Class-8

1. लाख की चूड़ियाँ

प्रश्न:1 बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?

उत्तर: गांव में लाख की चूड़ियाँ बनाने वाला कारीगर बदलू रहता था जो रंग-बिरंगी चूड़ियाँ बनाता था जिसके कारण लेखक बचपन में अपने मामा के गांव जाया करता था। लेखक बदलू काका से बेहद प्यार करता था उनके गांव के लोग उनको "बदलू काका" कहकर बुलाया करते थे इसलिए लेखक भी बदलू काका कहकर बुलाने लगा । वह लेखक को बहुत सारी लाख की गोलियां दिया करता था इसलिए लेखक अपने मामा के यहाँ बहुत ख़ुशी-ख़ुशी जाया करता था।  

प्रश्न:2 वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?

उत्तर: जब किसी एक वस्तु या सेवा के बदले दूसरी वस्तु या सेवा का लेन-देन होता है तो इसे वस्तु विनिमय कहते हैं। जैसे एक गाय लेकर 10 बकरियाँ देना।  मुद्रा के प्रादुर्भाव के पहले सारा लेन-देन (विनिमय) वस्तु-विनिमय के रूप में ही होता था। विनिमय की प्रचलित पद्धति धन है। 

प्रश्न:3 मशीनी युग’ ने कितने हाथ काट दिए हैं।’ – इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?

उत्तर: "मशीनी युग’ ने कितने हाथ काट दिए हैं।" इस पंक्ति में लेखक ने कारीगरों की दुःखद व्यथा की ओर संकेत किया है इस पंक्ति से लेखक का यह तात्पर्य है की मशीनों के आने से कारीगरों के हाथ काटने के साथ-साथ उनके पेट पर भी लात मारी गयी है। कारीगरों का घर उनकी मेहनत-मजदूरी से ही चलता था। इसके अलावा उनके पास और कोई हुनर नहीं होता जिससे वह अपना घर चला सकें। वह अपने आने वाली पीढ़ी को भी मजदूरी करना ही सिखाते है लेकिन मशीनों के आने से इनकी रोजी रोटी छीन गई  है जिसके कारण वह बेरोजगार है। 

प्रश्न:4 बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी, जो लेखक से छिपी न रह सकी?

उत्तर: बदलू लाख की चूड़ियाँ बना कर उनको बेच कर ही अपना घर चलाता था। लेकिन जैसे ही मशीनों ने प्रवेश किया लोगो ने कांच की चूड़ियों को ज्यादा पसंद किया जिसके कारण बदलू का काम ठप्प हो गय। अपने व्यवसाय की यह दुर्दशा देख बदलू मन ही मन उदास होने लग। बदलू यह सोचने लगा की मशीनों का प्रयोग ज्यादा होने से उसके जैसे कई और कारीगरों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा होगा।  अब लोग कारीगरों की बनाई चीजों से ज्यादा मशीनों से बनी चीजें ज्यादा पसंद करते है। यही वह व्यथा है जो लेखक से छिपी न रह सकी। 

प्रश्न:5 मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?

उत्तर: बदलू के जीवन में मशीनों के आगमन से यह बदलाव आया की वह अब बेरोजगार हो चूका है उसका घर चलाना बेहद मुश्किल हो गया है। काम न करने से उसका शरीर भी समय से पहले बूढ़ा दिखने लगा है वह बीमार भी रहने लगा है।  

प्रश्न:6 लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीज़ें बनती है? ज्ञात कीजिए।

उत्तर: लाख की वस्तुओँ का निर्माण राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश व गुजरात में होता है। लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त कई प्रकार के आभूषण, खिलौने व साज-सजावट का सामान बनाया जाता है।

भाषा की बात

प्रश्न: 7 बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूडि़यों से’ और बदलू स्वयं कहता है -” जो सुंदरता काँच की चूडि़यों में होती है लाख में कहाँ संभव है? ”ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।

उत्तर: व्यंग्य वाक्य - “अब वो पहले वाली बात कहाँ ?” 

व्याख्या - आज कल किसी के भी मुँह से यह सुनने को मिलता है की अब वो पहले वाली बात कहाँ ? यानि की किसी भी चीज में चाहे वह खाना हो या फिर लोग। सभी यही कहते है की अब वह पहले वाली बात कहाँ ? 

प्रश्न: 8 बदलू’ कहानी की दृष्टि से पात्र है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है –

(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे – लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि

(ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे – चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा।

(ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे – सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन। परंतु उसका अनुभव होता है। पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए।

उत्तर: (क) व्यक्तिवाचक संज्ञा – बदलू, जनार्दन, रज्जो। 

(ख) जातिवाचक संज्ञा – आदमी, मकान ,शहर।

(ग) भाववाचक संज्ञा – स्वाभाव,व्यथा ,रूचि।

प्रश्न: 9 गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।

उत्तर: सकूल - स्कुल

एतवार - इतवार

बलब - बल्ब

गिलास - ग्लास

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 2- बस की यात्रा

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1. कारण बताएँ - “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।” लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?

उत्तर: बस कंपनी के हिस्सेदार साहब टायर की खराब हालत से परिचित होने के बावजूद और अपनी जान जोखिम में डालकर बस को चलाने का साहस कर रहा था। बस वृद्ध होने के बावजूद उसकी तारीफ़ कर रहा था। आत्म बलिदान की ऐसी भावना देखकर लेखक हैरान रह गया और इस लिए लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा जाग गई।

2. कारण बताएँ - “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।” लोगों ने यह सलाह क्यों दी?

उत्तर: लेखक के अनुसार बस डाकिन की तरह थी। बस की हालत बहुत खराब थी और यह कब और कहाँ रूक जाए कोई भरोसा नहीं था। कभी भी ब्रेक फेल, कभी भी स्टीयरिंग टूट सकता था और रात जंगल में बितानी पड़ सकती थी। इसलिए लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।

3. कारण बताएँ - “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।” लेखक को ऐसा क्यों लगा?

उत्तर:  ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं। लेखक को ऐसा लगा क्योंकि जब बस स्टार्ट हुई तो सारी बस झनझानाने लगी। इंजन के स्टार्ट होने से बस के सारे यात्री इंजन के पुर्जों की तरह हिलने लगे।

4. कारण बताएँ - ”गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।” लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?

उत्तर: बस की हालत बहुत खराब थी। उसे देखने से लग नहीं रहा था कि बस चलती भी है। जब बस के हिस्सेदार ने यह कहा कि यह चलेगी ही नहीं, अपने आप चलेगी तो लेखक का यह सुनकर हैरान होना स्वाभिक था।

5. कारण बताएँ - “मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।” लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन क्यों समझ रहा था?

उत्तर: लेखक हर पेड़ को अपना दुश्मन इसलिए समझ रहा था क्योंकि बस की हालत बहुत खराब थी। बस की ब्रेक कभी भी फेल हो सकती थी और स्टीयरिंग कभी भी टूट सकता था जिसकी वजह से बस पेड़ से टकरा सकती थी।

6. ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकों के आधार पर लिखिए।

उत्तर: 1930 में महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन किया गया था। यह अंदोलन ब्रिटीश सरकार से असहयोग करने तथा आजादी प्राप्त करने के लिए किया गया था।

7. सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए।

उत्तर: व्यंगकार ने बस के लिए सविनय अवज्ञा का प्रयोग किया है। 1930 में सविनय अवज्ञा अंदोलन गाँधी जी ने आजादी प्राप्त करने के लिए किया था। बस भी अपने मालिक से विनय पूर्वक पूर्ण आजादी प्राप्त करने की इच्छा रखती है।

8. बस, वश, बस तीन शब्द हैं – इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है,

जैसे – बस से चलना होगा।

मेरे वश में नहीं है।

अब बस करो।

उपर्युक्त वाक्यों के समान वश और बस शब्द से दो-दो वाक्य बनाइए।

उत्तर:  वश - अपनी सास को समझना मेरे वश की बात नहीं है।

वश - इतना बोझा उठना मेरे वश की बात नहीं है।

बस - बस कर यार बहुत हो गया।

बस - बस करो, कितना नाचोंगी।

9. “हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।”

ऊपर दिए गए वाक्यों में ने, की, से आदि वाक्य के दो शब्दों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह दो वाक्यों को एक साथ जोड़ने के लिए ‘कि’ का प्रयोग होता है। कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।

उत्तर: जो भी पेड़ आता, डर लगता कि बस इससे टकरायेगी।

यह बस पूजा के योग्य है।

हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है।

नयी नवेली बसों से ज्यादा विश्वसनीय है।

10. “हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी।”

दिए गए वाक्यों में आई ‘सरकना’ और ‘रेंगना’ जैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गतियाँ दर्शाती हैं। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैसे – घूमना इत्यादि। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर: चाल - उसकी चाल बहुत धीमी थी।

गुजरना - बस जंगल के रास्ते से गुज रहो थी।

रफ़्तार - ट्रेन की रफ़्तार बहुत धीमी थी।

11. काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।”

इस वाक्य में ‘बच’ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक ‘शेष’ के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में। नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे, एक ही शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए।

(क) जल

उत्तर: (क) आग से पैर जल जाने पर मैंने पैर ठण्डे जल में डाल दिया।

(ख) हार

उत्तर: (ख) जो प्रतियोंगिता में हार जायेगा, सोने का हार उसे नहीं मिलेगा।

12. बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्ट क्लास’ में दो शब्द हैं – फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फर्स्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर: आठ दोस्त, दो कारे।

बहादुर लड़का, सुंदर लड़की।

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3- दीवानों की हस्ती

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1. कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को

आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है?

उत्तर: कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ इसलिए कहा है क्योंकि कवी जहाँ भी जाता है वह खुशियाँ-ही-खुशियाँ बिखेर देता है जिसकी वज़ह से सभी लोग कवी को पसंद करने लगते है। इसलिए वह जहाँ भी जाते है वहाँ उल्लास भर जाता है। और जब कवी वहाँ से जाता है तो लोगो के मन में दुःख उमड़ अत है जिसकी वज़ह से वह रोने लग जाते है इसलिए कवी ने कहा है जाते समय आँसू बन कर बेह जाते है।  

2. भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है?

उत्तर: कवि के अनुसार ये स्वार्थी दुनिया इतनी लालची है कि इसने कभी निस्वार्थ भाव से कुछ देना कभी सीखा ही नहीं। कवि ने जिंदगीभर लोगों को सच्चा प्यार दिया, लेकिन दुनिया ने उसे बदले में प्यार नहीं किया। इसी वजह से कवि निराश है, उसे लगता है कि वह लोगों के मन में प्रेम और खुशियों के बीज बोने में असफल ही रह गया।

3. कविता में ऐसी कौन-सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?

उत्तर: कविता में सबसे अच्छी बात यह है की कवी जिस अंदाज़ से वह अपना जीवन जीता है वह मनुष्य को बहुत लुभाता है।  वह हर परिस्थिति में खुश रेहन कर सारे काम करना चाहता है और कवी का मन्ना है की सुख व् दुःख दोनों ही हमारे जीवन का अहम् पाठ है जिसे हमें हर हाल में निभाना है ख़ुशी-ख़ुशी।  कवी का कहना है की हमें हर परिस्थिति में हार नहीं माननी है।   

भाषा की बात

4. संतुष्टि के लिए कवि ने ‘छककर’ ‘जी भरकर’ और ‘खुलकर’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। इसी भाव को व्यक्त करनेवाले कुछ और शब्द सोचकर लिखिए, जैसे – हँसकर, गाकर।

उत्तर: 

1. खींचकर

2. पीकर

3. मुस्कराकर

4. देकर

5. मस्त होकर

6. सराबोर होकर

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 4- चिट्ठियों की अनूठी दुनिया

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प्रश्न-अभ्यास


Question 1:

पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश क्यों नहीं दे सकता?

पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश नहीं दे सकता क्योंकि फोन, एसएमएस द्वारा केवल कामकाजी बातों को संक्षिप्त रूप से व्यक्त कर सकते हैं। पत्रों द्वारा हम अपने मनोभावों को खुलकर व्यक्त कर सकते हैं। पत्रों से आत्मीयता झलकती है। इन्हें अनुसंधान का विषय भी बनाया जा सकता है। ये कई किताबों का आधार हैं। पत्र राजनीति, साहित्य तथा कला क्षेत्र में प्रगतिशील आंदोलन के कारण बन सकते हैं। यह क्षमता फोन या एसएमएस द्वारा दिए गए संदेश में नहीं।

Question 2:

पत्र को खत, कागद, उत्तरम्‌, जाबू, लेख, कडिद, पाती, चिट्ठी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से संबंधित भाषाओं के नाम बताइए।

खत – उर्दू

कागद – कन्नड़

उत्तरम्‌ – तेलूगु

जाबू – तेलूगु

लेख – तेलूगु

कडिद – तमिल

पाती – हिन्दी

चिट्ठी – हिन्दी

पत्र – संस्कृत

Question 3:

पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हुए? लिखिए।

:पत्र लेखन की कला को विकसित करने के लिए दुनिया के सभी देशों द्वारा पाठयक्रमों में पत्र लेखन का विषय शामिल किया गया। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का कार्यक्रम सन्‌ 1972 से शुरू किया गया।

Question 4:

पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।

:पत्र व्यक्ति की स्वयं की हस्तलिपि में होते हैं, जो कि प्रियजन को अधिक संवेदित करते हैं। हम जितने चाहे उतने पत्रों को धरोहर के रूप में समेट कर रख सकते हैं जबकि एसएमएस को मोबाइल में सहेज कर रखने की क्षमता ज़्यादा समय तक नहीं होती है। एसएमएस को जल्द ही भुला दिया जाता है। पत्र देश, काल, समाज को जानने का साधन रहा है। दुनिया के तमाम संग्रहालयों में जानी-मानी हस्तियों के पत्रों का अनूठा संकलन भी है।

Question 5:

क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?

पत्रों का चलन न कभी कम हुआ था, न कभी कम होगा। चिट्ठियों की जगह कोई नहीं ले सकता है। पत्र लेखन एक साहित्यिक कला है परन्तु फेक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल जैसे तकनीकी माध्यम केवल काम-काज के क्षेत्र में महत्वपूर्ण हैं। आज ये आवश्यकताओं में आते हैं फिर भी ये पत्र का स्थान नहीं ले सकते हैं।

Question 6:

किसी के लिए बिना टिकट सादे लिफ़ाफ़े पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर कौन-सी कठिनाई आ सकती है? पता कीजिए।

बिना टिकट सादे लिफ़ाफ़े पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर पत्र को पाने वाले व्यक्ति को टिकट की धनराशि जुर्माने के रूप में देनी होगी।

Question 7:

पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है, कैसे?

पिन कोड किसी खास क्षेत्र को संबोधित करता है कि यह पत्र किस राज्य के किस क्षेत्र का है। इसके साथ व्यक्ति का नाम और नंबर आदि भी लिखना पड़ता है।

पिन कोड का पूरा रूप है पोस्टल इंडेक्स नंबर। यह 6 अंको का होता है। हर एक का खास स्थानीय अर्थ होता है, जैसे – १ अंक राज्य, २ और ३ अंक उपक्षेत्र, अन्य अंक क्रमशः डाकघर आदि के होते है। इस प्रकार पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है।

Question 8:

ऐसा क्यों होता था कि महात्मा गांधी को दुनिया भर से पत्र ‘महात्मा गांधी-इंडिया’ पता लिखकर आते थे?

महात्मा गांधी को दुनिया भर से पत्र ‘महात्मा गांधी-इंडिया’ पता लिखकर आते थे क्योंकि महात्मा गांधी अपने समय के सर्वाधिक लोकप्रिय व प्रसिद्ध व्यक्ति थे। वे भारत गौरव थे। गाँधी जी देश के किस भाग में रह रहे हैं यह देशवासियो को पता रहता था। अत: उनको पत्र अवश्य मिल जाता था।

भाषा की बात

Question 1:

किसी प्रयोजन विशेष से संबंधित शब्दों के साथ पत्र शब्द जोड़ने से कुछ नए शब्द बनते हैं, जैसे – प्रशस्ति पत्र, समाचार पत्र। आप भी पत्र के योग से बननेवाले दस शब्द लिखिए।

प्रार्थना पत्र

मासिक पत्र

छः मासिक पत्र

वार्षिक पत्र

दैनिक पत्र

साप्ताहिक पत्र

पाक्षिक पत्र

सरकारी पत्र

साहित्यिक पत्र

निमंत्रण पत्र

Question 2:

‘व्यापारिक’ शब्द व्यापार के साथ ‘इक’ प्रत्यय के योग से बना है। इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्दों को अपनी पाठ्यपुस्तक से खोजकर लिखिए।

इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्द –

स्वाभाविक

साहित्यिक

व्यवसायिक

दैनिक

प्राकृतिक

जैविक

प्रारंभिक

पौराणिक

ऐतिहासिक

सांस्कृतिक

Question 3:

दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं;जैसे – रवीन्द्र = रवि + इन्द्र। इस संधि में इ + इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं – दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण।

ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं;जैसे – संग्रह + आलय = संग्रहालय, महा + आत्मा = महात्मा।

इस प्रकार के कम-से-कम दस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका/शिक्षक को दिखाइए।

गुरूपदेश = गुरू + उपदेश (उ + उ)

संग्रहालय = संग्रह + आलय (अ + आ)

हिमालय = हिम + आलय (अ + आ)

भोजनालय = भोजन + आलय (अ + आ)

स्वेच्छा= सु + इच्छा( उ + इ)

अनुमति = अनु + मति (उ + अ)

रवीन्द्र = रवि + इंद्र (इ + इ)

विद्यालय = विद्या + आलय (आ + आ)

सूर्य + उदय = सूर्योदय (अ + उ)

सदा + एव = सदैव (आ + ए)


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                                                           5.  कामचोर

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Question 1. कहानी में मोटे-मोटे किस काम के हैं? किन के बारे में और क्यों कहा गया?

Solution: कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’ बच्चों के बारे में कहा गया है क्योंकि वे घर के कामकाज में जरा सी भी मदद नहीं करते थे तथा दिन भर उधम मचाते रहते थे। इस तरह से ये कामचोर हो गए थे।

Question 2. बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई?

Solution: बच्चों के उधम मचाने से घर अस्त-व्यस्त हो गया। मटके-सुराहियाँ इधर-उधर लुढक गए। घर के सारे बर्तन अस्त-व्यस्त हो गए। पशु-पक्षी इधर-उधर भागने लगे। घर में धूल, मिट्टी और कीचड़ का ढ़ेर लग गया। मटर की सब्जी बनने से पहले भेड़ें खा गईं। मुर्गे-मुर्गियों के कारण कपड़े गंदे हो गए। इस वजह से पारिवारिक शांति भी भंग हो गई। अम्मा ने तो घर छोड़ने का भी फैसला ले लिया।

Question 3. “या तो बच्चाराज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।” अम्मा ने कब कहा? और इसका परिणाम क्या हुआ?

Solution: अम्मा ने बच्चों द्वारा किए गए घर के हालत को देखकर ऐसा कहा था। जब पिताजी ने बच्चों को घर के काम काज में हाथ बँटाने को कहा तब उन्होंने इसके विपरीत सारे घर को तहस-नहस कर दिया। जिससे अम्मा जी बहुत परेशान हो गई थीं। इसका परिणाम ये हुआ कि पिताजी ने घर की किसी भी चीज़ को बच्चों को हाथ ना लगाने कि हिदायत दे डाली। अगर किसी ने घर का काम किया तो उसे रात का खाना नहीं दिया जाएगा।

Question 4. ‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है?

Solution: यह एक हास्यप्रधान कहानी है। यह कहानी संदेश देती है की बच्चों को घर के कामों से अनभिज्ञ नहीं होना चाहिए। उन्हें उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम कराना चाहिए। जिससे बचपन से ही उनमें काम के प्रति लगन तथा रूचि उत्पन्न हो न कि ऊब।

Question 5. क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएँगे।

Solution: बच्चों द्वारा लिया गया निर्णय उचित नहीं था क्योंकि स्वयं हिलकर पानी न पीने का निश्चय उन्हें और भी कामचोर बना देगा। वे कभी-भी कोई काम करना सीख ही नहीं पाएँगें। बच्चों को काम तो करना चाहिए पर समझदारी के साथ। बड़ों को उनको काम सिखाना चाहिए और आवश्यकता अनुसार मार्गदर्शन देना चाहिए।

Question 6. घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना आवश्यक क्यों है?

Solution: अपनी क्षमता के अनुसार काम करना इसलिए जरूरी है क्योंकि क्षमता के अनुरूप किया गया कार्य सही और सुचारु रूप से होता है। यदि हम अपने घर का काम या अपना निजी काम, नहीं करेंगे तो हम कामचोर बन जाएँगे। हमें अपने कामों के लिए आत्मनिर्भर रहना चाहिए।

Question 7. भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? कामचोर कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।

Solution: भरा-पूरा परिवार तब सुखद बन सकता है जब सब मिल-जुलकर कार्य करें व दुखद तब बनता है जब सब स्वार्थ भावना से कार्य करें। कामों के क्षमतानुसार विभाजित करने से कहानी जैसी दुखद स्थिति से बचा जा सकता है। कार्यों को बाँटने से किसी दूसरे को काम करने के लिए कहने की जरुरत होगी और तनाव भी उत्पन्न नहीं होगा।

Question 8. बड़े होते बच्चे किस प्रकार माता-पिता के सहयोगी हो सकते हैं और किस प्रकार भार? कामचोर कहानी के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

Solution: बडे होते बच्चे यदि माता-पिता को छोटे-मोटे कार्यों में मदद करें तो वे उनके सहयोगी हो सकते हैं जैसे अपना कार्य स्वयं, अपने-आप स्कूल के लिए तैयार हो जाएँ, अपने खाने के बर्तन यथा सम्भव स्थान पर रख आएँ, अपने कमरे को सहज कर रखें।

यदि हम बच्चों को उनका कार्य करने की सीख नहीं देते तो वह सहयोग के स्थान पर माता-पिता के लिए भार ही साबित होंगे। उनके बड़ा होने पर उनसे कोई कार्य कराया जाएगा तो वह उस कार्य को भली-भांति करने के स्थान पर तहस-नहस ही कर देंगे, जैसे की कामचोर लेख पर बच्चों ने सारे घर का हाल कर दिया था। इसलिए माता-पिता को बच्चों को उनके स्वभाव के अनुसार, उम्र और रूचि ध्यान में रखते हुए काम कराना चाहिए। जिससे बचपन से ही उनमें काम के प्रति लगन तथा रूचि उत्पन्न हो न कि ऊब। और उनके सहयोगी हो सके।

Question 9. ‘कामचोर’ कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की? इन दोनों तरह के परिवारों में क्या-क्या अंतर होते हैं?

Solution: कामचोर कहानी सयुंक्त परिवार की कहानी है इन दोनों में अन्तर इस प्रकार है –

एकल परिवार में सदस्यों की संख्या तीन से चार होती है – माँ, पिता व बच्चे होते है। सयुंक्त परिवार में सदस्यों की संख्या ज़्यादा होती है क्योंकि इसमें चाचा-चाची ताऊजी-ताईजी, माँ-पिताजी, बच्चे सभी सम्मिलित होते हैं। एकल परिवार में सारा कार्य स्वयं करना पड़ता है जबकि संयुक्त परिवार में सबलोग मिल-जुलकर कार्य करते हैं। एकल परिवार में जीवन के सुख-दुख का अकेले सामना करना पड़ता है जबकि सयुंक्त परिवार में सारे सदस्य मिलकर जीवन के सुख-दुख का सामना करते है।

भाषा की बात:-

Question 1. “धुली-बेधुली बालटी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।” धुली शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर बेधुली बना है। जिसका अर्थ है ‘बिना धुली’ ‘बे’ एक उपसर्ग है।

‘बे’ उपसर्ग से बननेवाले कुछ और शब्द हैं –

बेतुका, बेईमान, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। आप भी नीचे लिखे उपसर्गों से बननेवाले शब्द खोजिए –

1. प्र ……………….

2. आ ……………….

3. भर ……………….

4. बद​ ……………….

Solution:

1. प्र – प्रबल, प्रभाव, प्रयोग, प्रचलन, प्रवचन

2. आ – आमरण, आभार, आजन्म, आगत

3. भर – भरपेट, भरपूर, भरमार, भरसक

4. बद – बदसूरत, बदमिज़ाज, बदनाम, बदतर

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                                                    6 .क्या निराश हुआ जाए

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प्रश्न-अभ्यास

Question 1:

लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं हैं। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?

Solution:

लेखक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों का वर्णन करते हुए कहा है कि उसने धोखा भी खाया है परंतु बहुत कम स्थलों पर विश्वासघात नाम की चीज मिलती है। पर उसका मानना है कि अगर वो इन धोखों को याद रखेगा तो उसके लिए विश्वास करना बेहद कष्टकारी होगा और ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं जब लोगों ने अकारण उनकी सहायता की है, निराश मन को ढाँढस दिया है और हिम्मत बँधाई है।

टिकट बाबू द्वारा बचे हुए पैसे लेखक को लौटाना, बस कंडक्टर द्वारा दूसरी बस व बच्चों के लिए दूध लाना आदि ऐसी घटनाएँ हैं। इसलिए उसे विश्वास है कि समाज में मानवता, प्रेम, आपसी सहयोग समाप्त नहीं हो सकते।

Question 2:

दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

Solution:

दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा रूप ले सकता है जब हम किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लेते है या जब हमारे ऐसा करने से वे लोग उग्र रूप धारण कर किसी को हानि पहुँचाए।

Question 3:

आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क सहित विचार लिखिए?

Solution:

इस प्रकार के पर्दा फाश से समाज में व्याप्त बुराईयों से, अपने आस-पास के वातावरण तथा लोगों से अवगत हो जाते हैं और इसके कारण समाज में जागरूकता भी आती है साथ ही समाज समय रहते ही सचेत और सावधान हो जाता हैं।

Question 4:

निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे – ”ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है। ”परिणाम-भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

”सच्चाईकेवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।” ………………..

”झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।” ………………..

”हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।” ………………..

Solution:

”सच्चाईकेवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है। – तानाशाही बढ़ेगी

”झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।” – भ्रष्टाचार बढ़ेगा

”हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।” – अविश्वास बढ़ेगा

Question 5:

लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?

Solution:

लेखक ने इस लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ उचित रखा है। आजकल हम अराजकता की जो घटनाऍ अपने आसपास घटते देखते रहते हैं। जिससे हमारे मन में निराशा भर जाती है। लेकिन लेखक हमें उस समय समाज के मानवीय गुणों से भरे लोगों को और उनके कार्यों को याद करने कहा हैं जिससे हम निराश न हो।

इसका अन्य शीर्षक ‘हम निराशा से आशा’ भी रख सकते हैं।

Question 6:

यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिहन  लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिहन लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए – , । . । ? ; – , …. ।Solution:

‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद मैं प्रश्न चिन्ह ‘क्या निराश हुआ जाए?’ लगाना उचित समझता हूँ। समाज में व्याप्त बुराइयों के बीच रहते हुए भी जीवन जीने के लिए सकारात्मक दृष्टि जरूरी है।

Question 7:

”आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

Solution:

”आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” – मैं इस कथन से सहमत हूँ क्योंकि व्यक्ति जब आदर्शो की राह पर चलता है तब उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असामाजिक तत्वों का अकेले सामना करना पड़ता है।

भाषा की बात:-

Question 1:

दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है – द्वंद्व समास।

इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता,

जैसे – चरम और परम = चरम-परम, भीरु और बेबस = भीरू-बेबस। दिन और रात = दिन-रात।

‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है।

द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।

Solution:


सुख और दुख सुख-दुख

भूख और प्यास भूख-प्यास

हँसना और रोना हँसना-रोना

आते और जाते आते-जाते

राजा और रानी राजा-रानी

चाचा और चाची चाचा-चाची

सच्चा और झूठा सच्चा-झूठा

पाना और खोना पाना-खोना

पाप और पुण्य पाप-पुण्य

स्त्री और पुरूष स्त्री-पुरूष

राम और सीता राम-सीता

आना और जाना आना-जाना

Question 2:

पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।

Solution:

जातिवाचक संज्ञा : बस, यात्री, मनुष्य, ड्राइवर, कंडक्टर,

हिन्दू, मुस्लिम, आर्य, द्रविड़, पति, पत्नी आदि।

भाववाचक संज्ञा : ईमानदारी, सच्चाई, झूठ, चोर, डकैत आदि।

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                                  7. जब सिनेमा ने बोलना सीखा

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प्रश्न-अभ्यास

Question 1:

जब पहली बोलती फिल्म प्रदर्शित हुई तो उसके पोस्टरों पर कौन-से वाक्य छापे गए? उस फिल्म में कितने चेहरे थे? स्पष्ट कीजिए।

Solution:

देश की पहली बोलती फिल्म के विज्ञापन के लिए छापे गए वाक्य इस प्रकार थे –

”वे सभी सजीव हैं, साँस ले रहे हैं, शत-प्रतिशत बोल रहे हैं, अठहत्तर मुर्दा इनसान जिंदा हो गए, उनको बोलते, बातें करते देखो।”

पाठ के आधार पर ‘आलम आरा’ में कुल मिलाकर 78 चेहरे थे अर्थात् काम कर रहे थे।

Question 2:

पहला बोलता सिनेमा बनाने के लिए फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी को प्रेरणा कहाँ से मिली? उन्होंने आलम आरा फिल्म के लिए आधार कहाँ से लिया? विचार व्यक्त कीजिए।

Solution:

फिल्मकार अर्देशिर एम. ईरानी ने 1929 में हॉलीवुड की एक बोलती फिल्म ‘शो बोट’ देखी और तभी उनके मन में बोलती फिल्म बनाने की इच्छा जगी। इस फ़िल्म का आधार उन्होंने पारसी रंगमंच के एक लोकप्रिय नाटक से लिया।

Question 3:

विट्ठल का चयन आलम आरा फिल्म के नायक के रूप हुआ लेकिन उन्हें हटाया क्यों गया? विट्ठल ने पुन: नायक होने के लिए क्या किया? विचार प्रकट कीजिए।

Solution:

विट्ठल को फ़िल्म से इसलिए हटाया गया कि उन्हें उर्दू बोलने में परेशानी होती थी। पुन: अपना हक पाने के लिए उन्होंने मुकदमा कर दिया। विट्ठल मुकदमा जीत गए और भारत की पहली बोलती फिल्म के नायक बनें।

Question 4:

पहली सवाक् फिल्म के निर्माता-निदेशक अर्देशिर को जब सम्मानित किया गया तब सम्मानकर्ताओ ने उनके लिए क्या कहा था? अर्देशिर ने क्या कहा? और इस प्रसंग में लेखक ने क्या टिप्पणी की है? लिखिए।

Solution:

पहली सवाक्‌ फिल्म के निर्माता-निर्देशक अर्देशिर को प्रदर्शन के पच्चीस वर्ष पूरे होने पर सम्मानित किया गया और उन्हें ”भारतीय सवाक्‌ फिल्मों का पिता” कहा गया तो उन्होंने उस मौके पर कहा था, – ”मुझे इतना बड़ा खिताब देने की जरूरत नहीं है। मैंने तो देश के लिए अपने हिस्से का जरूरी योगदान दिया है।” इस प्रसंग की चर्चा करते हुए लेखक ने अर्देशिर को विनम्र कहा है।

Question 5:

मूक सिनेमा में संवाद नहीं होते, उसमें दैहिक अभिनय की प्रधानता होती है। पर, जब सिनेमा बोलने लगा, उसमें अनेक परिवर्तन हुए। उन परिवर्तनों को अभिनेता, दर्शक और कुछ तकनीकी दृष्टि से पाठ का आधार लेकर खोजें, साथ ही अपनी कल्पना का भी सहयोग लें।

Solution:

मूक सिनेमा ने बोलना सीखा तो बहुत सारे परिवर्तन हुए। बोलती फिल्म बनने के कारण अभिनेताओं पढ़ा-लिखा होना ज़रूरी हो गया, क्योंकि अब उन्हें संवाद भी बोलने पड़ते थे। दर्शकों पर भी अभिनेताओं का प्रभाव पड़ने लगा। नायक-नायिका के लोकप्रिय होने से औरतें अभिनेत्रियों की केश सज्जा तथा उनके कपड़ों की नकल करने लगीं। दृश्य और श्रव्य माध्यम के एक ही फ़िल्म में समिश्रित हो जाने से तकनीकी दृष्टि से भी बहुत सारे परिवर्तन हुए।

Question 6:

डब फिल्में किसे कहते हैं? कभी-कभी डब फ़िल्मों में अभिनेता के मुँह खोलने और आवाज़ में अंतर आ जाता है। इसका कारण क्या हो सकता है?

Solution:

फिल्मों में जब अभिनेताओं को दूसरे की आवाज़ दी जाती है तो उसे डब कहते हैं।

कभी-कभी फिल्मों में आवाज़ तथा अभिनेता के मुँह खोलने में अंतर आ जाता है क्योंकि डब करने वाले और अभिनय करने वाले की बोलने की गति समान नहीं होती या किसी तकनीकी दिक्कत के कारण हो जाता है।

भाषा की बात{-

Question 1:

सवाक् शब्द​ वाक् के पहले ‘स’ लगाने से बना है। स उपसर्ग से कई शब्द​ बनते हैं। निम्नलिखित शब्दों के साथ ‘स’ का उपसर्ग की भाँति प्रयोग करके शब्द बनाएँ और शब्दार्थ में होनेवाले परिवर्तन को बताएँ।

हित, परिवार, विनय, चित्र, बल, सम्मान।

Solution:

शब्द – उपसर्ग वाले शब्द

(i) हित – सहित

(ii) परिवार – सपरिवार

(iii) विनय – सविनय

(iv) चित्र – सचित्र

(v) बल – सबल

(vi) मान – सम्मान

Question 2:

उपसर्ग और प्रत्यय दोनों ही शब्दांश होते हैं। वाक्य में इनका अकेला प्रयोग नहीं होता। इन दोनों में अंतर केवल इतना होता है कि उपसर्ग किसी भी शब्द में पहले लगता है और प्रत्यय बाद में।

हिंदी के सामान्य उपसर्ग इस प्रकार हैं – अ/अन, नि, दु, क/कु, स/सु, अध, बिन, औ आदि।

पाठ में आए उपसर्ग और प्रत्यय युक्त शब्दों के कुछ उदाहरण नीचे दिए जा रहे हैं

मूल शब्द उपसर्ग प्रत्यय शब्द

वाक् सवाक्

लोचना सु सुलोचना

फिल्म कार फिल्मकार

कामयाब कामयाबी

इस प्रकार के 15-15 उदाहरण खोजकर लिखिए और अपने सहपाठियों को दिखाइए।

Solution:

मूल शब्द उपसर्ग नया शब्द

पुत्र सु सुपुत्र

घट औघट

सार अनु अनुसार

मुख आमुख

परिवार सपरिवार

नायक अधि अधिनायक

मरण आमरण

संहार उप उपसंहार

ज्ञान अज्ञान

यश सु सुयश

कोण सम समकोण

कर्म सत् सत्कर्म

राग अनु अनुराग

बंध नि निबंध

पका अध अधपका

 मूल शब्द प्रत्यय नया शब्द

चाचा ऐरा चचेरा

लेख लेखक

काला पन कालापन

लड़ आई लड़ाई

सज आवट सजावट

अंश त: अंशत:

सुनार इन सुनारिन

जल जलज

पर जीवी परजीवी

खुद आई खुदाई

ध्यान पूर्वक ध्यानपूर्वक

चिकना आहट चिकनाहट

विशेष तया विशेषतया

चमक ईला चमकीला

भारत ईय भारतीय

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                                                       8-  सुदामा चरित

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प्रश्न-अभ्यास


Question 1:

सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।

Solution:

सुदामा की दीनदशा को देखकर दुख के कारण श्री कृष्ण की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। उन्होंने सुदामा के पैरों को धोने के लिए पानी मँगवाया। परन्तु उनकी आँखों से इतने आँसू निकले की उन्ही आँसुओं से सुदामा के पैर धुल गए।


Question 2:

“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

Solution:

प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हें देखकर व्यथित हो उठे। श्रीकृष्ण ने सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मँगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण को इतना कष्ट हुआ कि वे स्वयं रो पड़े और उनके आँसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। अर्थात् परात में लाया गया जल व्यर्थ हो गया।

Question 3:

“चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।”

(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?

(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।

(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?

Solution:

(क) उपर्युक्त पंक्ति श्रीकृष्ण अपने बालसखा सुदामा से कह रहे हैं।

(ख) अपनी पत्नी द्वारा दिए गए चावल संकोचवश सुदामा श्रीकृष्ण को भेंट स्वरूप नहीं दे पा रहे हैं। परन्तु श्रीकृष्ण सुदामा पर दोषारोपण करते हुए इसे चोरी कहते हैं और कहते हैं कि चोरी में तो तुम पहले से ही निपुण हो।

(ग) बचपन में जब कृष्ण और सुदामा साथ-साथ संदीपन ऋषि के आश्रम में अपनी-अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। तभी एकबार जब श्रीकृष्ण और सुदामा जंगल में लकड़ियाँ एकत्र करने जा रहे थे तब गुरूमाता ने उन्हें रास्ते में खाने के लिए चने दिए थे। सुदामा श्रीकृष्ण को बिना बताए चोरी से चने खा लेते हैं। श्रीकृष्ण उसी चोरी का उपालंभ सुदामा को देते हैं।

Question 4:

द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।

Solution:

द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा का मन बहुत दुखी था। वे कृष्ण द्वारा अपने प्रति किए गए व्यवहार के बारे में सोच रहे थे कि जब वे कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण ने आनन्द पूर्वक उनका आतिथ्य सत्कार किया था। क्या वह सब दिखावटी था? वे कृष्ण के व्यवहार से खीझ रहे थे क्योंकि उन्हें आशा थी कि श्रीकृष्ण उनकी दरिद्रता दूर करने के लिए धन-दौलत देकर विदा करेंगे परंतु श्रीकृष्ण ने उन्हें चोरी की उलहाना देकर खाली हाथ ही वापस भेज दिया।

Question 5:

अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Solution:

द्वारका से लौटकर सुदामा जब अपने गाँव वापस आएँ तो अपनी झोंपड़ी के स्थान पर बड़े-बड़े भव्य महलों को देखकर सबसे पहले तो उनका मन भ्रमित हो गया कि कहीं मैं घूम फिर कर वापस द्वारका ही तो नहीं चला आया। फिर भी उन्होंने पूरा गाँव छानते हुए सबसे पूछा लेकिन उन्हें अपनी झोंपड़ी नहीं मिली।

Question 6:

निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

Solution:

श्रीकृष्ण की कृपा से निर्धन सुदामा की दरिद्रता दूर हो गई। जहाँ सुदामा की टूटी-फूटी सी झोपड़ी रहा करती थी, वहाँ अब सोने का महल खड़ा है। कहाँ पहले पैरों में पहनने के लिए चप्पल तक नहीं थी, वहाँ अब घूमने के लिए हाथी घोड़े हैं, पहले सोने के लिए केवल यह कठोर भूमि थी और अब शानदार नरम-मुलायम बिस्तरों का इंतजाम है, कहाँ पहले खाने के लिए चावल भी नहीं मिलते थे और आज प्रभु की कृपा से खाने को मनचाही चीज उपलब्ध है। परन्तु वे अच्छे नहीं लगते।

भाषा की बात:-

Question 1:

“पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए”

ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।

Solution:

”कै वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।”- यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार है।

टूटी सी झोपड़ी के स्थान पर अचानक कंचन के महल का होना अतिश्योक्ति है।

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                                                   9-    जहाँ पहिया हैं

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प्रश्न-अभ्यास

Question 1:

“…उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते है..”

आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?

Solution:

लेखक जंजीरों द्वारा रूढ़िवादी प्रथाओं की ओर इशारा कर रहा है।

Question 2:

“…उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकडे हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते है..”

क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

Solution:

“…उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकडे हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते है.. लेखक के इस कथन से हम सहमत हैं क्योंकि मनुष्य स्वभावानुसार अधिक समय तक बंधनों में नहीं रह सकते। समाज द्वारा बनाई गई रूढ़ियाँ अपनी सीमाओं को लाँघने लगे तो समाज में इसके विरूद्ध एक क्रांति अवश्य जन्म लेती है। जो इन रूढ़ियों के बंधनों को तोड़ डालती है। ठीक वैसे ही तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव में हुआ है। महिलाओं ने अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के लिए साइकिल चलाना आरंभ किया और वह आत्मनिर्भर हो गई।

Question 3:

‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?

Solution:

‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में निम्नलिखित बदलाव आए –


महिलाएँ अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के प्रति जागृत हुई।

कृषि उत्पादों को समीपवर्ती गाँवों में बेचकर उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी व आत्मनिर्भर हो गई।

 समय और श्रम की बचत हुई।

स्वयं के लिए आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई।

Question 4:

शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?

Solution:

शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया क्योंकि उन्हें डर था इससे नारी समाज में जागृति आ जाएगी। आर. साइकिल्स के मालिक गाँव के एकमात्र लेड़ीज साइकिल डीलर थे, इस आंदोलन से उसकी आय में वृद्धि होना स्वभाविक था। इसलिए उसने स्वार्थवश आंदोलन का समर्थन किया।

Question 5:

प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?

Solution:

फातिमा ने जब इस आंदोलन की शुरूआत की तो उसको बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उसे लोगों की फ़ब्तियाँ (गंदी टिप्पणियाँ) सुननी पड़ी। फातिमा मुस्लिम परिवार से थी। जो बहुत ही रूढ़िवादी थे। उन्होंने उसके उत्साह को तोड़ने का प्रयास किया। पुरुषों ने भी इसका बहुत विरोध किया। दूसरी कठिनाई यह थी कि लेड़ीज साइकिल वहाँ पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं थी।

Question 6:

आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?

Solution:

तमिलनाडु के रूढ़िवादी पुडुकोट्टई गाँव में महिलाओं का पुरुषों के विरूद्ध खड़े होकर ‘साइकिल’ को अपनी जागृति के लिए चुनना बहुत बड़ा कदम था। पहिए को गतिशीलता का प्रतीक माना जाता है और इस साइकिल आंदोलन से महिलाओं का जीवन भी गतिशील हो गया। लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ तमिलनाडु के पुडुकोट्टई गाँव के ‘साइकिल आंदोलन’ के कारण ही रखा होगा।

Question 7:

अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।

Solution:

‘साइकिल करेंगी-महिलाओं को आत्मनिर्भर’ भी इस पाठ के लिए उपयुक्त नाम हो सकता था चूँकि साइकिल आंदोलन से महिलाएँ अपनी स्वाधीनता व आज़ादी के प्रति जागृत हुई। कृषि उत्पादों को समीपवर्ती गाँवों में बेचकर उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी व आत्मनिर्भर हो गई।

Question 8:

फातिमा ने कहा,”…मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।”

साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आज़ादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?

Solution:

फातिमा के गाँव में पुरानी रूढ़िवादी परम्पराएँ थीं। वहाँ औरतों का साइकिल चलाना उचित नहीं माना जाता था। इन रुढियों के बंधनों को तोड़कर स्वयं को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देकर फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आज़ादी’ का अनुभव होता होगा।

भाषा की बात:-

Question 1:

उपसर्गों  और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’ इस प्रकार हैं – अभि, प्र, अनु, परि, वि(उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना।

Solution:

उपसर्ग

अभि – अभिमान

प्र – प्रयत्न

अनु – अनुसरण

परि – परिपक्व

वि – विशेष

प्रत्यय

इक – धार्मिक (धर्म + इक)

वाला – किस्मतवाला (किस्मत + वाला)

ता – सजीवता (सजीव + ता)

ना – चढ़ना (चढ़ + ना)

नव – नव + साक्षर (नवसाक्षर)

गतिशील – गतिशील + ता (गतिशीलता)

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प्रश्न-अभ्यास

Question 1. लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली?

Solution: लेखक को बेर की झाड़ी पर ओस की बूँद मिली।

Question 2. ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?

Solution: पेड़ों की जड़ों में निकले रोएँ द्वारा जल की बूँदों को बलपूर्वक धरती के भूगर्भ से खींच लाना व उनको खा जाना याद करते ही बूँद क्रोध व घृणा से काँप उठी।

Question 3. हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज/पुरखा क्यों कहा?

Solution: जब ब्रह्मांड में पृथ्वी व उसके साथी ग्रहों का उद्भव भी नहीं हुआ था तब ब्रह्मांड में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन दो गैसें सूर्यमंडल में लपटों के रूप में विद्यमान थीं। ऑक्सीजन व हाइड्रोजन के बीच रासायनिक क्रिया हुई। दोनों के संयोग से पानी का जन्म हुआ। इसलिए बूँद ने इन दोनों को अपना पूर्वज कहा है।

Question 4. “पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

Solution: पानी का जन्म (ह्द्रजन) हाइड्रोजन व (ओषजन) ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रक्रिया द्वारा होता है। जब ब्रह्मांड में पृथ्वी व उसके साथी ग्रहों का उद्भव भी नहीं हुआ था तब ब्रह्मांड में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन दो गैसें सूर्यमंडल में लपटों के रूप में विद्यमान थीं। किसी उल्कापिंड के सूर्य से टकराने से सूर्य के टुकडें कड़े हो गए उन्हीं टुकड़ों में से एक टुकड़ा पृथ्वी रूप में उत्पन्न हुआ और इसी ग्रह में ऑक्सीजन व हाइड्रोजन के बीच रासायनिक क्रिया हुई और दोनों के संयोग से पानी का जन्म हुआ।

सर्वप्रथम बूँद भाप के रूप में पृथ्वी के वातावरण में ईद-गिर्द घूमती रहती है, तत्पश्चात ठोस बर्फ के रूप में विद्यमान हो जाती है। समुद्र से होती हुई वह गर्म-धारा से मिलकर ठोस रूप को त्यागकर जल का रूप धारण कर लेती है।

Question 5. कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वयं पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?

Solution: कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को पढ़कर यह पता चलता है कि ओस की बूँद सूर्य उदय की प्रतीक्षा कर रही थी।

Question 6. समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गरमी क्यों नहीं पड़ती?

Solution: समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गरमी नहीं पड़ती क्योंकि वहाँ के वातावरण में सदा नमी होती है।

Question 7. पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं?

Solution: पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी पहुँचता है क्योंकि पेड़ की जड़ों व तनों में जाइलम और फ्लोएम नामक वाहिकाएँ होती हैं जो पानी जड़ों से पत्तियों तक पहुँचाती हैं। इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में ‘संवहन’ (ट्रांसपाईरेशन) कहते हैं।

भाषा की बात:-

Question 1. किसी भी क्रिया को पूरी करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य में दिखाई पडते हैं; जैसे – “वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी।”

जकड़ना क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़नेवाला हो, कोई वस्तु (शिकार) हो जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों; जैसे – कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं।

अपनी पाठ्यपुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भलीभाँति परिभाषित कीजिए।

Solution:

आगे एक और बूँद मेरा हाथ पकड़कर ऊपर खींच रही थी।

पकड़कर – सबंध कारक

हम बड़ी तेजी से बाहर फेंक दिए गए।

तेज़ी से – अपादान कारक

मैं प्रति क्षण उसमें से निकल भागने की चेष्टा में लगी रहती थी।

मैं – कर्ता

वह चाकू से फल काटकर खाता है।

चाकू से – करण कारक

बदलू लाख से चूड़ियाँ बनाता है।

लाख से – करण कारक

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                                                  11- सूरदास के पद

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प्रश्न-अभ्यास

Question 1. बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?

Solution: माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को बताया की दूध पीने से उनकी चोटी बलराम भैया की तरह हो जाएगी। श्रीकृष्ण अपनी चोटी बलराम जी की चोटी की तरह मोटी और बड़ी करना चाहते थे इस लोभ के कारण वे दूध पीने के लिए तैयार हुए।

Question 2. श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?

Solution: श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि उनकी चोटी भी बलराम भैया की तरह लम्बी, मोटी हो जाएगी फिर वह नागिन जैसे लहराएगी।

Question 3. दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?

Solution: दूध की तुलना में श्रीकृष्ण को माखन-रोटी अधिक पसंद करते हैं।

Question 4. ‘तैं ही पूत अनोखी जायौ’ – पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?

Solution: ‘तैं ही पूत अनोखी जायौ’ – पंक्तियों में ग्वालन के मन

में यशोदा के लिए कृष्ण जैसा पुत्र पाने पर ईर्ष्या की भावना व कृष्ण के उनका माखन चुराने पर क्रोध के भाव मुखरित हो रहे हैं। इसलिए वह यशोदा माता को उलाहना दे रही हैं।

Question 5. मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?

Solution: श्रीकृष्ण को माखन ऊँचे टंगे छींकों से चुराने में दिक्कत होती थी इसलिए माखन गिर जाता था तथा चुराते समय वे आधा माखन खुद खाते हैं व आधा अपने सखाओं को खिलाते हैं। जिसके कारण माखन जगह-जगह ज़मीन पर गिर जाता है।

Question 6. दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?

Solution: दोनों पदों में प्रथम पद सबसे अच्छा लगता है। क्योंकि यहाँ बाल स्वभाववश प्राय: श्रीकृष्ण दूध पीने में आनाकानी किया करते थे। तब एक दिन माता यशोदा ने प्रलोभन दिया कि कान्हा ! तू नित्य कच्चा दूध पिया कर, इससे तेरी चोटी दाऊ (बलराम) जैसी मोटी व लंबी हो जाएगी। मैया के कहने पर कान्हा दूध पीने लगे। अधिक समय बीतने पर श्रीकृष्ण अपने बालपन के कारण माता से अनुनय-विनय करते हैं कि तुम्हारे कहने पर मैंने दूध पिया पर फिर भी मेरी चोटी नहीं बढ़ रही। उनकी माता से उनकी नाराज़गी व्यक्त करना, दूध न पीने का हट करना, बलराम भैया की तरह चोटी पाने का हट करना हृदय को बड़ा ही आनंद देता है।

Question 7. दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?

Solution: दूसरे पद को पढ़कर लगता है कि उस समय श्रीकृष्ण की उम्र चार से सात साल रही होगी तभी उनके छोटे-छोटे हाथों से सावधानी बरतने पर भी माखन बिखर जाता था।

भाषा की बात:-

Question 1. श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।

Solution: माखन चुरानेवाला – माखनचोर

Question 2. श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।

Solution: श्रीकृष्ण के पर्यायवाची शब्द – गोविन्द, रणछोड़, वासुदेव, मुरलीधर, नन्दलाल।

Question 3.

कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे –

पर्यायवाची चंद्रमा-शशि, इंदु, राका मधुकर-भ्रमर, भौंरा, मधुप सूर्य-रवि, भानु, दिनकर

विपरीतार्थक

दिन-रात

श्वेत-श्याम

शीत-उष्ण

पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।

Solution:

पर्यायवाची शब्द बेनी – चोटी

मैया – जननी, माँ, माता

दूध – दुग्ध, पय, गोरस

काढ़त – गुहत

बलराम – दाऊ, हलधर

ढोटा – सुत, पुत्र, बेटा

विपरीतार्थक शब्द

लम्बी – छोटी

स्याम – श्वेत

संग्रह – विग्रह

विज्ञ – अज्ञ

रात – दिन

प्रकट – ओझल

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                                  12-बाज और साँप

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प्रश्न-अभ्यास

Question 1.

घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्यों कहा, ”मुझे कोई शिकायत नहीं है।” विचार प्रकट कीजिए।

Solution:

घायल होने के बाद भी बाज ने यह कहा कि – “मुझे कोई शिकायत नहीं है।” उसने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह किसी भी कीमत पर समझौतावादी जीवन शैली पसंद नहीं करता था। वह अपने अधिकारों के लिए लड़ने में विश्वास रखता था। उसने अपनी ज़िंदगी को भरपूर भोगा। वह असीम आकाश में जी भरकर उड़ान भर चुका था। जब तक उसके शरीर में ताकत रही तब तक ऐसा कोई सुख नहीं बचा जिसे उसने न भोगा हो। वह अपने जीवन से पूर्णतः संतुष्ट था।

Question 2.

बाज ज़िंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था?

Solution:

बाज ज़िंदगी भर आकाश में उड़ता रहा, उसने आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नापा। बाज साहसी था। वह किसी भी कीमत पर समझौतावादी जीवन शैली पसंद नहीं करता था। अतः कायर की मौत नहीं मरना चाहता था। वह अंतिम क्षण तक जीवन की आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करना चाहता था।

Question 3.

साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?

Solution:

साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था क्योंकि वह मानता था कि वह उड़ने में सक्षम नहीं है। पर जब उसने बाज के मन में आकाश में उड़ने के लिए तड़प देखी तब साँप के मन में भी उत्सुकता जागी कि आकाश का मुक्त जीवन कैसा होता है ? इस रहस्य का पता लगाना ही चाहिए। तब उसने भी आकाश में एक बार उड़ने की कोशिश करने का निश्चय किया।

Question 4.

बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?

Solution:

बाज की बहादुरी पर प्रसन्न होकर लहरों ने गीत गाया था। उसने अपने प्राण गँवा दिए परन्तु ज़िंदगी के खतरे का सामना करने से पीछे नहीं हटा।

Question 5.

घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?

Solution:

साँप का शत्रु बाज है चूँकि वो उसका आहार होता है। घायल बाज उसे किसी प्रकार का आघात नहीं पहुँचा सकता था इसलिए घायल बाज को देखकर साँप के लिए खुश होना स्वाभाविक था।

Question 6.

कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।

Solution:

कहानी की स्वतंत्रता से संबंधित पंक्तियाँ –

जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भोगा हो। दूर-दूर तक उडानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ।

“आह! काश, मैं सिर्फ एक बार आकाश में उड पाता।”

पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूँद जिंदगी के अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।

Question 7.

मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है।

Solution:

मानव ने आदिकाल से ही पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा मन में रखी है। किन्तु शारीरिक असमर्थता की वजह से उड़ नहीं पा रहा था जिसका परिणाम यह हुआ कि मनुष्य हवाई जहाज का आविष्कार कर दिखाया। आज मनुष्य अपने उड़ने की इच्छा की पूर्ति हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, गैस-बैलून आदि से करता है।

भाषा की बात

Question 1.

कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

Solution:

भाँप लेना – बच्चों का मुँह देखकर माता जी ने परीक्षा का क्या नतीजा आया होगा यह भाँप लिया।

हिम्मत बाँधना – मित्र के आने पर ही परीक्षा के लिए राहुल की हिम्मत बँधी।

अंतिम साँस गिनना – दादाजी की गिरती साँसें देखकर माता जी ने स्थिति भाँप ली वे कि वे उनकी अंतिम साँस गिन रहे हैं।

मन में आशा जागना – शिक्षिका की कहानी ने मेरे मन में आशा जगा दी।

प्राण हथेली में रखना – सिपाही ने देशवासियों की जान बचाने के लिए अपने प्राणों को हथेली में रख देते हैं।

Question 2.

‘आरामदेह’ शब्द में ‘देह’ प्रत्यय है। यहाँ ‘देह’ ‘देनेवाला’ के अर्थ में प्रयुक्त है। देनेवाला के अर्थ में ‘द’, ‘प्रद’, ‘दाता’, ‘दाई’ आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे – सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।

Solution:

प्रत्यय       शब्द

द – सुखद, दुखद

दाता – परामर्शदाता, सुखदाता

दाई – सुखदाई, दुखदाई

देह – विश्रामदेह, लाभदेह, आरामदेह

प्रद – लाभप्रद, हानिप्रद, शिक्षाप्रद

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