचने से मुझे बहुत ख़ुशी हुई | चिड़िया सिर्फ छोटी और प्यारी ही नहीं बल्कि वह बहादुर भी थी।
5. ‘ माँ मेरी बाट देखती होगी ‘_ नन्ही चिड़िया बार -बार इसी बात को कहती है | आप अपने अनुभव के आधार पर बताइये की हमारी ज़िंदगी में माँ का क्या महत्व है ?
उत्तर: हमारे जीवन की आधार है माँ | माँ के बिना जीवन असंभव है | माँ सर्वोपरि है | हर बच्चे के लिए उसकी माँ सबसे प्यारी है | माँ हमारी पहली दोस्त है , माँ हमारी पहली गुरु है, अर्थात माँ ईश्वर के सामान है | माँ अपने बच्चे की खुशी में खुश होती है, दुःख में दुखी होती है | हम अपने माँ के ऋणी है उनका ऋण हम नहीं चूका सकते हैं क्योंकि हमारी माँ हमसे अपार प्रेम करती है| वो भी नि:स्वार्थ भाव से इसलिए वह चिड़िया बार- बार अपनी माँ को याद करती है |
6. इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यो ?
उत्तर: इस कहानी का शीर्षक हम ‘ जीवन का असली सुख ‘ रख सकते हैं क्योंकि इस कहानी में हमने जिंदगी जीने के दो भिन्न नजरिये पढ़े हैं |
7. इस कहानी मे आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती हैं | मधुमक्खी चींटिया ग्रह – नक्षत्रो तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीजों मे हमे अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है | इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रुप आपको कहाँ -कहाँ देखने को मिलता है ? उदाहरण देकर बताइए |
उत्तर: इस तरह का स्वाभाविक अनुशासन हमे निम्न रूपों में देखने मिलता है जैसे हर दिन सूर्य का अपने निश्चित समय पर निकलना , पृथ्वी का अपनी धूरी पर लगातार चक्कर लगाना ,पशु -पक्षी का विचरण करने के बाद शाम को अपने घरौंदे में वापस आ जाना | इन प्राकृतिक रूपो में कभी परिवर्तन नहीं होता |
8. सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएं देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या स्वीकार करेंगे ? आपको अधिक प्रिय क्या होगा_ ‘ स्वाधीनता ‘ या ‘ प्रलोभनवाली पराधीनता’? ऐसा क्यों कहा जाता है की पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता | नीचे दिए गये कारणों को पढ़े और विचार करे _
क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वंय दुखी होता है , वह किसी को सुखी नहीं कर सकता |
ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता|
ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता |
उत्तर: हर तरह की सुख सुविधाएं मिलने के बाद भी हर व्यक्ति को उसकी आज़ाद जिन्दगी ज्यादा प्यारी होती है | पराधीन व्यक्ति के पास हर तरह की सुख सुविधाएं क्यों ना हो लेकिन वह सुख सुविधाएं हमे आराम दे सकती है लेकिन सुकून नहीं , क्योंकि पराधीन व्यक्ति ऐसी सुविधाओं में हर समय घुट घुट कर जीने पर विवश होता है |
9. आपने गौर किया होगा कि मनुष्य पशु पक्षी – इन तीनो में ही माँएँ अपने बच्चो का पूरा -पूरा ध्यान रखती है | प्रकृति की इस अदभुत देन का अवलोकन कर अपने शब्दो मे लिखिए |
उत्तर: एक माँ और बच्चे का रिश्ता बहुत गहरा होता है इसलिए इन दोनों का प्रेम हर जीव में दिखता है| माँ कितनी भी पीड़ा सहकर एक बच्चे को पालती -पोसती है | अपनी प्रेम रूपी छाया में रखकर हर दुःख और परेशानी से बचाती है इसलिए माँ अनमोल है |
10. पाठ में पर शब्द के तीन प्रकार के प्रयोग हुए है _
क) गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी |
ख) कभी पर हिलाती थी |
ग) पर बच्ची काँप-काँपकर माँ की छाती से चिपक गई|
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