First Language Hindi -6th

 1. साथी हाथ बढ़ाना:-

   I.   पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास:-

     प्रश्न 1. इस गीत की किन पंक्तियों को तुम आप अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हो?

उत्तर- इस गीत की निम्नलिखित पंक्तियों को हम अपने आसपास की जिंदगी में घटते हुए देख सकते हैं-साथी हाथ बढ़ाना एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना। साथी हाथ बढ़ाना।
हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया। सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया,फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाँहें।हम चाहें तो चट्टानों में पैदा कर दें राहें।

प्रश्न 2.‘सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया’-साहिर ने ऐसा क्यों कहा है? लिखो।
उत्तर-साहिर ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि एक साथ मिलकर काम करने से बड़ी से बड़ी बाधाओं में भी रास्ता निकल आता है, यानी काम आसान हो जाता है। साहसी व्यक्ति सभी बाधाओं पर आसानी से विजय पा लेता है क्योंकि एकता और संगठन में शक्ति होती है जिसके बल पर वह पर्वत और सागर को भी पार कर लेता है।

प्रश्न 3.गीत में सीने और बाँहों को फ़ौलादी क्यों कहा गया है?
उत्तर-सीने और बाँह को फ़ौलादी इसलिए कहा गया है क्योंकि हमारे इरादे मजबूत हैं। हमारे बाजुओं में आपार शक्ति है। हम ताकतवर हैं। हम बलवान हैं। हमारी बाँहें फ़ौलादी इसलिए भी हैं कि इसमें असीम कार्य क्षमता का पता चलता है। हमारी बाजुएँ काफ़ी शक्तिशाली भी हैं।
 II.गीत से आगे:-

प्रश्न 4.अपने आसपास तुम किसे साथी मानते हो और क्यों ? इससे मिलते-जुलते कुछ और शब्द खोजकर लिखो।
उत्तर- हमारे माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, सहपाठी, शिक्षक, पड़ोसी-ये सभी हमारे साथी हैं। क्योंकि ये सब हमें किसी न किसी रूप में सहयोग करते हैं। साथी से मिलते-जुलते शब्द हैं-सहायक, सखा, संगी, सहचर, शुभचिंतक, मित्र, मीत आदि।
प्रश्न 5.अपना दुख भी एक है साथी, अपना सुख भी एक कक्षा, मोहल्ले और गाँव/शहर के किस-किस तरह के साथियों के बीच तुम्हें इस वाक्य की सच्चाई महसूस होती है। और कैसे?
उत्तर- कुछ बातों के संबंध में हम अपने साथियों से जुड़े होते हैं। इन मामलों में हमारी सोच एक होती है और हमारे सुख-दुख की अनुभूति भी एक होती है। उदाहरण के लिए। पानी-बिजली की कमी, ट्रैफिक जैसी रोजमर्रा की मुश्किलों से जब हमारा सामना होता है तो हमें लगता है जैसे हमारा दुख एक है। वहीं दूसरी ओर विद्यालय के लिए पदक जीतना, कक्षा में अच्छे अंक लाना और बड़े होकर कुछ बनने की चाह से पता चलता है कि हमारा सुख भी एक ही है।
प्रश्न 6.इस गीत को तुम किस माहौल में गुनगुना सकते हो?
उत्तर-  इस गीत को स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या किसी संगठन की स्थापना के अवसर पर गा सकते हैं। खेल के मैदान में भी यह गीत खिलाड़ियों में जोश पैदा कर सकता है। वैसे तो यह गीत कभी-भी गुनगुनाया जा सकता है, पर विशेषकर जब सहयोग और संगठन की शक्ति बतानी हो तब यह गीत महत्त्व रखता है।

प्रश्न 7.‘एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना’-

  1. तुम अपने घर में इस बात का ध्यान कैसे रख सकते हो?
  2. पापा के काम और माँ के काम क्या-क्या हैं?
  3. क्या वे एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं?

उत्तर- 7. 1.अपने घर के छोटे-बड़े कामों में माता-पिता का हाथ बँटा कर हम इस बात की। ध्यान रख सकते हैं।

2.पापा और माँ को बहुत से काम करने होते हैं। जहाँ एक ओर पापा कार्यालय जाते हैं और घर के लिए आवश्यक बाहरी कामों का ध्यान रखते हैं वहीं माँ घर की सफाई, खाना बनाना, कपड़े धोना, हम सबों को पढ़ाना, खरीदारी करना और कई छोटे-बड़े कामों की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेती है।

3.हाँ, वे इन कामों से एक-दूसरे का हाथ बँटाते हैं।

प्रश्न 8. यदि तुमने ‘नया दौर’ फ़िल्म देखी है तो बताओ कि यह गीत फ़िल्म में कहानी के किस मोड़ पर आता है? यदि तुमने फ़िल्म नहीं देखी है तो फ़िल्म देखो और बताओ।
उत्तर- ‘नया दौर’ फिल्म में जब कच्ची सड़क को पक्का करने के लिए सब मिल जुल कर काम करते हैं तब यह गीत आता है। यह गीत उनके सहयोग, उत्साह और जोश को प्रदर्शित करता है।

III.कहावतों की दुनिया:-

प्रश्न 1.
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
एक और एक मिलकर ग्यारह होते हैं।
(क) ऊपर लिखी कहावतों का अर्थ गीत की किन पंक्तियों से मिलता-जुलता है?
(ख) इन दोनों कहावतों का अर्थ कहावत-कोश में देखकर समझो और उनका वाक्यों में प्रयोग करो .

उत्तर-
(क)

  • एक अकेला थक जाएगा, मिलकर बोझ उठाना।
  • एक से मिले तो कतरा, बन जाता जाता है दरिया
    एक से एक मिले तो ज़र्रा, बन जाती है सेहरी
    एक से एक मिले तो राई, बन सकती है परबत
    एक से एक मिले तो इंसाँ, बस में कर ले किस्मत।








प्रश्न 2. नीचे हाथ से संबंधित कुछ मुहावरे दिए गए हैं। इनके अर्थ समझो और प्रत्येक मुहावरे से वाक्य बनाओ-

  1. हाथ को हाथ न सूझना
  2. हाथ साफ़ करना
  3. हाथ-पैर फूलना
  4. हाथों-हाथ लेना।
  5. हाथ लगना।

उत्तर-

  1. बिजली चली जाने के बाद इतना अँधेरा हो गया कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था।
  2. मौका मिलते ही चोर ने गहनों पर अपना हाथ साफ कर दिया।
  3. पुलिस को देख कर चोर के हाथ-पैर फूल गए।
  4. नई किताब के बाजार में आते ही सबने उसे हाथों-हाथ लिया।
  5. तुम नहीं जान सकते कि कितने इंतजार के बाद यह इनामी राशि मेरे हाथ लगी.

भाषा की बात:-

प्रश्न 1.

हाथ और हस्त एक ही शब्द के दो रूप हैं। नीचे दिए गए शब्दों में हस्त और हाथ छिपे हैं। शब्दों को पढ़कर बताओ कि हाथों का इनमें क्या काम है-

हाथघड़ी, हथौड़ा, हस्तशिल्प, हस्तक्षेप, निहत्था, हथकंडा, हस्ताक्षर, हथकरघा

उत्तर:-

हाथघड़ी- हाथघड़ी हाथ की कलाई पर पहनी जाती है।

प्रश्न 2.

इस गीत में परबत, सीस, रस्ता, इंसाँ शब्दों के प्रयोग हुए हैं। इन शब्दों के प्रचलित रूप लिखो।

उत्तर: परबत – पहाड़, पर्वत

सीस – शीश, सिर, माथा

रस्ता – रास्ता

इंसाँ – इंसान, मनुष्य

हथौड़ा- एक ऐसा लोहे का औज़ार है जिसे हाथ से पकड़कर चलाया जाता है।

हस्तशिल्प- इस शिल्पकारी को हाथ (हस्त) से किया जाता है।

हस्तक्षेप- बीच-बचाव करने के लिए। इसका अर्थ है दखल देना।

निहत्था- जिसके हाथ में कोई हथियार न हो, उसे निहत्था कहते हैं।

हथकंडा- किसी कार्य को पूरा करने के लिए अनुचित तरीका अपनाने को हथकंडा कहते हैं। इसमें भी हाथ का कार्य नहीं है।

हस्ताक्षर- हाथ से अपना नाम लिखकर किसी कार्य हेतु स्वीकृति देना।

हथकरघा- हाथ से किए जाने वाले छोटे-मोटे उद्योग धंधे, जैसे चरखा चलाना, कपड़ा बुनना, टोकरी बुनना आदि।

प्रश्न 3.“कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना”-

इस वाक्य को गीतकार इस प्रकार कहना चाहता है

(तुमने) कल गैरों की खातिर (मेहनत) की, आज (तुम) अपनी खातिर करना।

इस वाक्य में ‘तुम’ कर्ता है जो गीत की पंक्ति में छंद बनाए रखने के लिए हटा दिया गया है। उपर्युक्त पंक्ति में रेखांकित शब्द ‘अपनी’ का प्रयोग कर्ता ‘तुम’ के लिए हो रहा है, इसलिए यह सर्वनाम है। ऐसे सर्वनाम जो अपने आप के बारे में बताएँ निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। (निज का अर्थ ‘अपना’ होता है।)

निजवाचक सर्वनाम के तीन प्रकार होते हैं जो नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित हैं-

मैं अपने आप (या आप) घर चली जाऊँगी।

बब्बन अपना काम खुद करता है।

सुधा ने अपने लिए कुछ नहीं खरीदा।

अब तुम भी निजवाचक सर्वनाम के निम्नलिखित रूपों का वाक्यों में प्रयोग करो।


अपने को

अपने से

अपना

अपने पर

अपने लिए

आपस में

उत्तर-

अपने को- हमें अपने को दुश्मन से बचाना है।

अपने पर- मुझे अपने पर भरोसा है।

अपने से- अपने से बड़े व्यक्तियों की बात मानना चाहिए।

अपने लिए- हमें अपने लिए कुछ वक्त निकलना चाहिए।

अपना- आप इसे अपना ही समझिए।

आपस में- आपस में झगड़े मत करो।

कुछ करने को

प्रश्न 1.

बातचीत करते समय हमारी बातें, हाथ की हरकत से प्रभावशाली होकर दूसरे तक पहुँचती हैं। हाथ की हरकत से या हाथ के इशारे से भी कुछ कहा जा सकता है।

नीचे लिखे हाथ के इशारे किन अवसरों पर प्रयोग होते हैं? लिखो-


‘क्यों’ पूछते हाथ

मना करते हाथ

समझाते हाथ

बुलाते हाथ

आरोप लगाते हाथ

चेतावनी देते हाथ

जोश दिखाते हाथ

उत्तर-‘क्यों’ पूछते हाथ- का प्रयोग हम किसी से प्रश्न करते समय करते हैं।

‘मना करते हाथ’- किसी की बात को मना करने के लिए किया गया हाथों का प्रयोग।

बुलाते हाथ- किसी को बुलाने के लिए किया गया हाथों का प्रयोग।

आरोप लगाते हाथ- किसी पर दोष मढ़ते समय हाथ की ऊँगली का इशारा।

जोश दिखाते हाथ- जोश दिखाने के लिए दोनों हाथों का इशारा करते हैं।

समझाते हाथ- हम हाथ के संकेत से समझाते हैं।

चेतावनी देते हाथ- किसी काम के परिणाम के विषय में आगाह करते समय।

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2 बचपन:-

I.पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास:

प्रश्न 1.लेखिका बचपन में इतवार की सुबह क्या-क्या काम करती थी ं?
उत्तर- बचपन में इतवार की सुबह लेखिका अपने मोजे धोती थी, फिर जूतों पर पॉलिश करके उसे कपड़े या ब्रश से रगड़कर चमकाती थी।

प्रश्न 2.‘तुम्हें बताऊँगी कि हमारे समय और तुम्हारे समय में कितनी दूरी हो चुकी है।’-इस बात के लिए लेखिका क्या-क्या उदाहरण देती हैं?
उत्तर- लेखिका अपने समय से आज के समय की दूरी को बताने के लिए निम्नलिखित उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं-
(क) तब उन दिनों रेडियो और टेलीविज़न की जगह कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन होते थे।
(ख) पहले कुल्फ़ी होती थी अब आइसक्रीम हो गई। कचौड़ी-समोसा अब पैटीज़ में बदल गया है।
(ग) फ़ाल्से और खसखस के शरबत के स्थान पर कोक और पेप्सी जैसे शीतल पेयों ने ले लिया है। उनके समय में कोक नहीं। लेमनेड, विमटो मिलती थी।
प्रश्न 3.पाठ से पता करके लिखो कि लेखिका को चश्मा क्यों लगाना पड़ा? चश्मा लगाने पर उनके चचेरे भाई उन्हें क्या कहकर चिढ़ाते थे?
उत्तर-लेखिका को रात में टेबल लैंप के सामने बैठकर पढ़ने के कारण उनकी नजर कमजोर हो गई थी, इस वजह से उन्हें चश्मा लगाना पड़ा। उनके चचेरे भाई चश्मा लगाने पर उन्हें छेड़ते हुए कहते थेआँख पर चश्मा लगाया ताकि सूझे दूर की यह नहीं लड़की को मालूम सूरत बनी लंगूर की!

प्रश्न 4.लेखिका अपने बचपन में कौन-कौन सी चीजें मज़ा ले-लेकर खाती थीं? उनमें से प्रमुख फलों के नाम लिखो।
उत्तर-लेखिका बचपन में चॉकलेट को बड़े मजे से खाती थी। उनको सप्ताह में एक बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी। लेखिका चॉकलेट को साइडबोर्ड पर रख देती थी फिर बिस्तर पर लेटकर मजे से खाती थी। इसके अतिरिक्त कुल्फ़ी, शहतूत, फ़ाल्से के शरबत, चॉकलेट, पेस्ट्री तथा फल मजे ले-लेकर खाती थी। कुछ प्रमुख फल ‘काफल’ और ‘चेस्टनट’ था।
II.अनुमान और कल्पना:-
प्रश्न 1.लेखिका के बचपन में हवाई जहाज़ की आवाजें, घुड़सवारी, ग्रामोफ़ोन और शोरूम में शिमला-कालका ट्रेन का मॉडल ही आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें थीं। आज क्या-क्या आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें तुम्हें आकर्षित करती हैं? उनके नाम लिखो।
उत्तर-आज की आश्चर्यजनक आधुनिक चीजें हैं-कंप्यूटर, टेलीविज़न, इंटरनेट, मोबाइल, रोबोट, मेट्रो ट्रेन, मोटर कार, बाइक आदि।
इनके प्रति हम आज ज्यादा आकर्षित होते हैं।

प्रश्न 2.लेखिका ने इस संस्मरण में सरवर के माध्यम से अपनी बात बताने की कोशिश की है, लेकिन सरवर का कोई परिचय नहीं दिया है। अनुमान लगाइए कि सरवर कौन हो सकता है?
उत्तर-इस संस्मरण में लेखिका ने दो बार सरवर का नाम लिया है। सरवर का नाम लेखिका ने संकेत के रूप में लिया है। इसके अलावा उस व्यक्ति के लिए अन्य संबोधन का प्रयोग नहीं हुआ है। अतः संभव है कि सरवर कोई पत्रकार या उनका मित्र लेखक रहा होगा जिन्हें वह अपनी जीवनी सुना रही हैं।
IV. भाषा की बात:-
प्रश्न 1.क्रियाओं से भी भाववाचक संज्ञाएँ बनती हैं। जैसे मारना से मार, काटना से काट, हारना से हार, सीखना से सीख, पलटना से पलट और हड़पना से हड़प आदि भाववाचक संज्ञाएँ बनी हैं। तुम भी इस संस्मरण से कुछ क्रियाओं को छाँटकर लिखो और उनके भाववाचक संज्ञा बनाओ।
क्रिया---- भाववाचक संज्ञा
गूंजना---- गूँज
उभार---- उभरना
दौड़ना--- दौड़
चढ़ना---- चढ़ाई
चाल-- चलन
गहराना--- गहराई
खींजना--- खीज़
बदलना--- बदलाव

प्रश्न 2. चार दिन, कुछ व्यक्ति, एक लीटर दूध आदि शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दो तो पता चलेगा कि इसमें चार, कुछ और एक लीटर शब्द से संख्या या परिमाण का आभास होता है, क्योंकि ये संख्यावाचक विशेषण हैं। इसमें भी चार दिन से निश्चित संख्या का बोध होता है, इसलिए इसको निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं और कुछ व्यक्ति से अनिश्चित संख्या का बोध होने से इसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। इसी प्रकार एक लीटर दूध से परिमाण का बोध होता है इसलिए इसे परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं।

अब तुम नीचे लिखे वाक्यों को पढ़ो और उनके सामने विशेषण के भेदों को लिखो-

(क) मुझे दो दर्जन केले चाहिए।

(ख) दो किलो अनाज दे दो।

(ग) कुछ बच्चे आ रहे हैं।

(घ) सभी लोग हँस रहे थे।

(ङ) तुम्हारा नाम बहुत सुंदर है।

उत्तर-

(क) दो दर्जन- निश्चित संख्यावाचक विशेषण।

(ख) दो किलो- निश्चित परिणामवाचक विशेषण।

(ग) कुछ- अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण।

(घ) सभी- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण।

(ङ) (i) तुम्हारा- सार्वनामिक विशेषण

(ii) बहुत- अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण

(iii) सुंदर- गुणवाचक विशेषण

प्रश्न 3.

कपड़ों में मेरी दिलचस्पियाँ मेरी मौसी जानती थीं।

इस वाक्य में रेखांकित शब्द ‘दिलचस्पियाँ’ और ‘मौसी’ संज्ञाओं की विशेषता बता रहे हैं, इसलिए ये सार्वनामिक विशेषण हैं। सर्वनाम कभी-कभी विशेषण का काम भी करते हैं। पाठ में से ऐसे पाँच उदाहरण छाँटकर लिखो।

उत्तर-

(क) हम बच्चे इतवार की सुबह इसी में लगते

(ख) उन दिनों कुछ घरों में ग्रामोफ़ोन थे।

(ग) हमारा घर माल से ज्यादा दूर नहीं था।

(घ) अपने-अपने जूते पॉलिश करके चमकाते।

(ङ) यह गाना उन दिनों स्कूल में हर बच्चे को आता था।

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